दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल आबकारी घोटाले के सिलसिले में तिहाड़ जेल में बंद है. 15 अप्रैल तक उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. शराब घोटाले में गिरफ्तारी होने के बाद आम आदमी पार्टी के लिए इसे बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है जब लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और इस समय पार्टी को चुनाव प्रचार की जरूरत है, तो अरविंद केजरीवाल का जेल जाना आम आदमी पार्टी और पार्टी के हर एक कार्यकर्ता के लिए एक झटका है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में संजय सिंह को जमानत मिल गई है और आम आदमी पार्टी केजरीवाल की गिरफ्तारी को पूरे देश में मुद्दा बनाने में लगी हुई है.


प्रजातंत्र की हो रही हत्या


जिस तरीके से यह षड्यंत्र किया गया है, वो जग जाहिर है. बीजेपी अरविंद केजरीवाल के व्यक्तित्व और उनके काम करने के तरीके -जो विकास के मॉडल पर आधारित है- से घबराई हुई है और जिस तरह विपक्षी गठबंधन इस समय एक विकल्प के रूप में जनता के लिए, उसके सामने खड़ा है, उसके कारण भाजपा  ऐसा षड्यंत्र कर रही है. हालांकि, अरविंद केजरीवाल के जेल जाने से दिल्ली के विकास के काम पर कोई भी फर्क नहीं पड़ा है,  दिल्ली की सरकार जनता के लिए है और अरविंद केजरीवाल उसको जेल से भी चला रहे हैं. हमारे देश का प्रजातंत्र पूरी दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातंत्र है. वर्तमान केंद्र सरकार उसकी हत्या कर रही है. क्या इतने बड़े लोकतंत्र वाले देश में ऐसे संविधान की हत्या की जाती है? सिर्फ न्यायपालिका को छोड़कर जितनी भी संस्थाएं -ईडी, सीबीआई आदि- हैं वो वर्तमान सरकार के इशारे पर काम कर रही है. अब तो चुनाव आयोग भी सरकार के इशारे पर काम कर रही है. ये समय जनता के जागरूक होने का है. जनता सब समझ रही है कि किस प्रकार से षडयंत्र कर के अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेताओं को फंसाया जा रहा है. उनकी सहानुभूति की लहर बीते दिनों लोगों ने देखा, जहां 31 मार्च को महागठबंधन ने एक बड़ी रैली की थी. अरविंद केजरीवाल के सपोर्ट में जिस तरीके से देश भर के पूरे विपक्ष के नेता और कार्यकर्ता इकट्ठे हुए थे,  इसे सहानुभूति समझा जाए या  फिर सरकार के खिलाफ आक्रोश समझा जाए. जो तानाशाह सरकार है, उसके खिलाफ ये आवाज है.   



विपक्ष को मिटाने की कोशिश 


संजय सिंह के खिलाफ कोई सबूत ना होने के बावजूद उन्हें करीब छह माह तक जेल में रखा गया, बाद में जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो सच सामने आ ही गया. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा के सांसद संजय सिंह को जमानत दे दी है. बार-बार ईडी की ओर से दलील दी जाती है कि एक ट्रेल है और आबकारी मामले में चैट भी है. अगर कुछ ऐसा होता तो सुप्रीम कोर्ट मामले में जमानत कैसे दे देती? कथित तौर पर जो शराब घोटाला है वो भाजपा की तानाशाह-सरकार के कहने पर की गयी कार्रवाई है. भाजपा की सरकार विपक्ष को कमजोर करने के लिए सारे हथकंडे अपना रही है. सिर्फ अरविंद केजरीवाल ही नहीं बल्कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, तमिलनाडु के सीएम की बेटी के. कविता सहित अन्य जैसे लोगों को अंदर डाला जा रहा है. हालांकि, ये एक्ट ही ऐसा है जिसमें करीब तीन महीने तक कोई जमानत नहीं हो पाती. उसके बाद संजय सिंह का मामला जब सुप्रीम कोर्ट में गया तो कोर्ट ने जमानत दे दी.


सरकार ने ईडी के नाम पर एक तोता पाल कर रखा है. 2018 में एक संशोधन करके एक्ट बनाया गया जिसके अंतर्गत किसी को भी शक के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता है. राज्यों में चुनी गई सरकार को तानाशाह सरकार ईडी के नाम से परेशान कर रही है. भाजपा का ये रवैया हो चुका है कि विपक्ष को खत्म करो. इसके अलावा राज्यों की गैर-भाजपा सरकार और विपक्ष के नेताओं को टारगेट कर रही है. ईडी की कार्रवाई पर लोग यकीन कैसे करें क्योंकि जो ईडी की वकीलों की पैनल वाली सूची है उसमें सुषमा स्वराज की बेटी और दिल्ली की उम्मीदवार बांसुरी स्वराज का नाम है. यानी, पहले बांसुरी स्वराज ईडी की वकील थी, अब भाजपा ने उनको टिकट दिया है. राघव रेडी जो सरकारी गवाह बने हैं, उनके पिता बीजेपी के गठबंधन वाली पार्टी के साथ आंध्र प्रदेश से चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसी आखिरकार छूट क्यों है. भाजपा उसके लिए प्रचार भी करेगी, इसका मतलब एक पैटर्न सेट कर लिया गया है कि विपक्षियों के लिए जो खिलाफ होगा भाजपा उससे काम कराएगी और बाद में अपनी पार्टी से टिकट देगी.


