देश में कोरोना टीकाकरण की धीमी रफ़्तार के बीच 'डेल्टा' वेरिएंट का बढ़ता कहर
Coronavirus vaccination: दुनिया के सौ से भी ज्यादा देशों में कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट ने अपना असर दिखाना शुरु कर दिया है और भारत में भी संक्रमण के मामले अचानक से बढ़ने लगे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि क्या केंद्र सरकार दिसंबर तक सबको वैक्सीन लगाने के अपने लक्ष्य को पूरा कर पायेगी? यह सवाल इसलिये क्योंकि मोदी सरकार ने जून की शुरुआत में यह दावा किया था कि इस साल के अंत तक देश के सभी 100 करोड़ लोगों को कोविड-19 की वैक्सीन मिल जाएगी. सभी 100 करोड़ लोगों का पूरी तरह टीकाकरण करने के लिए 200 करोड़ वैक्सीन डोज़ की ज़रूरत होगी, जो फ़िलहाल पूरी होते नहीं दिखती और शायद यही कारण है कि हमारे यहां टीकाकरण की रफ्तार भी धीमी है.
अब तक कुल 45 करोड़ 60 लाख लोगों को वैक्सीन लग चुकी है लेकिन इनमें से सिर्फ 9.99 करोड़ ही ऐसे हैं जिन्हें इसकी दोनों डोज़ मिल गई हैं. लिहाज़ा ये सोचने वाली बात है कि अगले पांच महीने में बाकी बचे 90 करोड़ लोगों को दोनों डोज़ देने के लक्ष्य को अगर पूरा करना है,तो उसके लिए सरकार को भरपूर मात्रा में सिर्फ दो नहीं बल्कि अन्य विदेशी वैक्सीन का स्टॉक भी जुटाना होगा. सरकार ने ये दावा किया है कि अगस्त से दिसंबर तक 108 करोड़ लोगों के लिए 216 करोड़ डोज़ उपलब्ध होगी. यानी इस हिसाब से भारत को हर महीने कम से कम 40 करोड़ वैक्सीन का उत्पादन करना होगा.
भारत में लगभग 94.5 करोड़ वयस्क हैं, इसके आधार पर भारत को 189 करोड़ डोज़ की ज़रूरत है. अगर वर्तमान गति से टीकाकरण जारी रहता है तो इतनी संख्या में सबको टीका लगने में ढाई से तीन साल तक का वक्त लग जाएगा. इसलिये बड़ा सवाल है कि सरकार अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए इन पाँच महीनों में क्या हर महीने 40 करोड़ वैक्सीन लगा सकेगी?
भारत में वेक्सीनेशन की धीमी रफ़्तार इसलिये भी ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि कोरोना के जिस डेल्टा स्वरुप ने लोगों पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया है,उसकी पहचान सबसे पहले भारत में ही की गई थी.अमेरिका के वैज्ञानिकों ने ये निष्कर्ष निकाला है कि डेल्टा वेरिएंट वायरस के अन्य सभी स्वरूपों की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और चेचक की तरह आसानी से फैल सकता है. अमेरिकी स्वास्थ्य प्राधिकार के एक आंतरिक दस्तावेज का हवाला देते हुए वहां के मीडिया में आई खबरों में ऐसा कहा गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के दस्तावेज में अप्रकाशित आंकड़ों के आधार पर दिखाया गया है कि टीके की सभी खुराकें ले चुके लोग भी बिना टीकाकरण वाले लोगों जितना ही डेल्टा स्वरूप को फैला सकते हैं.इसलिये आशंका जताई जा रही है कि ये पहले वाले वायरस की तुलना में ज्यादा ख़तरनाक हो सकता है. वैसे भी देश के कई छोटे शहर व कस्बे ऐसे हैं,जहां अभी भी लोगों में वैक्सीन लगवाने को लेकर डर बैठा हुआ है,लिहाज़ा केंद्र के साथ ही राज्य सरकारों को इसके लिए भी जागरूकता अभियान में तेजी लाने होगी.
हालांकि अमेरिका के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत न्यूयॉर्क का हाल भी कुछ भारत जैसा ही है,जहां बहुत सारे लोगों ने अब तक वैक्सीन की पहली डोज़ भी नहीं ली है.इसलिये वहां सरकार को ये लालच देना पड़ा है कि पहली डोज़ लेने वाले हर व्यक्ति को एक सौ डॉलर यानी करीब 7500 रुपये दिए जाएंगे और इस योजना को शुक्रवार से लागू कर दिया गया है.जागरूकता लाने के लिये ऐसा ही कोई प्रलोभन देने का ऐलान हमारी सरकारें भी क्यों नहीं कर सकती हैं?