भारत और तालिबान के बीच हाल के समय में संबंधों में काफी प्रगति देखी गई है. भारत, अफगानिस्तान के लोगों की मानवीय मदद के लिए लगातार प्रयास करता रहा है. हालांकि, भारत ने तालिबान को अभी तक मान्यता नहीं दी है. लेकिन, साफतौर पर ये दिखाई देता है कि भारत, अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए तालिबान के साथ एक वर्किंग इंगेजमेंट रखना रहा है. तालिबान के साथ भारत के इस वर्किंग इंगेजमेंट में भी अब प्रगति देखी जा रही है. भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री की अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मुत्ताकी से बातचीत हुई है, उससे दोनों देशों के संबंधों में और भी तेजी के साथ प्रगति हुई है.
भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार के आने के पहले से ही 3 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश किया था. चाहे बात अफगानिस्तान की संसद का निर्माण हो या फिर वहां की सड़कों का, पुलों का निर्माण और अन्य परियोजनाएं हों, इन सभी में भारत ने सक्रिय तरीके से अफगानिस्तान के निर्माण और विकास में अपनी भूमिका निभा रहा था.
लेकिन, जब अगस्त 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान की सरकार गिराई थी, उसके बाद भी भारत ने तालिबान की सरकार के होने और उसे मान्यता ना देने के बावजूद भी वहां के लोगों के लिए करीब 700 मिलियन डॉलर कि आर्थिक मदद मानवीय सहायता के तौर पर की. इन सभी चीजों से बिल्कुल ये स्पष्ट है कि भारत, अफगानिस्तान के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को बनाकर रखा हुआ है. तालिबान के साथ इस वर्किंग रिलेशनशिप में अब प्रगति देखी जा रही है.
वहीं तालिबान की तरफ से यह स्पष्ट है कि वो भारत के साथ अच्छे संबंध बनाकर रखना चाहता है. तालिबान के शासक अपनी सरकार के स्थायित्व के लिए अधिक से अधिक प्रयास कर रहे हैं. उस दिशा में वह भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं.
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री की अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्ताकी से बातचीत के बाद तालिबान सरकार की तरफ कहा गया कि भारत, तालिबान का महत्वपूर्ण क्षेत्रीय सहयोगी है. साथ ही, तालिबान की सरकार चाहे वह UAE ( संयुक्त अरब अमीरात ), चाहे वो सऊदी अरब हो सभी के साथ अपने संबंधों को विकसित कर रही है.
तालिबान की सरकार अपनी पहचान की तलाश में लगातार कोशिशें करती रही है. इसके साथ, तालिबान की सरकार को आर्थिक मदद की और मानवीय मदद की भी जरूरत है. ऐसे में तालिबान की सरकार भारत के साथ अच्छे संबंध चाहती है.
साथ ही, एक और बात स्पष्ट रूप से दिखाई देती है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के पाकिस्तान सरकार के साथ संबंध खराब हुए हैं. डूरंड लाइन पर बाड़ लगाने के पाकिस्तान के इस काम का तालिबान ने खुलकर कड़ा विरोध किया. अफगानिस्तान की किसी भी सरकार ने अब तक डूरंड लाइन को नहीं माना और मौजूदा वहां की तालिबान सरकार भी नहीं मान्यता दी है.
यही वजह है कि डूरंड लाइन पर पाकिस्तान की तरफ से लगाए जा रहे बाड़ के विरोध में अफगानिस्तान की तालिबान की सरकार और वहां सेना की आर्मी का पाकिस्तानी सेना से लगातार टकराव की भी स्थिति बनी हुई है.
अब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी जो तालिबान का ही एक संगठन है, उसकी वजह से पाकिस्तान के अंदर बड़े आतंकी हमले हो रहे हैं. इसकी वजह से पाकिस्तान की आर्मी, आईएसआई, पुलिस फोर्स पर काफी दबाव है. आने वाले समय में टीटीपी ने पाकिस्तान के अंदर और भी बड़े हमले की चेतावनी दी है.
ऐसे में ये साफ है कि तलिबानी की सरकार हो या फिर टीटीपी हो, उसकी वजह से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच काफी तनाव की स्थिति बन गई है. अब पाकिस्तान ने हाल में अफगानसिस्तान के प्रांत पटकिया में जिस तरह से हवाई हमले किए हैं, उसके बाद दोनों के बीच युद्ध की स्थिति बन गई है. इसके जवाब में तालिबान की तरफ से भी काउंटर हमले किए गए हैं.
इससे स्पष्ट कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध काफी तनावग्रस्त हैं. युद्ध जैसी स्थिति दोनों के बीच में है. ऐसे में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार की जानती है कि भारत और पाकिस्तान के संबंध सबसे निचले स्तर पर हैं. शांतिकालीन स्थिति में भी कोई बातचीत बंद है. ऐसे में तालिबान अगर भारत के साथ अपने संबंधों को और अधिक विकसित करता है तो रणनीतिक रूप से उसे पाकिस्तान के ऊपर दबाव बनाने में नि:संदेह मदद मिलेगी.
साथ ही, तालिबान अगर भारत के साथ अपने संबंधों को और अधिक बेहतर बनाता है तो रणनीतिक रुप से उसे पाकिस्तान के ऊपर दबाव बनाने में नि:संदेह मदद मिलेगी.
भारत की पाकिस्तान को लेकर नीति काफी सख्त है. भारत ने साफतौर पर कहा है कि जब तक पाकिस्तान पाकिस्तान आतंकी साजिशों को नई दिल्ली के खिलाफ बंद नहीं करता और आतंकियों के खिलाफ पुख्ता कार्रवाई करते नहीं दिखाता है, तब तक उससे बातचीत मुमकिन नहीं है. तालिबान सरकार भारत के इस स्टैंड को भलीभांति जानती है. इन सभई कारणों से पाकिस्तान के ऊपर एक दबाव बनाने की मंशा के तहत भी अफगानिस्तान की सरकार, भारत के साथ और अधिक संबंध को बेहतर चाहती है.
भारत के लिए ये भी ये रणनीति रुप से लाभदायक है कि पाकिस्तान अपने वेस्टर्न फ्रंट पर उलझा रहे ताकि आतंकवाद की जो साजिश वो नई दिल्ली के खिलाफ रचता है, जो घुसपैठ की साजिशें करता है, उससे उसका ध्यान भटके और अपने किए की सजा पाकिस्तान भुगते.
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