BLOG: मध्यप्रदेश में मजदूरों के किराए पर हुई जमकर राजनीति
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी राज्य इकाईयों से इन गरीबों का किराया भरने को कहा. इस पर शिवराज सिहं सरकार ने भी जल्दी से आर्डर निकाला और बताया कि अब गरीबों का ट्रेन से होने वाली वापसी का किराया राज्य सरकार भरेगी.
भेपाल: वो शनिवार की सुबह थी और हम पहुंचे हुए थे भोपाल के बाहरी स्टेशन मिसरोद पर जहां पर नासिक से रात में चलकर श्रमिक एक्सप्रेस सुबह सुबह छह बजे आयी हुयी थी. मजदूर दिवस पर देश में कुछ ट्रेनें अलग अलग जगह फंसे मजदूरों को अपने प्रदेश तक भेजने के लिये रवाना हुयीं थी. उन्हीं में से थी यह गाड़ी जो महाराप्ट्र में फंसे मध्यप्रदेश के श्रमिकों को लेकर आयी थी.
हमारे आने तक ट्रेन प्लेटफार्म पर लग चुकी थी और गाड़ी से आये लोगों को प्लेटफार्म पर बनाए गोलों के बीच में बिठाया गया था. ये सारे लोग मध्यप्रदेश के भिंड, मुरैना, सीधी, रीवा, सतना, सागर और गुना जिलों के थे, जो दीवाली के पहले महाराष्ट्र के शहरों जैसे पुणे, मुंबई और नासिक में रोजगार की तलाश में गये थे. अब अचानक हुए लॉकडाउन में ये सभी फंस गए थे.
इसी भीड़ में हमको राजेश तोमर और उसका दोस्त संजय मिले. करीब 23-24 साल के ये दो युवक थे. इन्होंने बताया कि वो दोनों पुणे से पैदल नासिक आए और वहां पर उनको पुलिस ने पकड़कर एक क्वॉरंटीन वाली जगह पर भेज दिया. अब करीब एक हफ्ते वहां रहने के बाद इस ट्रेन की खबर देकर यहां भेज दिया गया.
अब अपने प्रदेश में आने की खुशी इन दोनों के चेहरे पर दिख रही थी. ऐेसे कुछ और लोग थे जो मुंबई और नासिक के आसपास के शहरों में रोटी कमाने गये थे.
भोपाल में स्थानीय प्रशासन ने इनकी वापसी के पूरे इंतजाम कर रखे थे. प्लेटफार्म के बाहर इनका रजिस्ट्रेशन और मेडिकल स्क्रीनिंग की जा रही थी. उसके बाद इनको तय जिले की बस तक भेजा जा रहा था. सुबह-सुबह इतना अच्छा इंतजाम देखकर जिला प्रशासन को दाद देने का मन हुया. स्टेशन के बाहर करीब बीस बसें खड़ी थीं, जिनमें जिलों के नाम लिखे थे. इन बसों में इन मजदूरों के लिये खाने पीने के डब्बे और पानी की बोतलें भी रखीं थी.
ऐसी ही एक बस में हम अपने कैमरामेन साथी होमेंद्र देशमुख के साथ चढ गये. ये बस सतना जा रही थी. हमने बस में सवार श्रमिकों से जानना चाहा कि उनकी यात्रा कैसी रही तो वो अपने जेब से टिकट निकाल कर दिखाने लगे. उनमें से आगे की सीट पर बैठे देवेंद्र द्विवेदी ने कहा कि हमसे नासिक में इस ट्रेन के तीन सौ पंद्रह रूप्ये लिये गये हैं. उसकी बात सुनते ही सारे लोग अपने टिकट जेब से निकालकर दिखाने लगे.
ये हमारे लिए चौंकाने वाली बात थी. ट्रेन में आने का पैसा इन गरीबों से वसूला जा रहा है, एक तरफ प्लेन से सरकार लोगों को मुफ्त ला रही है. उधर इन बेबस गरीबों से पैसा वसूल रही है. चलती बस से जल्दी जल्दी कर हम उतरे और ये खबर भेजी जिसे चैनल ने चलाया. मगर ये खबर दो दिन बाद जिंदा हो उठी जब इस पर विवाद हुआ.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी राज्य इकाईयों से इन गरीबों का किराया भरने को कहा. इस पर शिवराज सिहं सरकार ने भी जल्दी से आर्डर निकाला और बताया कि अब गरीबों का ट्रेन से होने वाली वापसी का किराया राज्य सरकार भरेगी.
उधर बीजेपी के प्रवक्ताओं ने इसके जबाव में कहा कि कोई किराया नहीं लिया जा रहा. मगर टिकट के साथ हमने जो कहानी दिखायी थी वो बात कुछ और कह रही थी. थोड़ी बहुत राजनीति के बाद इस बात की तसल्ली रही कि आने वाले श्रमिकों को अब फायदा मिलेगा.