एक्सप्लोरर

इस बार का 'आम चुनाव' है बेहद खास, इसके नतीजे तय करेंगे भारत की तकदीर और तासीर

सोशल मीडिया एवं राजनीतिक विमर्श में "अबकी बार चार सौ पार" की चर्चा चल पड़ी है. भाजपा के लिए तीन सौ सत्तर और एनडीए के लिए चार सौ सीटों का लक्ष्य मुश्किल जरूर है, लेकिन केंद्र सरकार की उपलब्धियां इसे आसान बनातीं हैं. अब भारतीय जनमानस में "तीन सौ सत्तर" शब्द साहस का संचार करता है. गैरभाजपाई दल राष्ट्र के बुनियादी सवालों से हमेशा बचने की कोशिशें करते रहे जिसके परिणामस्वरूप हिमालय के पहाड़ों में बसा हुआ जम्मू-कश्मीर सिर्फ हिंसक घटनाओं के कारण ही समाचार पत्रों की सुर्खियां बन पाता था. कांग्रेस समेत ज्यादातर राजनीतिक दल इस पूर्व देशी रियासत के आमजनों की सामाजिक-आर्थिक आकांक्षाओं को समझने के बजाय घाटी के किरदारों पर भरोसा जताना ही अपना फर्ज मान चुके थे, लेकिन भाजपा श्यामा प्रसाद मुखर्जी के संकल्प को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.

कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा

मुखर्जी अंतिम सांस लेने तक पंडित जवाहर लाल नेहरू की जम्मू-कश्मीर नीति का विरोध करते रहे. शेख अब्दुल्ला अपनी निजी हुकूमत कायम करने के लिए कश्मीर का भारत में विलय चाहते थे. उनकी चिंता के केंद्र में भारत की एकता एवं अखंडता नहीं थी. इसलिए नेहरू से अपनी निकटता का फायदा उठाते हुए शेख ने कश्मीर को विशेष दर्जा दिलाने में कामयाबी हासिल कर ली. यह तथ्य भी कम रोचक नहीं है कि तमिलनाडु में जन्मे गोपालस्वामी आयंगर ने अनुच्छेद 370 का मसौदा तैयार किया था. आयंगर को महाराज हरि सिंह और पंडित नेहरू के साथ काम करने का अनुभव था. कश्मीर विवाद की भयावहता के साक्षी रहे आयंगर को बाद के वर्षों में संयुक्त राष्ट्र संघ में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी भी मिली. अब उनकी ऐतिहासिक भूमिका की कहीं चर्चा नहीं होती.

चुनावी राजनीति में 'विभिन्नता' पर जोर

चुनावी राजनीति में व्यस्त नेताओं की रुचि जाति, धर्म एवं क्षेत्रीयता के आधार पर लोगों को विभक्त करने में है. अगर दक्षिण भारत में क्षेत्रीयता की भावना "सांस्कृतिक विभेद" पर फल-फूल रही है तो श्रमिकों के निर्यातक राज्य के रूप में ख्याति अर्जित कर चुका बिहार जातीय राजनीति के दुष्चक्र से उबर नहीं पा रहा है. जातिगत आरक्षण के दांव से आगे नेता बढ़ना नहीं चाहते. इसलिए गरीबी-उन्मूलन की योजनाएं लोगों को ठोस आश्वासन नहीं दे पातीं. जातीय जनगणना के गहरे सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ हो सकते हैं, लेकिन बेरोजगारी सिर्फ इसी एक कदम से खत्म नहीं होगी.

दरअसल खाद्य प्रसंस्करण, निर्माण-कार्य, ग्रामीण इंजीनियरिंग, कपड़ा उद्योग जैसे सूक्ष्म एवं लघु उद्योग ही हमारे देश में सर्वाधिक रोजगार पैदा करते हैं किंतु नीति निर्धारकों की उदासीनता के कारण माइक्रो सेक्टर आज भी उपेक्षित है. राजनीतिक-सामाजिक प्रतिनिधियों के लिए "पिछड़ापन" एक राजनीतिक गीत बन गया है. ऐसे माहौल में "एक भारत श्रेष्ठ भारत" की भावना को और अधिक मजबूती प्रदान करने की जरूरत है. वोट लेने के लिए बेचैन राजनीतिक अभिजन उत्तर बनाम दक्षिण की बहस भी छेड़ते हैं. हिंदी पट्टी में प्रचलित राजनीतिक संस्कृति की आलोचना को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तो माना जा सकता है, लेकिन "गोमूत्र राज्य" जैसी संज्ञा अस्वीकार्य है. संत-कवियों ने अपनी रचनाओं के जरिए राष्ट्रीय एकता की भावना को समृद्ध किया है.

