केंद्र पर हमले के लिए उठा रही कांग्रेस 'बैंक खाता फ्रीज' का मुद्दा, तुच्छ राजनीति छोड़ आत्ममंथन करे पार्टी
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से कांग्रेस के 'बैंक एकाउंट' फ्रीज करने के मामले में कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कई कांग्रेस के नेताओं ने करीब 50 मिनट की प्रेस-कांफ्रेंस की. सभी ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि केंद्र सरकार देश के मजबूत विपक्ष के बैंक एकाउंट को फ्रीज कर उसे कमजोर और पंगु बनाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में देश में स्वतंत्र और साफ-सुथरे चुनाव कैसे संभव है? दूसरी ओर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस हार के डर से एक बहाना सामने ला रही है.
तानाशाही या कानून का काम करना
चुनाव के दौरान पार्टियां जरूरी संसाधन का इस्तेमाल कर सकें, नेताओं की व्यवस्था सुगम हो, इन सभी की व्यवस्था करना चुनाव आयोग की जिम्मेवारी है. इसका अवसर सभी को मिलना चाहिए. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने एक साथ प्रेस वार्ता की और सभी ने वर्तमान सरकार पर आरोप लगाया है कि देश में डिक्टेटरशिप है. दूसरे पार्टियों को काम नहीं करने दिया जा रहा है. बैंक खाता को फ्रीज कर दिया गया है काम करने में कठिनाई हो रही है. हालांकि, कांग्रेस काम कर रही है. अगर सरकार ने आईटी डिपार्टमेंट से ऐसा कहकर खाता फ्रीज करवाया है तो ये गलत है और पूरा देश इसका विरोध करेगा. ऐसा राजनीति में होना भी नहीं चाहिए. हालांकि, ये कितना सच है क्योंकि सोनीया गांधी ने कहा कि 285 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कांग्रेस नहीं कर पा रही है. बैंक खाता को फ्रीज कर दिया गया है. अभी जो इलेक्टोरल बांड आया है उसमें भी भ्रष्टाचार हुआ है. इसमें चुनाव आयोग भी कुछ नहीं बोल रहा है. कई आरोप कांग्रेस ने ऐसे लगाए हैं. जिसके सुनने के बाद ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी अपनी कठिनाइयों पर बात तो कर रही है, लेकिन उसका निशाना कठिनाई को दूर करने और समस्या के समाधान से ज्यादा सरकार को दोषी ठहराने की ओर है कि सरकार उनको चुनाव लड़ने से रोक रही है. शायद ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है कि अगर कांग्रेस को चुनाव में कोई अच्छा परिणाम नहीं आया तो कांग्रेस के पास एक बनी-बनाई आधार-भूमि रहेगी.
इनकम टैक्स और फ्रीज बैक एकाउंट
राहुल गांधी ने बयान दिया है कि सरकार ने बैंक एकाउंट को फ्रीज कर दिया, लेकिन किसी भी कोर्ट में सरकार ने चूं तक नहीं की. देश के 20 प्रतिशत लोगों ने कांग्रेस को वोट दिया है. कांग्रेस उन लोगों का प्रतिनिधित्व करती है. कांग्रेस का बैंक खाता ही नहीं बल्कि देश के लोकतंत्र को फ्रीज किया गया है. राहुल गांधी हमेशा देश में लोकतंत्र ना होने की दुहाई देते रहते हैं, लेकिन पहले ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिरकार बैंक एकाउंट फ्रीज क्यों किया गया? अगर बैंक खाता कानून की दृष्टि से इनकम टैक्स नहीं देते है, कागजात फाइल नहीं करते हैं तो इस प्रकार की कार्रवाई की जाती है. इनकम टैक्स ने 13 फरवरी को इनकम टैक्स के कागजात फाइल ना करने के कारण 105 करोड़ का बकाया टैक्स ना जमा करने का नोटिस और वसूली करने का नोटिस भेजा था और 210 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था. उसके बाद वे कोर्ट गए. बाद में पता चला कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कांग्रेस के खाता को फ्रीज कर दिया है. 16 फरवरी को कांग्रेस ने आरोप लगाया तो इनकम टैक्स ने खाता को डिफ्रीज कर दिया. उसके बाद कांग्रेस ने फिर आरोप लगाया कि उन्हें कहा जा रहा है कि हर समय वो अपने खाते में 115 करोड़ रूपये रखें. उसके बाद आईटी पर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 65 करोड़ रुपये खाता से निकाल लिया है. पहले कोर्ट और फिर हाइकोर्ट से कांग्रेस की याचिका को खारिज कर दिया गया.
