हम सामाजिक न्याय की मांग से जुड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं. समाज में हर वर्ग को समान अधिकार तभी मिल पाएगा जब ये पता चले कि किस वर्ग की कितनी संख्या है. चूंकि हमारे देश में कई जातियां हैं. आप इससे इनकार नहीं कर सकते हैं कि उनकी संख्या के हिसाब से उनको सुविधाएं मिले.


जब तक पता नहीं चलेगा कि उनकी संख्या कितनी है तो आप विकास कैसे करेंगे. मुझे लगता है कि बीजेपी उनका विकास करना ही नहीं चाहती है. चूंकि हम सब किसी न किसी जाति से संबंध रखते हैं और इससे हम इंकार भी नहीं कर सकते हैं. हम अपना सरनेम लिखते ही हैं. उनमें कुछ लोग आगे निकल चुके हैं. कुछ लोग बहुत पीछे हैं और उनको अभी और भी बहुत कुछ चाहिए. ये हम तभी समान तरीके से कर पाएंगे कि जब हमें यह पता हो कि किसको कितनी जरूरत है और किसकी कितनी संख्या बल है.


समाज के हर वर्ग को न्याय मिले


विपक्ष के नाते यह हमारी जिम्मेदारी है कि समाज के हर वर्ग को न्याय मिले और उसकी आवाज हम सरकार तक पहुंचाएं. उसी जिम्मेदारी को हम निभा रहे हैं. जब हम आवाज उठाते हैं तो हमारी आवाज सरकार को सुननी चाहिए. सरकार को भी इस जिम्मेदारी को उठाना चाहिए कि विपक्ष जो बात कह रहा है वो समाज के लिए कह रहा है तो हम उस पर काम करें. लेकिन ये सरकार सुनना नहीं चाहती है.


जातिगत जनगणना में कोई बुराई नहीं


जातिगत जनगणना से क्यों नहीं फायदा होगा. इससे स्पष्ट हो जाएगा कि किस जाति के कितने लोग हैं तो उसके हिसाब से समाज में आरक्षण भी होगा. यह पता चल जाएगा न की उनको और कितना जरूरत है. जातीय जनगणना में कोई बुराई नहीं है. बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं है. उन्हें समाज के विकास की बात करनी नहीं है. वो समझ चुके हैं कि हम विकास के मुद्दे पर और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर नहीं लड़ पाएंगे क्योंकि समाजवादी लोग समाज को आगे ले जाने की बात कर रहे हैं. वे सिर्फ समाज के अंदर नफरत की राजनीति करना चाहते हैं, ताकि उनकी वोटबैंक की राजनीति चलती रहे. वहीं हम लोग समाज को आगे ले जाने की राजनीति करना चाहते हैं. बीजेपी चाहती है कि उसे काम पर वोट नहीं मिले, बल्कि जाति-धर्म की राजनीति करके मिलते रहे. वहीं हम लोगों को अधिकार और सम्मान दिलाना चाह रहे हैं.


हम प्रदेश के लोगों के बारे में बात कर रहे हैं. लेकिन बीजेपी सरकार इसको दूसरे दिशा में ले जाना चाहती है. आज तो उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है, लेकिन जब कानून व्यवस्था खराब होती है तब वे पुरानी सरकार की बात करने लगते हैं.सवाल उठता है कि अगर आप 6 साल बाद भी पुरानी सरकार की बात कर रहे हैं तो जनता ने आपको फिर किसलिए चुना है. बम और पिस्तौल तो आज चल रहे हैं. आप चाहे तो हाथरस की घटना की बात कर लीजिए. उन्नाव, कानपुर या लखीमपुर की घटना को देख लीजिए. जब हम इन घटनाओं का जिक्र करते हैं तो ये सरकार पहले की  घटनाओं का जिक्र करने लग जाती है. ये इनकी आदत है और ये अपनी गलतियों को मानना नहीं चाहते हैं.


जातिगत जनगणना से कोई दिक्कत नहीं 


हम चाहते हैं कि समाज में समाज के विकास की राजनीति हो. लोगों को पता चले कि उनकी संख्या कितनी है जिसके हिसाब से उनके लिए एक रोडमैप तैयार हो सके. उनकी उन्नति के रास्ते तैयार हों. जब हमें उनकी संख्या बल की जानकारी मिल जाएगी तभी हम लोग उनको समाज में आगे ले जा पाएंगे. अगर संख्या पता चल ही जाएगी तो इसमें सरकार को क्या दिक्कत हो जाएगी, यह बात मुझे समझ में नहीं आती है. इसमें क्या माहौल खराब हो जाएगा.


देश भर में जाति प्रथा तो शुरु से है. आप इस बात को कैसे नहीं मानेंगे. बीजेपी इसी पर तो सारी राजनीति कर रही है और दूसरों को आइना दिखाना चाहती है. हम लोग तो विकास की राजनीति करने वाले हैं और जातिगत जनगणना इसलिए जरूरी है कि सबको अपना-अपना अधिकार पता चले. जाति व्यवस्था आदिकाल से चली आ रही है. इससे आप इंकार नहीं कर सकते हैं. बीजेपी को समाज की उन्नति की राजनीति तो करनी नहीं है, उनको तो नफरत की राजनीति करनी है. बीजेपी नहीं चाहती कि किसकी कितनी संख्या है, ये लोगों को पता चले. चूंकि अगर ऐसा हुआ तो उनका विकास हो जाएगा और बीजेपी की राजनीति के लिए ये सही नहीं होगा. बीजेपी लोगों को उनके पैरों पर खड़ा करने की राजनीति करती नहीं है. वो तो सिर्फ समाज के अंदर नफरत की राजनीतिक रोटियां सेक कर सरकार में आना चाहती है.


मुझे ये समझ में नहीं आता है कि जब बिहार में जातिगत जनगणना शुरू हो गई है और राज्य के लोगों की मांग है कि ये उत्तर प्रदेश में भी हो, तो ऐसे में बीजेपी सरकार को आपत्ति क्यों हो रही है. 2024 से पहले समाजनादी पार्टी इसके लिए आवाज और बुलंद करेगी.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)