पाकिस्तान में एक तरफ जहां महंगाई चरम पर है तो वहीं दूसरी तरफ पेशावर में अफगानिस्तान सीमा के पास पुलिस हेडक्वार्टर के अंदर मस्जिद में दोपहर को नमाज के दौरान निशाना बनाकर किए गए आत्मघाती विस्फोट ये बताता है कि इस मुल्क के सामने समस्याएं कितनी गंभीर है. हालात अब वहां की सरकार के कंट्रोल में भी नहीं हैं. एक तो पॉलिटिकल लीडरशिप फेल है, उसका वहां पर किसी तरह का कोई असर नहीं है, न ही कोई सम्मान रह गया है. ये लोग भ्रष्टाचार में संलिप्त है, वो चाहे बात खुद वहां के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की करें या फिर उनके बड़े भाई नवाज शरीफ की. 


दूसरी बात ये है कि अर्थव्यवस्था की जो आज हालत हो गई है, उसका कोई रिकवरी प्लान भी नहीं है. प्लान बनाना भी आसान काम नहीं है. वर्ल्ड बैंक से इन्हें पैसा चाहिए, खासतौर से आईएमएफ से. अगर आईएमएफ लोन देगा तो फिर सऊदी और यूएई अन्य देश भी कह रहे हैं कि वे भी लोन दे देंगे.



लोन से बर्बाद हो रहा पाकिस्तान 


ये लोग सिर्फ लोन ले-लेकर मुल्क चला रहे हैं और कोई देश सिर्फ लोन से नहीं चलता है. इनके पास कोई डेवलपमेंट एजेंडा नहीं है. सिर्फ धार्मिक एजेंडा पर चला रहे थे और इस एजेंडा पर इनको काफी पैसा मिल रहा था. धार्मिक एजेंडा भी था सिर्फ आतंकवाद, इसकी वजह से इनको काफी पैसा अफगानिस्तान में मिल रहा था, जब से रशियन आए थे तब से. इनको अमेरिकन, सऊदी पैसा दे रहे थे, अलग-अलग कारणों से, क्योंकि सऊदी नहीं चाहता था कि सोवियत यूनियन वहां पर रहे.


दूसरी बात ये है कि कट्टरपंथी इस्लामिक को पाकिस्तान बढ़ावा दे रहा था, जिसे कारण सऊदी और पैसा दे रहे थे क्योंकि वो एंटी ईरान या एंटी परसियन थी. इस तरह से इनका काम चल रहा था. अब इसकी जरूरत नहीं है इतनी वेस्ट को फिलहाल और न ही सऊदी अरब को इतना जरूरत है.


पेशावर के पुलिस हेडक्वार्टर के अंदर मस्जिद में विस्फोट सरकार से नहीं बल्कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने कराया होगा. ये सूफी मस्जिद की मान्यता वाली मस्जिद होगी. व्यक्तिगत दुश्मनी इनमें आपस में बहुत ज्यादा है. इसके अलावा आईएसआई की तरफ से भी हमला कराए जाते रहे हैं. यानी ओवर ऑल देखें तो स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है.


जब मस्जिद में बम फटेगा को कौन निवेश करेगा


पाकिस्तान को उम्मीद है कि किसी तरह से दोबारा उनके पास पैसे आने लगे. जो लोग विदेशों में काम कर रहे हैं, उनसे पैसे आएं. वो चाहे सऊदी अरब हो या फिर अरब देश. उस पर बहुत उम्मीद है. लेकिन इस तरह से काम नहीं चलता है. मुल्क चलता है इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट से. रोजगार का जो सृजन करें. नहीं तो पैसा आया और खा गए. इतनी बार वर्ल्ड बैंक से लोन ले चुके हैं. आईएमएफ से लोन ले चुके हैं. कोई बाहर का निवेशक आने को तैयार नहीं है. जब मस्जिद में बम फटेगा तो फिर वहां पर कौन आएगा और कौन निवेश करेगा.


 चीन ने पाकिस्तान में इतने महंगे प्रोजेक्ट्स लगाए, उसके बाद ये उम्मीद थी कि पाकिस्तान में लोगों को काफी संख्या में रोजगार मिलेगा. लेकिन हुआ ठीक इसका उल्टा, सारे प्रोजेक्टस का फायदा पाकिस्तान उठा रहा है. बगैर सोचे-समझे पाकिस्तान ने पैसा ले लिया. ऐसी स्थिति में आज अगर इमरान खान खुद भी सत्ता में होते तो ने वे भी कुछ नहीं कर पाते. जब इमरान खान की गद्दी जाने लगी तो वे विकास की बात करने लगे. भारत के साथ दोस्ती की बात करने लगे.


लेकिन जब तक इमरान खान खुद सत्ता में थे इस दिशा में कुछ खास पहल नहीं की गई है. न टीम है न कोई प्लान है. एग्रीकल्चर से इनको कुछ पैसा मिल जाता था. लेकिन बाढ़ के चलते एक तिहाई पाकिस्तान डूब गया. लोग खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं. इस जटिल स्थिति में डर अराजकता फैलने का रहता है. आतंकी ग्रुप या अराजक तत्व इस स्थिति का वहां पर फायदा उठा सकते हैं.


[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]