हाइकोर्ट ने याचिका की खारिज
अगर सरकार के इशारे पर इनकम टैक्स काम करती तो हाइकोर्ट याचिका क्यों खारिज करेगी? इसका मतलब कहीं न कहीं कोई गड़बड़ी की हुई है. हाइकोर्ट ने कहा है कि पहला नोटिस 2021 में मिला उसके बाद कांग्रेस ने कोई जवाब नहीं दिया, जनवरी 2023 में भी नोटिस पर जवाब नहीं दिया. ये तीन साल के टैक्स के एसेसमेंट की कार्रवाई की गई है. 2014-15, 2015-16 ,2016-17 का ये मामला है. हालांकि अभी याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर है और वो सुनवाई के लिए सुरक्षित रखा गया है. हाइकोर्ट से अगर राहत नहीं मिल रही है तो आगे शायद मुश्किल है. अगर इनकम टैक्स ने गलत कर के फ्रीज किया है तो कार्रवाई होगी, लेकिन अभी ये कोर्ट का मामला है. हालांकि, कांग्रेस ने इनकम टैक्स के नोटिस को शायद हल्के में ले लिया. इससे पहले राहुल गांधी ने भी गुजरात में चल रहे मानहानि के केस को गंभीरता से नहीं लिया था, उसके बाद कार्रवाई हो गई. बाद में जब वह लड़े तो सजा पर रोक लग गई. चीजों को सीरियसली ना लेना कांग्रेस पार्टी का दोष है. भाजपा को पता है कि सरकारें आती-जाती रहती हैं. सत्ता आज किसी और के पास है तो कल किसी और के पास होगा. अगर प्रतिशोध की भावना से ऐसा करेंगे तो कल उनके साथ भी ऐसा हो सकता है. ऐसा सरकार नहीं करेगी. अगर है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए. मगर देश में लोकतंत्र नहीं है ये कहने से बचना चाहिए.
कांग्रेस को मिला बांड से चंदा
अगर बैंक एकाउंट फ्रीज होने की बात है तो सबसे अधिक पैसा तो टीएमसी और बीआरएस के पास बताया जाता है, तो उनके खाता क्यों नहीं फ्रीज किए जा रहे. हालांकि, कुछ विपक्षी पार्टियां इलेक्टरोल बांड में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा रही है. ये कहना हर तरीके से गलत या सही नहीं हो सकता क्योंकि जो भी कॉरपोरेट कंपनियां है उन्होंने पार्टियों और सरकारों को चंदा दिया है तो उसका फायदा नहीं मिला होगा. इनमें सभी पार्टियों को चंदा मिला है. उसमें कांग्रेस भी शामिल है. कांग्रेस से ज्यादा टीएमसी और बीआरएस को मिल रहा है तो क्या कांग्रेस उद्योगपतियों का विश्वास जीतने में नाकामयाब रही. ये तो कांग्रेस को आत्ममंथन करने की जरूरत है. हर बात के लिए सरकार और नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराने से कांग्रेस को कोई लाभ नहीं होने वाला . कांग्रेस को खुद ये सोचना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है. एजेंसियों द्वारा एकाउंट को फ्रीज कर दिया जा रहा है, कोर्ट उनकी याचिका को खारिज कर दे रहा है. राष्ट्रीय पार्टी के होने के बावजूद राज्य स्तर के पार्टी को उनसे अधिक चंदा क्यों मिल रहा है.
लोग चाहते हैं कि कांग्रेस एक सक्रिय और सशक्त पार्टी रहे, ताकि भाजपा के समानांतर काम कर सके. देश के लिए वो सकारात्मक राजनीति करें. कांग्रेस कई बार ऐसे मुद्दे उठाती है तो राष्ट्र और देश के विरुद्ध चला जाता है. राहुल गांधी हिंदू धर्म को लेकर कई बार गलत बोल जाते हैं. इस पर कांग्रेस को मंथन करने की जरूरत है. देश में आज कांग्रेस की स्थिति बहुत ही खराब है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि अगर कांग्रेस चुनाव लड़ना चाहें तो उसे पैसे की कमी हो जाए. बस इस मुद्दे को एक तरह से हवा दी जा रही है.
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