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दुनिया के ये देश 25 दिसंबर को नहीं बल्कि 7 जनवरी को मनाते हैं क्रिसमस!

25 दिसंबर को क्या होता है? इस सवाल पर आप लोग मेरे से पूछेंगे कि ये कैसा बेतुका सवाल है क्योंकि 25 को तो पूरी दुनिया को पता है कि क्रिसमस होता है. हालांकि, अगर मैं आपसे यही सवाल दोबारा पूछूं और सिर्फ डेट बदल दूं? यानी मैं पूछूं 7 जनवरी को क्या होता है? अब बॉलीवुड लवर्स बोलेंगे इरफान खान साहब का जन्मदिन. लेकिन भईया बहुत कम लोगों को पता होगा कि पूरी दुनिया के क्रिश्चियंस के इतर 15 देश ऐसे हैं जहां क्रिसमस 25 दिसंबर को नहीं बल्की 7 जनवरी को मनाया जाता है जिसमें रशिया भी शामिल है. लेकिन सवाल ये कि देश ऐसा करते क्यों हैं? 

आखिर 7 जनवरी को क्रिसमस मनाने का आडिइया आया कहां से?  

सात जनवरी को ​क्रिसमस मनाने के ​पीछे की वजह जानने से पहले उन 15 देशों के बारे में जान लीजिए जो 7 जनवरी को क्रिसमस मनाते हैं. इस लिस्ट में शामिल हैं रूस, मिस्र, इज़राइल, यूक्रेन, बुल्गारिया, मोल्दोवा, मैसेडोनिया, इथियोपिया, जॉर्जिया, ग्रीस, रोमानिया, सर्बिया, बेलारूस, मोंटेनेग्रो और कजाकिस्तान. इसके अलावा कई पश्चिमी देशों में भी ऐसे कुछ क्रिश्चियंस ऐसे हैं जो 7 जनवरी को ही क्रिसमस मनाते हैं.

इसके पीछे की वजह क्या है? क्रिसमस के दिन लोग जीसस क्राइस्ट का जन्मदिन होता है जिन्हें पूरी दुनिया के क्रिश्चंस सन ऑफ गॉड मानते हैं. दुनिया में ऐसा माना जाता है कि जीसस क्राइस्ट का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था लेकिन कुछ रूढ़िवादी ईसाई भी हैं जिनका मानना है जीसस क्राइस्ट का जन्मदिन 25 दिसंबर को नहीं बल्कि 7 जनवरी को होता है. हालांकि ये भी एक फैक्ट है कि जीसस क्राइस्ट के पैदा होने की एक्ज़ेक्ट डेट किसी भी धर्मनिरपेक्ष पाठ में मेंशन नहीं है. तो ये जो क्राइस्ट के पैदा होने की डेट है उसका अनुमान धार्मिक किताबों में दिए विवरण से लगाया गया है जैसे कि गोस्पल ऑफ ल्यूक एंड मैथ्यू (Gospels of Luke and Matthew) और द मिनिस्ट्री ऑफ जीसस. अब जब क्राइस्ट के पैदा होने की तारीख निकाली गई तो वो 2 तारीखें तो होंगी नहीं तो ऐसे में 25 दिसंबर और 7 जनवरी कहां से आए? 

इसके पीछे की वजह है जूलियन कैलेंडर (Julian calendar) और ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian calendar) है. ग्रेगोरियन कैलेंडर को वर्ष 1582 में पोप ग्रेगोरी ने शुरू किया था इससे पहले जूलियन कैलेंडर हुआ करता था जिसे 46 BC में जूलियस सीजर ने शुरू किया था. इन दोनों कैलेंडर्स में 13 दिन का फर्क था. साल 1752 में इंग्लैंड ने जूलियन कैलेंडर की जगह ग्रेगोरियन कैलेंडर फॉलो करना शुरू कर दिया. जिसके मुताबिक क्रिसमस का त्योहार 25 दिसंबर के दिन पड़ता है. इंग्लैंड के इस कैलेंडर को अपनाने के बाद पश्चिम के ज्यादातर देशों ने भी ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपना लिया और क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाना शुरू कर दिया. हालांकि कुछ देश ऐसे भी थे जिन्होंने कैलेंडर को नहीं अपनाया और ओल्ड क्रिसमस डे यानी कि 7 जनवरी को ही जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन की तारीख समझा और वो आजतक 7 जनवरी को ही क्रिसमस मनाते आ रहे हैं.

रशिया में तो क्रिसमस का त्योहार 1 जनवरी से मनना शुरू हो जाता है और सेलिब्रेशन 7 जनवरी तक चलता है. इंग्लैंड में क्रिसमस के जश्न पर बैन लगा है. ये बात है 1640 की जब ब्रिटेन ने ये आदेश पारित कर दिया कि देश में कोई भी क्रिसमस नहीं मनाएग. असल में उस वक्त के प्यूरिस्ट और प्रोटेस्टेंट ईसाई मानते थे कि धार्मिक व्यक्ति को किसी तरह का उत्सव नहीं मनाना चाहिए जिसके चलते ये निर्णय लिया गया था. ये बैन 20 साल तक चला जिसके बाद साल 1660 में जब चार्ल्स ब्रिटेन के राजा बनें तो उन्होंने इस बैन को हटा दिया. हालांकि कई उपनिवेश और कट्टर ईसाई संगठन 1870 तक क्रिसमस से दूरी बनाए रहे. ब्रिटेन के राजा चार्ल्स के बारे में एक फैक्ट और जान लीजिए. 1662 में चार्ल्स की शादी पुर्तगाल की राजकुमारी कैथरीन ओ ब्रेगेंज़ा से हुई और मिस ब्रेगेंजा के साथ-साथ चार्ल्स को दहेज में बंबई शहर भी मिला था.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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