'राहुल गांधी की सज़ा पर रोक से पार्टी कार्यकर्ताओं में बढ़ेगा उत्साह, झूठा प्रचार हुआ एक्सपोज'
आपराधिक मानहानि केस में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कन्विक्शन पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला स्वागत योग्य है. आप खुद सोच सकते हैं कि 160 से बने हुए कानून में किसी को भी मैक्सिमम सज़ा नहीं हुई है. सिर्फ संसद में राहुल गांधी की आवाज दबाने के लिए उनके खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र किया गया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अभी स्टे लगाया है. हम उम्मीद करते हैं कि अंत में सुप्रीम कोर्ट से वे पूरी तरह से आरोप मुक्त हो जाएंगे. इसको लेकर हम लोग पहले से भी आशान्वित थे.
ये पूरा मामला बोलने की आजादी से ही जुड़ा हुआ था. राहुल गांधी ने कोई गाली नहीं दी, कुछ नहीं किया. राहुल गांधी ने सिर्फ़ दो-तीन लोगों के नाम गिनाए, जिनका एक ही सरनेम था. उन पर ये मिथ्या आरोप लगा दिया गया कि उन्होंने इस नाम वाले सभी लोगों को गालियां दी हैं. उन्होंने उस सरनेम वाले सभी लोगों को गालियां दी हैं. ओबीसी का अपमान किया है और इस तरह की कई बातों को साजिश के तहत प्रचारित किया.
स्वाभाविक तौर से सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिली है. हम सबको पूरा भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट से जब फाइनल फैसला आएगा तो ये राहुल गांधी के ही पक्ष में होगा.
यहीं बात शुरू से हर व्यक्ति पूछ रहा था कि ऐसे मामलों में राहुल गांधी को अधिकतम सजा क्यों दी गई, जो पहले कभी किसी को नहीं दी गई थी. राहुल गांधी पहले व्यक्ति थे जिनको मानहानि के मामले में अधिकतम वाली जो सजडा है यानी दो साल की सज़ा सूरत कोर्ट से दी गई. उसके बाद 24 घंटे के भीतर राहुल गांधी की संसद की सदस्यता चली जाती है. उनका मकान खाली करा लिया गया.
पूरा देश देख रहा था कि ये राजनीतिक बदले की भावना से काम हो रहा है. जनतंत्र में किसी की आवाज दबाने के लिए ये सब किया जा रहा है. भारत दुनियाभर में अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए जाना जाता है.
जब सबसे बड़े कोर्ट ने ये बात कही है तो आत्म समीक्षा भी होगी कि क्यों मैक्सिमम सज़ा दी गई, कैसे मैक्सिमम सज़ा दी गई. इतने दिनों में एक व्यक्ति राहुल गांधी ने क्या ऐसा कह दिया कि उनको मैक्सिमम सज़ा दी गई. जब से सूरत की अदालत का फैसला आया था, इन सब मुद्दों पर देश के लोग काफी चिंतित थे. मैं समझता हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को जो फैसला सुनाया है, जो बातें कही है, वो न्यायपालिका पर देश के लोगों का भरोसा बहाली के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है.
जब इस तरह की सज़ा मिलती है तो एक जन प्रतिनिधि को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और सांसद होने के नाते राहुल गांधी जी को स्वाभाविक तौर से काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इतना होने के बावजूद भी राहुल गांधी अपनी बात पर अडिग रहे कि जो उन्होंने किया ही नहीं है, उसके लिए माफी क्यों मांगू. इसको करेज ऑफ कन्विक्शन कहते हैं. ये राहुल गांधी की ताकत को दर्शाता है कि अगर उनको भरोसा है कि वो सही हैं तो पीछे नहीं हटेंगे. इससे देश की नई पीढ़ी को बल मिलेगा.
आप संसद में कुछ कहना चाहते हैं और आपको नहीं कहने दिया जाता है. बाहर कही गई बातों को बहाना बनाकर आपकी संसद सदस्यता खत्म कराई जाती है. जाहिर है कि इस प्रकरण के बाद कई दूसरे जनप्रतिनिधि भी डर गए होंगे. नहीं भी डरे होंगे तो मन में शंका जरूर पैदा हुई होगी कि कहीं हम भी कुछ बोलेंगे तो मेरी भी सदस्यता चली जाएगी.
जनप्रतिनिधियों का काम सरकार से सवाल पूछने का है. मीडिया का काम सरकार से सवाल पूछने का है. भ्रष्टाचार का मामला हो या फिर किसानों की आमदनी कम होने का मामला हो, देश की आर्थिक स्थिति हो, महंगाई हो, बेरोजगारी हो..इन सब मसलों पर सरकार से सवाल पूछने का काम जनप्रतिनिधियों और मीडिया दोनों को है.
सरकार का काम है कि इनसे संज्ञान लेकर सुधार की दिशा में काम करे. मगर सरकार बदले की कार्रवाई करने लगेगी, 24 घंटे के अंदर सदस्यता खत्म करने की बात करने लगेगी, तो जनतंत्र से लोगों का विश्वास कम हो जाएगा. लोग डर जाएंगे. नई पीढ़ी के जो जनप्रतिनिधि हैं, उनको लगेगा कि हमें सरकार की आलोचना नहीं करनी चाहिए, जनता के सवाल नहीं उठाने चाहिए, नहीं तो सदस्यता चली जाएगी.
राहुल गांधी के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इस देश में जनतंत्र मजबूत होगा. हम समझते हैं कि राजनीति में जो युवा आए हुए हैं या आने वाले हैं, या आने की इच्छा रखते हैं..उनको बल मिलेगा, शक्ति मिलेगी. न्यायपालिका और जो राजनीतिक विरोधी हैं, उनको भी एक सबक मिलेगा कि आप कुछ भी कीजिएगा, अंतिम विजय न्याय की ही होगी.
इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है कि आज की तारीख में राहुल गांधी कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय नेता हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी कई बार खुलकर ये बात रखी है. स्वाभाविक रूप से सुप्रीम कोर्ट की ओर से राहुल गांधी के कन्विक्शन पर रोक से पार्टी को एक नई शक्ति मिलेगी. पार्टी में लोग थोड़े से विचलित थे कि पार्टी के सबसे लोकप्रिय नेता के खिलाफ सूरत की अदालत से फैसला हुआ था. सत्य की विजय हुई है तो स्वाभाविक तौर से पार्टी को एक नया उत्साह मिलेगा. नई पीढ़ी के पार्टी के युवा कार्यकर्ता काफी उत्साहित होंगे.
विपक्ष को लेकर जो एक झूठा प्रचार था, वो एक्सपोज हुआ है. कांग्रेस के कार्यकर्ता आंदोलित होकर अब और भी खुलकर सरकार के खिलाफ अपनी बात कहेंगे. जनता के जो मूल सवाल हैं, वो उठाएंगे. इसलिए पार्टी को भी इस फैसले से बहुत ज्यादा फायदा होगा.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]