एक्सप्लोरर

15 मिनट, 15 सेकेंड में देखने-दिखाने वाली हिंसक भाषा पर रोक लगनी चाहिए

कुछ साल पहले एक नेता ने अपने भाषण में कहा कि अगर 15 मिनट के लिए पुलिस हटा ली जाए तो वह..... पांच साल पहले भी उसी नेता ने वही बयान याद दिलाते हुए कहा, "याद रखो दुनिया उसी को डराती है, जो डरता है. दुनिया उसी से डरती है, जो डराना जानता है...." नेता ने आगे कहा, "सौ सुनार की एक लोहार की, 15 मिनट ऐसा दर्द है जो अभी भी नहीं भर सका है." अभी कुछ दिन पहले उस नेता के बयान का हवाला देते हुए एक महिला नेता ने कहा कि 15 मिनट क्या 15 सेकेंड मिल जाएं तो.....उसके बाद उस नेता के बड़े भाई जो खुद भी नेता हैं, ने कहा कि उन्होंने अपने छोटे भाई को रोक रखा है वरना.....जब एक पत्रकार ने एक और बड़े नेता से पूछा कि आपकी पार्टी के नेता ने कहा है कि उन्हें बस 15 सेकेंड चाहिए तो बड़े नेता ने पलटकर पूछा कि उन्होंने क्या गलत कहा! 

राजनेताओं के जहरीले बयान

जाहिर है कि इन नेताओं में से किसी ने भी किसी तरह की युद्धकला या कुश्ती या मुक्केबाजी इत्यादि में महारत हासिल नहीं की है. इन सभी बयानों में ये नेता खुद को अपने-अपने समुदाय का प्रतिनिधि मानते हुए दूसरे समुदाय को देख लेने, दिखा देने की बात कर रहे हैं. सामुदायिक टकराव की खुली खेती वर्तमान राजनीति की दुखती रग बन चुकी है.  जनप्रतिनिधियों की 15 मिनट या 15 सेकेंड में देखने-दिखाने वाली भाषा देशहित में कतई नहीं है. 

गनीमत है कि अभी तक ये नेता पुलिस के हटने पर देखने-दिखाने की बात कर रहे हैं, लेकिन देश का इतिहास गवाह है कि जब-जब विभिन्न समुदायों को अंदर-अंदर या खुलेआम देखने-दिखाने के लिए चार्ज किया जाता रहा है तो उसका नतीजा देर-सबेर सामने आता है. नाजुक मौकों पर विभिन्न समुदायों के सदस्य भीड़ के रूप में एक दूसरे को सबक सिखाने के मकसद से सड़क पर उतर आते हैं जिसमें भारी संख्या में जानोमाल का नुकसान होता है. 

लोकतंत्र, जनमत और बाहुबल

लोकतंत्र जनमत से चलता है, बाहुबल से नहीं यह बात हमारे नेता भूलते जा रहे हैं. भारत के ज्यादातर सामुदायिक टकराव के बीज इतिहास के गर्भ से निकले हैं लेकिन ऐसी हिंसक भाषा विवादित मुद्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि सामान्य चुनावी भाषणों में शामिल हो चुकी है. ऐसी उकसाने वाली भाषा अपना वर्चस्व दिखाने के लिए प्रयोग की जाती है. हमारे देश के दो सबसे बडे़ धार्मिक समुदायों के नेताओं द्वारा ऐसी हिंसक भाषा सबसे ज्यादा प्रयोग की जाती है. बाकी छोटे समुदाय इन दोनों के टकराव के सहमे हुए चश्मदीद बनकर जीने को अभिशप्त हैं.  

पिछले सौ साल में भारत में हुए साम्प्रदायिक टकराव का इतिहास देखें तो साफ हो जाता है कि ऐसे टकराव की लोकेशन भले बदलती रही हो, उसका चरित्र नहीं बदलता है. जिन इलाकों में जो समुदाय ज्यादा संख्या में हैं, वे वहां पर ज्यादा आक्रामक दिखते हैं. जो धार्मिक समुदाय देश के सभी इलाकों में अल्पसंख्यक हैं, वे कभी भी ऐसे हिंसक टकराव में शामिल नहीं होते. इससे जाहिर है कि यह लड़ाई कमजोर बनाम ताकतवर की नहीं है बल्कि, जो जहां ताकतवर है, वहाँ दूसरे को दबाने की मानसिकता का परिणाम है.  

चुनाव आयोग कसे कमर

भारतीय लोकतंत्र के अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह जरूरी हो चुका है कि चुनाव आयोग ऐसे हिंसक बयानों पर लगाम लगाए और जो नियमों का उल्लंघन करे, उसके चुनाव लड़ने पर रोक लगाए. ऊपर जान-बूझकर किसी पार्टी या किसी नेता का नाम नहीं दिया गया है क्योंकि ऐसे मुद्दों पर किसी एक का नाम लेने पर तुरंत उसके समर्थक कहते हैं, पहले उनको समझाओ, फिर हमारे पास आओ. ऐसे में किसी एक-दो को समझाने के बजाय इस समस्या का संवैधानिक उपचार करना चाहिए. नहीं तो विभिन्न समुदाय अंदर ही अंदर एक-दूसरे को देखने-दिखाने की भावना से भरे रहेंगे जिसका नतीजा गाहे-बगाहे हिंसक टकराव के रूप में सामने आता रहेगा, जिसकी कीमत देश चुकाता रहेगा. 

सामाजिक समरसता और शांति किसी भी देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए जरूरी है. सभी समुदायों के नेताओं को अपने समर्थकों को विवादित मुद्दों पर न्यायालय को मध्यस्थ मानने की सीख देनी चाहिए. एक प्रवृत्ति यह भी दिखती है कि न्यायालयको मध्यस्थ मानने वाले भी प्रतिकूल निर्णय आने पर दुबारा हिंसा की धमकी देने के कुटैव पर लौट जाते हैं. अगर किसी को मध्यस्थ न माना जाए तो सामाजिक टकराव का कभी अंत नहीं होगा. 

