नई दिल्ली : मुल्क में दाने-दाने के लिए जंग है, एक मुल्क में पानी की एक बूंद पर फसाद हो रहे हैं, एक मुल्क में महीने भर की कमाई से चार गुना ज्यादा खर्चे हैं, बच्चो का दूध इतना महंगा कि रेट सुनकर ही बीमारी पास आ जाये. एक किलो चिकेन के दाम इतने की मुर्गे को जिंदा रहने के लिए दुआ करने की जरूरत नहीं पड़ रही हैं, जानते है कौन हैं ये मुल्क? पाकिस्तान, वही पाकिस्तान जो धर्म के आधार पर हमसे अलग हुआ था. ये हालात दिल्ली से केवल 409 किलोमीटर दूर लाहौर के हैं. जहाँ महंगाई इतनी है कि दो वक्त के खाने का इंतजाम भी मुश्किल से हो रहा है.
पाकिस्तान की अवाम भूखे पेट गुजर बसर करने को मजबूर है. ये पाकिस्तान की बदहाली का हाल है, ये उस पाकिस्तान का हाल है जो खुद को न्यूक्लियर पावर कहता है, वो मुल्क जो खुद को इस्लामिक वर्ल्ड का खलीफा बताता रहा है. आज उस मुल्क की अवाम एक पाव चिकन खरीदने से पहले सौ बार सोच रही है.
IMF की शर्तों पर शहबाज सरकार करेगी सब्सिडी खत्म
खाने पीने के हर सामान की कीमत आसमान पर है, कुछ सामान सरकारी पॉलिसी से महंगे हुए हैं, और कुछ के दाम व्यापारियों ने बढ़ा दिए हैं, एक ही दिन में दूध के दाम 20 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ गए हैं. लोगों की दुश्वारियां यहीं खत्म नहीं हो रही हैं. MF की शर्तों को पूरा करने के लिए शहबाज सरकार ने कई सब्सिडी खत्म करने का ऐलान किया है. पाकिस्तान में बिजली के दाम 8 रुपए प्रति यूनिट तक बढ़ेंगे. निर्यातकों को दी जानेवाली 65 अरब रुपए की बिजली सब्सिडी खत्म की जाएगी. ये सब कुछ इसलिए किया जा रहा है ताकि IMF जल्द से जल्द पाकिस्तान को कर्ज मंजूर कर दे.
शहबाज सरकार के इन फैसलों के असर से महंगाई बढ़ी है तो दूसरी तरफ प्रोडक्शन कॉस्ट भी बढ़ी है. इसका असर ये हो रहा है कि कई फैक्ट्रियों में ताला लगने लगा है. पाकिस्तान में धागों के बड़े निर्मााता खालिद सिराज टेक्सटाइल मिल्स ने 31 मार्च के बाद मिल बंद करने का ऐलान किया है. टायर-ट्यूब बनाने वाली कंपनी घंधारा टायर एंड रबर कंपनी लिमिटेड ने 13 फरवरी प्रोडक्शन बंद कर दिया है.
कार कंपनी टोयोटा और सुजुकी ने पहले ही पाकिस्तान को अलविदा कह दिया है. लब्बोलुआब ये हैं कि आतंकियों की फैक्ट्री चलानेवाला पाकिस्तान अब पूरी तरह तबाह हो गया है. आम पाकिस्तानी दाने-दाने को मोहताज है और पाकिस्तान की सांसे अब पूरी तरह IMF के हाथों में है.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)