रामपुर और आजमगढ़ चुनाव के नतीजे आप सभी के सामने कल ही आ चुके है और ये नतीजे भी काफी चौकाने वाले है क्योकि आजमगढ़ और रामपुर सपा का गढ़ माना जाता रहा है पिछली विधानसभा चुनाव में भी सपा ने इन दोनों जिलों में अच्छा प्रर्दशन किया था पर अचानक ऐसा क्या हुआ कि दोनों जिलों में सपा को हार का सामना करना पड़ा.


जब अखिलेश यादव ने आजमगढ़ से अपनी सांसदी से इस्तीफा दिया तो हर किसी के मन में एक सवाल था की अब वहां से कौन लड़ेगा कई नामों की चर्चा भी होती रही जिसमें अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का नाम सबसे उपर था लेकिन अंत में अखिलेश यादव ने अपने भाई धर्मेंद यादव को आजमगढ़ से चुनाव लड़ाने का फैसला लिया या फिर बोल सकते उनको हराने का फैसला लिया. आप भी सोच रहे होंगे भाई को कोई कैसे हरा सकता है पर ये सच है. जब आजमगढ़ और रामपुर में सपा को अपने प्रत्याशी की खोज थी तो आजमगढ़ में तो अखिलेश जिसको चाहते लड़ा सकते थे पर रामपुर में अखिलेश यादव अपना प्रत्याशी नहीं उतार सकते थे. वहां जो भी प्रत्याशी का चयन करना था वो सपा के वरिष्ठ और एक समय में सपा परिवार के सबसे करीबी माने जाने वाले आजम खान को करना था और वैसा ही हुआ.


आजम खान करीब 2 साल से ज्यादा जेल में रहे अखिलेश यादव उनसे कभी मिलने नहीं गये जिसको लेकर कई तरह की बातें भी होती रही की आखिर अखिलेश आजम खान से मिलने जेल में क्यो नहीं जा रहे है. अखिलेश से इस बात को लेकर पत्रकारों ने कई बार सवाल भी पूछा पर अखिलेश यादव हर बार इस बात को टालते रहे पर जब आजम खान जेल से 2 साल के बाद बाहर आये तो आजम खान की तबियत काफी खराब थी, जिसके कारण आजम खान को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती कराया गया. अखिलेश के लिए इससे अच्छा मौका नहीं था आजम खान से मिलने का और अखिलेश यादव आजम खान से मिलने के लिए दिल्ली पहुंच जाते है. अखिलेश और आजम खान की मुलाकात करीब 2 घंटे चलती है और आजम खान वहीं रामपुर से सपा प्रत्याशी के नाम की लिस्ट अखिलेश को थमा देते है पर अखिलेश के मन में बिल्कुल नहीं था की आजमखान के द्वारा चुने प्रत्याशी को मैदान में उतारे पर उन्होनें न चाहते हुए भी रामपुर से आजमखान के चुने हुए प्रत्याशी आसिम राजा को मैदान में उतार दिया और आजमगढ़ से अपने भाई धर्मेंद यादव को मैदान में उतार दिया.       


दोनों ही जिलों के प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतर गये अपने अपने प्रचार में जुट गये. आजम खान नें कई जगह सभायें भी की और उनको पूरा भरोसा था की रामपुर की सीट आजम खान निकाल लेंगे क्योंकि आजम की सभायों में आजम का विश्वास तो कुछ ऐसा ही बोलता था आजम नें टाइगर इज बैक जैसे कई फिल्मी डायलॉग में भी मारे और चुनाव प्रचार ऐसे चलता रहा. पर हर किसी के मन में एक सवाल था की आखिर इन दोनों सीटों पर अखिलेश यादव प्रचार करते क्यो नजर नही आ रहे है जब की आजमगढ़ और रामपुर की दोनों सीटों पर बीजेपी के हर बड़े नेता साथ ही खुद यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ पहुंच रहे है पर अखिलेश कही नजर नही आ रहे है.


अखिलेश नें एक महीने पहले ही प्रचार न करने का मन बना लिया था.


अखिलेश यादव ने उस ही दिन दोनों सीटों पर प्रचार न करने का मन बना लिया थी जिस दिन आजम खान ने रामपुर से अपने प्रत्याशी के नाम की लिस्ट अखिलेश यादव कौ सौंपी थी अखिलेश यादव नही चाहते थे कभी भी आजम खान के द्वारा दिये हुए प्रत्याशी के नाम को फाइनल करना पर मजबूरी बोले या फिर राजनीतिक दबाव अखिलेश यादव ने आजमखान के द्वारा दिए हुए नाम को रामपुर से फाइनल कर दिया. अब बारी आती है चुनाव तैयारियों में जुटने की तो अखिलेश यादव ने इस तैयारी से दूरी बना ली. अखिलेश यादव का आजमगढ़ में चुनाव प्रचार करने का बहुत मन था क्योंकि वो सांसद रहे है वहां से और उनका भाई धर्मेंद यादव खुद वहां से चुनाव लड़ रहे थे और बोला ये भी जाता है भाईयों में धर्मेंद यादव अखिलेश यादव के सबसे प्रिय भाई है पर फिर भी अखिलेश उनके चुनाव प्रचार में नही गये क्योकि मन में रामपुर चल रहा था अखिलेश के.. अगर अखिलेश यादव आजमगढ़ चुनाव प्रचार में जाते तो उनको रामपुर भी चुनाव प्रचार में जाना पड़ता जो अखिलेश करना बिल्कुल नही चाहते थे. अखिलेश आजम खान को दिखना चाहते थे कि तुम्हारा टाइम गया रामपुर अब आजम खान वाला रामपुर बिल्कुल नही रहा. वैसा ही कुछ कल आये नतीजों में देखने को मिला और आजमगढ़ रामपुर की दोनों सीटों पर सपा को हार का सामना करना पड़ा और जीतने वोटों से दोनों जिलों में सपा की हार हुई अगर अखिलेश यादव इन दोनों जिलों में प्रचार के लिए खुद जाते तो शायद इन दोनों सीटों पर सपा को हार का मुंह नही देखना पड़ता.


रामपुर से बीजेपी प्रत्याशी घनश्याम सिंह लोधी ने जीत दर्ज की. घनश्याम सिंह लोधी को 367397 और आसिम राजा को 325205 मत मिले. आजमगढ़ से बीजेपी प्रत्याशी निरहुआ ने जीत दर्ज की. बीजेपी प्रत्याशी निरहुआ ने 8679 वोटों से जीत दर्ज की, निरहुआ को 312768 वोट मिलें तो वहीं धर्मेंद्र यादव को 304089 वोट मिलें. 


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)