स्कैम है तो साबित करें


अगर ईडी की ओर से कोई समन भेजा जाता है तो उसमें अंकित होना चाहिए कि किस मामले में जांच के लिए बुलाया जा रहा है, उस मामले में वह व्यक्ति आरोपी है कि नहीं, समन के अंदर पूरी डिटेल होनी चाहिए.  अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री के अलावा एक राष्ट्रीय पार्टी के संयोजक भी थे. समन में पूरी डिटेलिंग क्यों नहीं की गई, सिर्फ एक कागज का टुकड़ा क्यों पकड़ाया गया? नौ समन भेजे गए लेकिन सभी समन में कोई डिटेलिंग नहीं थी. कानूनी कार्रवाई कानूनी तरीके से होनी चाहिए, किसी के इशारे पर कोई कार्रवाई नहीं होने चाहिए. अगर कोई स्कैम होता तो बिना चार्जशीट के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, सांसद संजय सिंह, और फिर मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई. क्या एजेंसियों को इतना समय लगता? हालांकि मामला अब कोर्ट में है और कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है. उस मामले के विरोध में न्यायपालिका में जाने का सभी का अधिकार भी है. आम आदमी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि अरविंद केजरीवाल और अन्य लोग बाहर आएंगे, और देश की सेवा करेंगे.


परेशान थी भाजपा 


दिल्ली की जनता ने अपना सीएम अपने बेटे और अपने भाई अरविंद केजरीवाल को चुना और दिल्ली की गद्दी पर बिठाया. लोगों को फ्री बिजली, फ्री स्वास्थ्य-सुनिधा मिले, बेहतर स्कूलिंग व्यवस्था हो, लोगों को पानी मिल पाए इसके लिए सरकार चुना था. ये सारी सुविधाएं लोगों तक पहुंच भी रही है. इसी बात से भाजपा बौखलायी हुई है कि कोई भ्रष्टाचार के आरोप के बिना इतना काम कर रहा है. अगर ये पूरे देश के अंदर मॉडल जाएगा तो गड़बड़  हो जाएगी. ये मॉडल फिलहाल पंजाब और गोवा तक पहुंचा था. अगर ये मॉडल पूरे देश में जाएगा तो भाजपा का कोई नामोनिशान नहीं रहेगा. ये आशंका है कि दिल्ली के आम आदमी पार्टी के चार और लोगों को जेल में डाला जा सकता है. मंत्री आतिशी सिंह ने इसलिए ऐसा कहा, क्योंकि जो भी दिल्ली में प्रखर आवाज होगी, उसके खिलाफ ईडी उस काले कानून के अंतर्गत परेशान करेगी. मंत्री आतिशी और सौरव भारद्वाज अभी मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन कर रहे हैं. भाजपा ये चाहती है कि किसी तरह से आम आदमी पार्टी को खत्म किया जाए. ये बातें अब उजागर होने लगी हैं. 


बीजेपी के पास वॉशिंग मशीन 


बीजेपी के पास वॉशिंग मशीन है. चाहें कोई कितना बड़ा आरोपी हो, भ्रष्टाचारी हो भाजपा में शामिल होने के बाद वॉशिंग मशीन में सब धुल जाता है. इसके उदाहरण के तौर पर हिमंता बिस्व सरमा, अजीत पवार के बारे में भाजपा वाले क्या कुछ नहीं बोलते थे, लेकिन अब वो भाजपा में शामिल होने के बाद वॉशिंग मशीन में धुल चुके हैं. ऐसे तथ्यों के कारण भाजपा पर सवाल उठने तो लाजमी हैं. जितने बड़े भ्रष्टाचारी हैं अब वो भाजपा में है और कार्रवाई विपक्ष के लोगों पर हो रही है.  


अरविंद केजरीवाल जनता के चुने हुए मुख्यमंत्री है. जनता ने उन्हें सरकार चलाने का अधिकार दिया है. किसी भी कानून में ये नहीं लिखा गया है कि जेल से सरकार नहीं चलाई जा सकेगी. बेवजह के मामले में जेल में डाल देने से कुछ नहीं होगा, ये सरकार ऐसे ही चलेगी. कोर्ट की ओर से सचिव और अन्य लोगों से मिलने के लिए रियायत मिली हुई है. हालांकि, कुछ मीटिंग नहीं हो पाएंगी लेकिन सब निर्देश का पालन हो रहा है. दिल्ली में विकास के कदम लगातार उठाए जा रहे हैं.


एलजी यानी कि उपराज्यपाल का कहना है कि जेल से सरकार नहीं चलेगी तो वह कानून का कोई विषय होगा, उसके तहत ही वो देंखेंगे. ये उनका विषय है. आज के समय में किसी की भी गिरफ्तारी हो सकती है. भाजपा और ईडी जिस तरह से काम कर रही है. उससे विपक्ष सुरक्षित नहीं है. आज देश के हर घर में एक केजरीवाल है. दिल्ली की पूरी कैबिनेट और मुख्यमंत्री जेल में हो सकते हैं, लेकिन न्यायपालिका पर आम आदमी को पूरा भरोसा है. जिस तरीके से राज्यसभा सांसद संजय सिंह को जमानत मिली है, उसी तरह से मनीष सिसोदिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलेगी. 


केजरीवाल ही रहेंगे सीएम 


आम आदमी पार्टी से इंडिया गठबंधन को क्या फायदा होगा और इंडिया गठबंधन से आम आदमी को क्या फायदा होगा, ये तो पॉलिटिक्ल बातें है. ये तो गठबंधन के समय ही तय हो गया था. हालांकि, अरविंद केजरीवाल की जो छह गारंटी है अगर सरकार आती है तो इससे पूरे देश की जनता को फायदा जरूर होगा. इंडिया गठबंधन की जब सरकार बनेगी तो स्वास्थ्य को लेकर, शिक्षा को लेकर, महिलाओं के लिए सुविधाओं के लिए काम होगा और यकीनन इससे पूरे देश को फायदा होगा. वर्तमान में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं और अभी कोई नया सीएम नहीं बन रहा है. 


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