ऐशगाह इसलिए क्योंकि इसी टी-20 फ़ॉर्मेट को शुरू शुरू में गेंदबाजों के लिए ‘कब्रगाह’ कहा जाता था. ये माना जाता था कि इस फॉर्मेट में तो बस गेंदबाजों की धुनाई होती है या यूं कहिए कि ये फॉर्मेट बना ही गेंदबाजों की धुलाई के लिए है. बड़े से बड़ा गेंदबाज इस फ़ॉर्मेट में गेंदबाजी करते वक्त घबराता था. सामने वाला बल्लेबाज बेशक अनुभवी हो ना हो लेकिन एक बार अगर गेंद लपेटे में आ गई तो सीधा बाउँड्री के बाहर ही दिखाई देती थी. बल्लेबाजों को भी पता होता था कि ज्यादातर मौकों पर उन्हें क्रीज पर पहुंचने के बाद धुआंधार शॉट्स लगाना शुरू करना है तो वो भी खुलकर खेलते थे.
फिर धीरे धीरे इस सोच में बदलाव आया. बदलाव लाने का श्रेय भी गेंदबाजों को ही जाता है. आईपीएल के पिछले कुछ सीजन में पूरी दुनिया ने देखा कि गेंदबाजों ने किस तरह मैचों में बाजियां पलटीं. गेंदबाजों ने किस तरह अपने 4 ओवर फेंकने के लिए रणनीति बनाई और बल्लेबाजों को बांध कर रखा. आखिर में अब कुछ समय से वो वक्त आ गया है जब ये कहा जा सकता है कि अगर गेंदबाज सूझबूझ से गेंदबाजी करे तो टी-20 फॉर्मेट अब ‘कब्रगाह’ नहीं बल्कि ‘ऐशगाह’ है. सटीक लाइल लेंथ और गेंदबाजी में ‘वेरिएशन’ ही गेंदबाजों का हथियार बन गया है.
भारत और इंग्लैंड के बीच हालिया टी-20 सीरीज में ये बात और अच्छी तरह साबित हो गई. जब सीरीज के तीन के तीनों मैचों में गेंदबाजों को मैन ऑफ द मैच का खिताब हासिल हुआ. इतना ही नहीं मैन ऑफ द सीरीज का खिताब भी गेंदबाज के खाते में ही आया.
तीन मैच तीन ‘मैन ऑफ द मैच’
बैंगलौर के चिन्नास्वामी स्टेडियम में जो हुआ वो पूरी दुनिया ने देखा. भारत ने इंग्लैंड को 75 रनों के बड़े अंतर से हराकर टी-20 सीरीज पर कब्जा किया. इंग्लैंड की टीम ने अपने 8 विकेट सिर्फ 8 रन पर खो दिए. इसके पीछे का श्रेय भारतीय गेंदबाजों को जाता है. यजुवेंद्र चहल ने करिश्माई गेंदबाजी की. उन्होंने 4 ओवर में 25 रन देकर 6 विकेट लिए. टी-20 फॉर्मेट में वो ये कारनामा करने वाले भारत के पहले गेंदबाज बन गए. लेकिन चहल के 6 विकेट के पीछे अमित मिश्रा की कसी हुई गेंदबाजी को भी श्रेय जाता है, जिन्होंने इंग्लिश बल्लेबाजों पर दबाव बनाया. इसी दबाव का फायदा चहल को मिला. अमित मिश्रा ने 4 ओवर में सिर्फ 23 रन दिए. खास बात ये है कि वो ऐसे समय में गेंदबाजी करने आए थे जब उनसे पहले इंग्लिश बल्लेबाजों ने सुरेश रैना के एक ही ओवर में 22 रन बटोर लिए थे. ऐसे वक्त में बल्लेबाजों को वापस बांधना मुश्किल होता है लेकिन अमित मिश्रा ने अपनी गेंदों में ‘वेरिएशन’ के जरिए इसी मुश्किल काम को किया.
बैंगलोर में चहल को मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज दोनों चुना गया. जिस मैच में भारत की तरफ से दो-दो धुआंधार अर्धशतक लगे हों वहां गेंदबाज के लिए स्टार बनना मुश्किल होता है लेकिन चहल की गेंदबाजी में वो सूझबूझ थी जिसका उन्हें इनाम मिला.
इससे पहले नागपुर में मिली चमत्कारिक जीत में भी गेंदबाजों का ही रोल था. 145 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही इंग्लैंड की टीम को जीत के लिए आखिरी दो ओवरों में 24 रन चाहिए थे. क्रीज पर बटलर और रूट जैसे दो अनुभवी बल्लेबाज थे. इंग्लैंड का पलड़ा भारी दिख रहा था. पारी का 19वां ओवर आशीष नेहरा ने किया. उस एक ओवर में इंग्लैंड ने 16 रन बना लिए यानि अब आखिरी ओवर में जीत के लिए सिर्फ 8 रन चाहिए था. अब इंग्लैंड की जीत पक्की लग रही थी. ऐसे वक्त में जसप्रीत बुमराह ने बिल्कुल करिश्माई गेंदबाजी की. उन्होंने अपने आखिरी ओवर में रूट और बटलर दोनों को पवेलियन की राह दिखाई और भारत को जीत दिला दी. ये काम कहीं से आसान नहीं था, लेकिन बुमराह ने गजब का वेरिएशन दिखाया और लाइन लेंथ पर काबू के साथ गेंदबाजी करके इंग्लैंड के हाथ से जीत छीन ली. केएल राहुल की 71 रनों की पारी पर उनका आखिरी ओवर भारी पड़ा और उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया.
इससे पहले सीरीज का पहला मैच कानपुर में खेला गया था. इग्लैंड ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी का न्यौता दिया. भारतीय टीम बहुत बड़ा स्कोर खड़ा करने में नाकाम रही. इसके पीछे इंग्लैंड के गेंदबाज मोईन अली की सूझबूझ भरी गेंदबाजी ही थी. उन्होंने 4 ओवर में सिर्फ 21 रन देकर 2 विकेट हासिल किए थे. ये दो विकेट इसलिए काफी कीमती थे क्योंकि इसमें विराट कोहली का विकेट भी शामिल था. नतीजा इंग्लैंड को सिर्फ 148 रनों का लक्ष्य मिला था, जो उसने मैच में 11 गेंद बाकि रहते ही हासिल कर लिया. इस जीत के साथ इंग्लैंड को सीरीज में बढ़त बनाने का मौका मिला था. उस मैच में मोईन अली मैन ऑफ द मैच थे. ये आंकड़े इस बात को बताते हैं कि अब टी-20 में भी गेंदबाज बड़े काम की चीज हैं.