किसी को मध्यस्थ न मानने और मान लेने के बाद मध्यस्थ की बात न मानने की प्रृवत्ति का कुपरिणाम समुदायों के बीच अनवरत टकराव के रूप में सामने आएगा जो किसी भी लिहाज से देशहित में नहीं है. समाज में मौजूद हिंसक प्रवृत्तियों को रोकना है तो सबसे पहले हमारे नेताओं को हिंसक भाषा का इस्तेमाल करना बंद करना होगा. तभी हम एक स्वस्थ और समृद्ध लोकतंत्र का निर्माण कर पाएंगे. वरना, अपनी ऊर्जा और संसाधन आपस में एक दूसरे को देखने-दिखाने में खर्च करते रह जाएंगे.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

Indian vs Gibraltar Currency: अमेरिका, कनाडा या खाड़ी नहीं,  जिब्राल्टर बना देगा आपको करोड़पति, करेंसी की वैल्यू भारत से बहुत आगे
अमेरिका, कनाडा या खाड़ी नहीं, जिब्राल्टर बना देगा आपको करोड़पति, करेंसी की वैल्यू भारत से बहुत आगे
'कुछ लोग मानसिक संतुलन खो बैठे हैं', ऑपरेशन सिंदूर को लेकर CM देवेंद्र फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री को घेरा
'कुछ लोग मानसिक संतुलन खो बैठे हैं', ऑपरेशन सिंदूर को लेकर CM देवेंद्र फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री को घेरा
Akhanda 2 BO Day 7: धुरंधर के आगे अब 'अखंडा 2' पड़ रही फिकी, 7वें दिन किया अब तक का सबसे कम कलेक्शन, फिर भी 100 करोड़ी बनने से रह गई इतनी दूर
धुरंधर के आगे अब 'अखंडा 2' पड़ रही फिकी, 7वें दिन किया अब तक का सबसे कम कलेक्शन
Ricky Ponting Birthday: एक महान क्रिकेटर और कप्तान, रिकी पोटिंग होना क्यों मुश्किल है, जानिए
Ricky Ponting Birthday: एक महान क्रिकेटर और कप्तान, रिकी पोटिंग होना क्यों मुश्किल है, जानिए
ABP Premium

वीडियोज

किराया मांगने पर...सजा-ए-मौत
Bollywood News:बॉलीवुड गलियारों की बड़ी खबरे | KFH
अभद्र टिप्पणी से मचा तूफान, Syed Imtiaz Jaleel बोले– 'हाथ तोड़ देंगे' | Nitish Hizab Controversy
Mangal Lakshmi:Adit और Kusum निकले Georgia की गलियों में सैर के लिए #sbs
Janhit with Chitra Tripathi: हे राम.. बापू पर कागज फेंक घमासान! | VB-G RAM G Bill | MGNREGA

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Indian vs Gibraltar Currency: अमेरिका, कनाडा या खाड़ी नहीं,  जिब्राल्टर बना देगा आपको करोड़पति, करेंसी की वैल्यू भारत से बहुत आगे
अमेरिका, कनाडा या खाड़ी नहीं, जिब्राल्टर बना देगा आपको करोड़पति, करेंसी की वैल्यू भारत से बहुत आगे
'कुछ लोग मानसिक संतुलन खो बैठे हैं', ऑपरेशन सिंदूर को लेकर CM देवेंद्र फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री को घेरा
'कुछ लोग मानसिक संतुलन खो बैठे हैं', ऑपरेशन सिंदूर को लेकर CM देवेंद्र फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री को घेरा
Akhanda 2 BO Day 7: धुरंधर के आगे अब 'अखंडा 2' पड़ रही फिकी, 7वें दिन किया अब तक का सबसे कम कलेक्शन, फिर भी 100 करोड़ी बनने से रह गई इतनी दूर
धुरंधर के आगे अब 'अखंडा 2' पड़ रही फिकी, 7वें दिन किया अब तक का सबसे कम कलेक्शन
Ricky Ponting Birthday: एक महान क्रिकेटर और कप्तान, रिकी पोटिंग होना क्यों मुश्किल है, जानिए
Ricky Ponting Birthday: एक महान क्रिकेटर और कप्तान, रिकी पोटिंग होना क्यों मुश्किल है, जानिए
MP News: पेंशन के नाम पर ठगी के बाद दलित किसान ने किया कुछ ऐसा, सुन कर रह जाएंगे दंग
पेंशन के नाम पर ठगी के बाद दलित किसान ने किया कुछ ऐसा, सुन कर रह जाएंगे दंग
परसिमन फल क्यों बन रहा नया हेल्थ ट्रेंड? दिल से लेकर इम्युनिटी तक जानें इसके 5 बड़े फायदे  
परसिमन फल क्यों बन रहा नया हेल्थ ट्रेंड? दिल से लेकर इम्युनिटी तक जानें इसके 5 बड़े फायदे  
बच्चा है या ढोलक, बस लुढ़का ही जा रहा है... मासूम का वीडियो देख छूट जाएगी हंसी
बच्चा है या ढोलक, बस लुढ़का ही जा रहा है... मासूम का वीडियो देख छूट जाएगी हंसी
India’s Most Expensive Vegetable: यह है भारत की सबसे महंगी सब्जी, जानें क्या है इतनी ज्यादा कीमत की वजह?
यह है भारत की सबसे महंगी सब्जी, जानें क्या है इतनी ज्यादा कीमत की वजह?
Embed widget