यमुनानगर में एक लड़के ने अपने प्रिंसिपल को गोली मार दी. गुरूग्राम के स्कूल में एक छात्र ने बच्चे की हत्या कर दी. लखनऊ में सातवीं में पढ़ने वाली लड़की ने पहली क्लास के एक बच्चे को मारने की कोशिश की. सब हैरान हैं, परेशान हैं. आख़िर बच्चों को क्या हो गया है ? इसका जवाब भी मेरे पास है. आप सबको पता है. हर माता पिता को इसकी ख़बर है.
मामला लखनऊ के एक बड़े नामी गिरामी मिशनरीज़ स्कूल का है. बड़े बड़े अफ़सरों और नेताओं को यहां अपने बच्चों के एडमिशन के लिए पापड़ बेलने पड़ते हैं. पिछले हफ़्ते जब बच्चे प्रार्थना कर रहे थे तो इस स्कूल में सातवीं क्लास से 12वीं तक के बच्चों के बैग चेक हुए. बच्चों को बिना बताए क्लासरूम में टीचर उनके बैग की तलाशी ले रहे थे. चेकिंग में जो सामान मिले उससे तो टीचरों के होश उड़ गए. सात बच्चों के बैग से चाकू निकले. इनमें से छह तो किचेन वाले थे. लेकिन एक ऐसा भी चाक़ू था जिसका इस्तेमाल मीट काटने के लिए होता है. आम तौर पर कसाई इसे अपने पास रखते हैं.
पूछताछ में बच्चों ने जो बताया उसके बाद तो टीचरों के पांव के नीचे से ज़मीन ही खिसक गई. चार बच्चों के अपने ही स्कूल के लड़कों से झगड़ा हो गया था. उन्हें सबक सिखाने के लिए वे अपने बैग में चाकू रखने लगे थे. एक ने तो अपने दुश्मन बने ऐसे दोस्त को मारने की प्लानिंग भी कर ली थी. ये काम कैसे किया जाए, इसके लिए इस लड़के ने यूट्यूब पर कई क्राइम स्टोरी देख ली थी. एक दूसरा बच्चा जो नौवीं क्लास का छात्र था, कुछ दिनों पहले ही एक सीनियर से उसका झगड़ा हुआ था. चाकू के दम पर उसने अपने दोस्तों के सामने उस सीनियर को मुर्गा बनाया था.
जिस बच्चे के पास से कसाई वाली चाकू मिली थी, वो गणित के टीचर से बदला लेना चाहता था. 11वीं में पढ़ने वाले इस लड़के को क्लास में कई बार सज़ा मिल चुकी थी. गणित के टीचर कभी उसे बेंच पर खड़ा कर देते थे, तो कभी उस पर चॉक फेंक देते थे. टीचर उसका कान भी ऐंठ देते थे. बस इसी बात पर वो नाराज़ था. वो अपने गणित पढ़ाने वाले सर का कान काटना चाहता था.
कुछ बच्चों के पास से मोबाइल फ़ोन मिले, तो कई लड़कों के बैग से लव लेटर निकले. एक बच्चे के पास से मोटर साइकिल की मोटी चेन भी मिली. इन सभी बच्चों के माता पिता को स्कूल बुलाया गया. सारी बातें बताई गईं. दो घर वाले तो ये मानने को तैयार ही नहीं थे कि इनका बच्चा ऐसा भी कर सकता है. शायद आपको भी पता नहीं हो कि आपके राजदुलारे, आपकी आँखों के तारे आपके पीठ पीछे क्या करते हैं. आप उन्हें पढ़ाई करने स्कूल भेजते हैं और वे हत्यारे बनने लगे हैं.
आप उनकी खुशियां खरीदने के बहाने ज़िंदगी में भाग रहे हैं. लेकिन बच्चे किसी और सपने की तलाश में हैं. आपके आसपास ख़तरे की घंटी बज रही है. लेकिन आप इसे सुनने को तैयार नहीं हैं. इसलिए गुज़ारिश है आप सब से हाथ जोड़ कर. रूकिए, सोचिए और समझिए अपने बच्चों को. उनके साथ हंसने, मुस्कुराने, रोने, गुनगुनाने और खेलने का मौका तो ढूंढिए और फिर देखिए कैसे बदलती है आपकी दुनिया और संवरते हैं आपके बच्चे. अभी तो स्कूल बैग से चाकू निकल रहे हैं. न जाने कल यही चाकू आपके सपनों और अपनों को छलनी कर दें.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)