देश में मंदिर-मस्जिद के झगड़े ने हम सबका ध्यान बढ़ती हुई महंगाई व बेरोजगारी से तो हटा ही दिया है, लेकिन अब यूपी की सियासत और वहां के माहौल को भी कोई नई धार मिलने के कयास लगाये जा रहे हैं. इसलिए कि समाजवादी पार्टी के एकमात्र मुस्लिम कद्दावर नेता आज़म खान को 27 महीने तक जेल में रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत देकर फिलहाल तो आजाद ही कर दिया है.
लेकिन जेल से उनकी ये आज़ादी सपा की राजनीति को लेकर बहुतेरे सवाल भी खड़ी करती है. वह इसलिए कि मुस्लिम वोटों की बदौलत पहले मुलायम सिंह यादव औऱ फिर उनके सुपुत्र अखिलेश यादव को सत्ता का स्वाद चखाने वाले आज़म की रिहाई के वक़्त उन्हें लेने के लिए अखिलेश नहीं बल्कि उनके चाचा शिवपाल यादव मौजूद थे. इसलिए कयास लगाये जा रहे हैं कि शिवपाल,आजम के साथ मिलकर क्या कोई माया सियासी मोर्चा बनाने की तैयारी में हैं.वैसे भी शिवपाल ही अकेले ऎसे नेता हैं,जो यूपी चुनाव के वक़्त भी सपा को इसके लिए लताड़ चुके हैं कि उसने आज़म खान के मामले को कोई तरजीह नहीं दी और इसे एक बड़ा मुद्दा नहीं बनाया.शिवपाल ही सबसे पहले आजम से मिलने के लिए जेल भी गए थे.
जेल से रिहाई के बाद अपने घर रामपुर पहुंचे आजम खान ने अखिलेश यादव को लेकर पूछे गए सवाल पर चुप्पी साधी. लेकिन इशारों ही इशारों में आजम ने जमकर हमला भी बोला शेरों-शायरी के जरिए उन्होंने कहा, "मेरी तबाहियों में मेरे अपनों का हाथ रहा." उन्होंने कहा, जेल में उन्हें एनकाउंटर की एक दारोगा ने धमकी भी दी थी. जमानत को लेकर आजम ने कहा मैंने यह साबित करने की कोशिश की थी कि मेरी ईमानदारी संदिग्ध नहीं है. मुझे सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिला.
लंबे अर्से बाद समर्थकों के बीच पहुंचे आजम ने इशारों ही इशारों में सपा मुखिया अखिलेश यादव पर निशाना साधा.आजम इधर, अखिलेश से काफी नाराज चल रहे हैं. उनके परिवार ने पहले ही उपेक्षा का आरोप लगाकर साफ कर दिया था कि अखिलेश यादव पार्टी के दिग्गज नेता का भरोसा खो चुके हैं.आजम ने कहा कि ज्यादा जुल्म अपनों ने ही किया है.उन्होंने यहां तक कहा कि दरख्तों की जड़ों में अपनों ने ही जहर डाला है.
घर पर उमड़ी भीड़ का शुक्रिया अदा करते हुए आजम ने कहा कि उनके परिवार के साथ जो-जो जुल्म हुए,वे उन्हें भूल नहीं सकते. उन्होंने कहा-मेरे शहर को उजाड़ दिया था, सिर्फ इसलिए कि यहां तुम्हारी आबादी है.तारीख को तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है लेकिन भुलाया नहीं जा सकता. दरअसल,अब यूपी की राजनीति नए मोड़ ले सकती है, क्योंकि आजम खान समर्थक अखिलेश यादव से नाराज चल रहे हैं. वहीं, शिवपाल यादव से लेकर दूसरे तमाम दल के नेता आजम खान को अपने पाले में लेने की कवायद में हैं. आजम के करीबियों का आरोप रहा है कि पार्टी के लिए खून-पसीना बहाने वाले मुस्लिम नेता की रिहाई के लिए अखिलेश यादव ने कोई प्रयास नहीं किया.
आजम खान मामले में अखिलेश यादव की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर आजम खान की पत्नी तंजीन फातिमा बोली वो आपके सामने है. मैं तो उनके (अखिलेश यादव) बारे में कुछ नहीं कहना चाहती हूं. आजम खान को न्याय मिला है, जिन लोगो ने हमारा साथ दिया है, घर आकर हमारी हिम्मत बढ़ाई है उनकी मैं शुक्रगुजार हूं.
आजम खान सिर्फ सपा के ही नहीं बल्कि यूपी के बड़े मुस्लिम नेता माने जाते हैं.इस विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने सपा के पक्ष में एकजुट होकर वोटिंग की थी, लेकिन चुनाव के बाद मुस्लिमों को तवज्जो नहीं मिली. इसलिये मुस्लिमों की अनदेखी का आरोप अखिलेश यादव पर लगता रहा है. ऐसे में 10 बार के विधायक और लोकसभा-राज्यसभा के सांसद रह चुके आजम खान को रिहाई यूपी की सियासत में बेहद मायने रखती है.मुस्लिमों के बीच सपा का सियासी आधार बढ़ाने में आजम खान की अहम भूमिका रही है. इसीलिए आजम खान को साधने के लिए शिवपाल यादव लगातार कोशिश कर रहे हैं.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)