श्रीलंका के खिलाफ पिछले वनडे मैच की कुछ तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं. लगातार हार से नाराज फैंस का मैदान में बोतल फेंकना, अंपायरों को मैच का रूकवाना, धोनी का मैदान में आराम से बैठकर रोहित शर्मा से बात करना...यहां तक कि सर नीचे करके सो जाना. ये तस्वीरें दोनों टीमों के खिलाड़ियों और फैंस की मन:स्थिति को बताती हैं.
एक टीम जो 26 जुलाई से शुरू हुई टेस्ट सीरीज के बाद से एक अदद जीत के लिए तरस रही है और दूसरी टीम जो लगातार जीत रही है. दिलचस्प बात ये है कि लगातार हारने वाली टीम मेजबान टीम श्रीलंका है. लिहाजा वहां के क्रिकेट फैंस को निराशा भी लगातार हुई है, जो स्वाभाविक है. ये निराशा इस कदर है कि पल्लेकेले में तीसरे वनडे में भारतीय टीम जब जीत के बिल्कुल करीब थी तब मैच को आधे घंटे से ज्यादा समय के लिए रोकना पड़ा. मैदान में दर्शकों ने पानी की बोतलें फेंकना शुरू कर दिया था. ऐसी तस्वीरें आम तौर पर कम ही दिखाई देती हैं.
1996 विश्व कप में इसी श्रीलंका के खिलाफ भारतीय टीम की बुरी हालत होने पर कोलकाता के इडेन गार्डेन्स में ऐसा ही हुआ था. कटक में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में भी ऐसी तस्वीरें देखने को मिल चुकी हैं. हालांकि करीब 35 मिनट बाद तीसरा वनडे फिर से शुरू कराया गया जिसे भारतीय टीम ने आसानी से जीत लिया. इस जीत के साथ ही टीम इंडिया ने टेस्ट सीरीज के बाद वनडे सीरीज भी अपने नाम कर ली.
मुश्किल दौर से गुजर रही है श्रीलंका की टीम
श्रीलंका की टीम शायद अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. एक के बाद एक हार, खिलाड़ियों को लगी चोट, आईसीसी का प्रतिबंध. सब कुछ मुसीबतों का पहाड़ बनकर श्रीलंकाई टीम पर एक साथ ही टूटा है. तीन साल पहले 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ मिली वनडे सीरीज की जीत को छोड़ दिया जाए तो उसके बाद श्रीलंकाई टीम के पास गिनाने के लिए कोई बड़ी जीत नहीं है.
पिछले तीन साल में श्रीलंका ने वेस्टइंडीज और आयरलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज जीती है. इसके अलावा जिम्बाब्वे में खेली गई एक ट्राएंगुलर सीरीज में उसे जीत मिली थी. जिसमें वेस्टइंडीज तीसरी टीम थी. 2016 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में मिली जीत के बाद श्रीलंका के खाते में कोई बड़ी टेस्ट जीत भी नहीं है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीतने के बाद श्रीलंका ने दो टेस्ट सीरीज जीती है. दोनों ही टेस्ट सीरीज जिम्बाब्वे के खिलाफ थी.
कुल मिलाकर हालात ऐसे हैं कि श्रीलंका की टीम टेस्ट और वनडे दोनों में अपनी छवि पर खरी नहीं उतरी है. इसकी वजह है वो ‘ट्रांजिशन’ जो श्रीलंका की टीम में पिछले पांच साल में आया है. जहां उसके कई नामी गिरामी खिलाड़ियों ने खेल को अलविदा कहा है. ये लगभग वैसी ही स्थिति है जैसी 90 के दशक में वेस्टइंडीज की टीम के साथ हुई थी.
क्रिकेट फैंस को देना होना टीम का साथ
सवाल ये है कि मुश्किल में श्रीलंकाई टीम का साथ कौन देगा? इस सवाल का जवाब बड़ा आसान है, दुनिया की दूसरी टीमें तो श्रीलंका का साथ देंगी नहीं. ऐसे में सबसे पहले श्रीलंकाई टीम के साथ उसके फैंस को खड़ा होना होगा. उन फैंस को जिन्होंने अपनी टीम के विश्व चैंपियन बनने पर जश्न मनाया था. उन फैंस को जिन्होंने टी-20 विश्व कप जीतने के बाद जमकर खुशियां मनाई थी.
आज जरूरी है कि क्रिकेट फैंस मैदान में नाराजगी जाहिर करने की बजाए अपनी टीम का हौसला बढ़ाएं. जीत-हार की परवाह किए बिना अपने खिलाड़ियों के हर छोटे-बड़े प्रदर्शन की तारीफ करें. याद कीजिए जब श्रीलंका में सुनामी आया था तो सनथ जयसूर्या की मां को वहां के आम लोगों ने ही बचाया था. ये वो लोग थे जिन्हें अपने स्टार और इस खेल से प्यार था. अब हार की सुनामी से अपनी टीम को निकालने के लिए भी फैंस को एकजुट होना पड़ेगा.
अगर ऐसा नहीं हुआ तो श्रीलंका की टीम की हार का सिलसिला और लंबा खींचेगा क्योंकि हार का खौफ तो पहले से ही टीम के खिलाड़ियों में दिखाई दे रहा है अगर उनके दिलो-दिमाग में फैंस की नाराजगी का डर भी बैठ गया तो यकीन मानिए हालात बद से बदतर हो जाएंगे.
मुसीबतों के पहाड़ से निकलने में घरेलू फैंस को ही देना होगा श्रीलंकाई टीम का साथ
शिवेन्द्र कुमार सिंह
Updated at:
29 Aug 2017 06:25 PM (IST)
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