हिंदी पट्टी का दर्द समझना होगा

औपनिवेशिक शासन काल के दौरान उत्तर भारत में प्रतिरोधी चेतना की धार को कुंद करने के लिए दमनकारी नीतियों का सहारा लिया गया. इतिहास के पन्नों में जिस गिरमिटिया मजदूरी प्रथा की जानकारी मिलती है, उसकी स्रोत-भूमि तो गंगा का मैदान ही है. औपनिवेशिक स्वामियों की भाषा अंग्रेजी में दक्ष कुलीन वर्ग के सदस्यों ने कभी हिंदी पट्टी के दर्द को समझने की कोशिश नहीं की. राहुल गांधी जब वायनाड से लोकसभा के सदस्य चुने गए तो अपने बयानों से नए विवादों को जन्म देने लगे. उनके विरोधियों ने उनके वक्तव्यों को अभिजात्य मानसिकता से प्रेरित बताया. भारतीय जनतंत्र को संवारने में कांग्रेस की ऐतिहासिक भूमिका को नकारना मुश्किल है, लेकिन सामाजिक न्याय और हिंदुत्व के विचार के प्रति संतुलित दृष्टिकोण अपनाने में यह पार्टी विफल रही. जम्मू-कश्मीर के संवैधानिक एकीकरण जैसे बुनियादी विषय पर स्पष्ट नजरिया नहीं अपनाने के कारण ही कांग्रेस "5 अगस्त 2019" के महत्व को नहीं समझ सकी. विशेष दर्जे का प्रावधान जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख़ के विकास में बाधाओं की तरह थे. अनुच्छेद 370 एवं 35 (ए) के निरस्त होने के पश्चात् समाज के वंचित वर्ग के लोगों को अपना हक मिल रहा है. लद्दाख़ की विशिष्ट पर्यावरणीय दशा भी चर्चा के केंद्र में है.

नयी लोकसभा गढ़ेगी नया भारत

18 वीं लोकसभा के चुनाव-परिणामों से सिर्फ नई सरकार का ही गठन नहीं होगा बल्कि राष्ट्रीय एकीकरण की प्रक्रिया में अवरोधक तत्वों की भी शिनाख्त हो सकेगी. समान नागरिक संहिता का प्रारूप तैयार करना तो सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन तत्परता नागरिक समाज को दिखानी होगी. 21 वीं सदी में उन प्रवृत्तियों की विदाई सुनिश्चित करने की जरूरत है जो औरतों के आत्मसम्मान के खिलाफ मानी जाती हैं. राजनीतिक दलों के रहनुमा बहुमत जुटाने के लिए ही रणनीति बनाने में सिमटे रहेंगे तो गिलगिट और बालटिस्तान के निवासी पाकिस्तान की गुलामी झेलते ही रहेंगे. नई पीढी को यह बताया जाना चाहिए कि गिलगिट, चिलास, नागर एवं हुंजा जैसे इलाकों का इतिहास प्राचीन भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण अंग है. पाक-अधिकृत कश्मीर में जब तक कठपुतली सरकारों के गठन का खेल चलता रहेगा, भारतीय सेना के समक्ष चुनौतियों की कमी नहीं रहेगी. बहुलतावादी भारतीय समाज में राजनीतिक लाभ की मंशा से कार्य करने वाले नेताओं को हतोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ़ लेखक ही ज़िम्मेदार हैं.] 

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

महाराष्ट्र के CM रेस में कौन आगे? एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में बड़ा खुलासा, लिस्ट में कई दिग्गज
महाराष्ट्र के CM रेस में कौन आगे? एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में बड़ा खुलासा, लिस्ट में कई दिग्गज
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
Shah Rukh Khan Death Threat: शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
Virender Sehwag Son: जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
ABP Premium

वीडियोज

Maharahstra assembly elections 2024: महाराष्ट्र की 47 सीटों के नए Exit Poll में महायुति को मिल रही 38+ सीटें | Elections 2024Arvind Kejriwal News: Delhi चुनाव से पहले शराब घोटाले में केजरीवाल को बड़ा झटका! | ABP NewsBJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?बाबा बागेश्वर की 'सनातन हिन्दू एकता' पदयात्रा शूरू | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
महाराष्ट्र के CM रेस में कौन आगे? एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में बड़ा खुलासा, लिस्ट में कई दिग्गज
महाराष्ट्र के CM रेस में कौन आगे? एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में बड़ा खुलासा, लिस्ट में कई दिग्गज
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
Shah Rukh Khan Death Threat: शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
शाहरुख खान को मारने की धमकी देने वाले शख्स के थे ये खतरनाक मंसूबे, हुआ खुलासा
Virender Sehwag Son: जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
जैसा पिता, वैसा बेटा! वीरेंद्र सहवाग के नाम 6 दोहरे शतक, अब 17 साल के बेटे ने किया कमाल
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
हेयर कलर करने से तेजी में सफेद होने लगते हैं बाल, जानें क्या कहतें है एक्सरर्ट?
हेयर कलर करने से तेजी में सफेद होने लगते हैं बाल, जानें क्या कहतें है एक्सरर्ट?
कड़ाके की ठंड की होने वाली है एंट्री! यूपी-हरियाणा में घने कोहरे का अलर्ट तो इन 11 राज्यों में होगी भीषण बारिश
कड़ाके की ठंड की होने वाली है एंट्री! यूपी-हरियाणा में घने कोहरे का अलर्ट तो इन 11 राज्यों में होगी भीषण बारिश
ट्रंप का अमेरिका में मास डिपोर्टेशन का प्लान, लेकिन 1 करोड़ 10 लाख लोगों को निकालना नहीं आसान
ट्रंप का अमेरिका में मास डिपोर्टेशन का प्लान, लेकिन 1 करोड़ 10 लाख लोगों को निकालना नहीं आसान
Embed widget