हर साल 5 जून को मनाया जाने वाला विश्व पर्यावरण दिवस, जो हमारे ग्रह की सुरक्षा और संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, याद दिलाता है कि हमारी चुनौतियां कितनी घटी या बढ़ी हैं. इस दिन का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संबंधी मुद्दों के प्रति जागरूक करना और समाधान के लिए ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है. वर्तमान में, वैश्विक तापमान में वृद्धि ,सबसे गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक है.
वैश्विक तापमान है मसला
पिछले कुछ दशकों में वैश्विक तापमान में वृद्धि हुई है. 2023 और 2024 में, हमें अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ा जो न केवल मनुष्यों के लिए हानिकारक है बल्कि वन्यजीवों और पारिस्थितिक तंत्र पर भी गंभीर प्रभाव डालती है. भारत, अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी दर्ज की गई है. इन गर्म लहरों के कारण सूखा, पानी की कमी और वन्यजीवों की मृत्यु जैसी समस्याएं पैदा हुई हैं. इन गर्म हवाओं ने शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जनजीवन को प्रभावित किया है. शहरी क्षेत्रों में, अत्यधिक गर्मी के कारण हीट स्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों में फसलें बर्बाद हो रही हैं, जल स्रोत सूख रहे हैं, जिससे कृषि और पशुधन प्रभावित हो रहा है. वैश्विक तापमान में वृद्धि का मुख्य कारण मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन है. कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडल में गर्मी को रोकती हैं, जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है. औद्योगिकीकरण, परिवहन, कृषि और वनों की कटाई जैसी मानवीय गतिविधियों ने इन गैसों के स्तर को बढ़ा दिया है.
- औद्योगीकरण: ऊर्जा उत्पादन के लिए कोयले और तेल का अधिक उपयोग किया जा रहा है, जिससे बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड निकल रहा है. औद्योगिक गैसें भी ग्रीनहाउस प्रभाव को बढ़ा रही हैं.
- परिवहन: वाहनों से निकलने वाला धुआं भी इस समस्या में योगदान दे रहा है. पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहन कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं.
- कृषि: कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग और पशुओं से निकलने वाली मीथेन गैस वातावरण में गर्मी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
- वनों की कटाई से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की प्राकृतिक क्षमता कम हो रही है. पेड़-पौधे कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन को अवशोषित करते हैं, लेकिन वनों की कटाई से यह संतुलन बिगड़ रहा है.
वर्तमान तापमान वृद्धि का सीधा प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में देखा जा सकता है. ये प्रभाव न केवल पर्यावरण को प्रभावित कर रहे हैं बल्कि मानव जीवन की गुणवत्ता पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं.
- स्वास्थ्य पर प्रभाव: अत्यधिक गर्मी से हीट स्ट्रोक, निर्जलीकरण और हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं. बुजुर्ग, बच्चे और गरीब समुदाय विशेष रूप से प्रभावित होते हैं. हीटवेव के कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ रहा है.
- पर्यावरणीय प्रभाव: बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र का स्तर बढ़ रहा है और मौसम का मिजाज बदल रहा है. ये परिवर्तन तटीय क्षेत्रों में बाढ़ और भूमि क्षरण का कारण बन रहे हैं. इसके अतिरिक्त, हीटवेव के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे वन्यजीवों का आवास नष्ट हो रहा है.
- कृषि पर प्रभाव: हीटवेव और अनियमित वर्षा पैटर्न फसल उत्पादन क्षमता को प्रभावित कर रहे हैं, जिससे खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. किसानों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता है, जिससे जल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है. इसके अलावा, लू के कारण पशुधन का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है.
भविष्य में हमें और भी गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है:
- अधिक तीव्र और बारंबार प्राकृतिक आपदाएं जैसे कि बाढ़, सूखा और चक्रवात. जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम पैटर्न में हो रहे बदलाव इन आपदाओं की तीव्रता और आवृत्ति को बढ़ा रहे हैं.
- कई प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है. समुद्री जीवन, जैसे कि प्रवाल भित्तियां, बढ़ते तापमान के कारण नष्ट हो रही हैं, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है.
- जलवायु परिवर्तन से प्रभावित क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में गिरावट हो सकती है, जिसमें स्वास्थ्य, जीवनयापन और आर्थिक स्थिरता शामिल हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए संसाधनों की कमी और बढ़ते खर्च के कारण विकासशील देशों की आर्थिक स्थिरता भी खतरे में पड़ सकती है.
वैश्विक तापमान वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए हमें विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी समाधानों को अपनाने की आवश्यकता है. ये उपाय दीर्घकालिक प्रभावी परिणाम देने में सक्षम हैं और हमारे पर्यावरण की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
- नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए सौर, पवन और जल ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग न केवल पर्यावरण की रक्षा करता है बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक लाभ भी प्रदान करता है.
- वनीकरण और वन संरक्षण: पेड़ लगाना और वनों की कटाई को रोकना. पुनर्वनीकरण और संरक्षण के प्रयासों से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषण क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैस का स्तर कम होगा.
- सतत कृषि और जल प्रबंधन: कृषि प्रणालियों में सुधार और जल संसाधनों का सतत प्रबंधन. जल संसाधन प्रबंधन और सिंचाई तकनीकों में सुधार से पानी की बर्बादी कम होगी और फसल उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी.
- नीति और शिक्षा: पर्यावरण नीतियों को लागू करना और लोगों के बीच जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता बढ़ाना. सरकारों को कड़ी पर्यावरण नीतियां लागू करनी चाहिए और जनता को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में शिक्षित करना चाहिए.
हम बनें जिम्मेदार
वैश्विक पर्यावरण दिवस हमें अपने पर्यावरण और उसकी सुरक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराता है. वैश्विक तापमान में तेजी से हो रही वृद्धि एक गंभीर चेतावनी है. वैज्ञानिक प्रगति ने हमें स्पष्ट रूप से दिखाया है कि तापमान वृद्धि के प्रभाव कितने व्यापक और विनाशकारी हो सकते हैं. उच्च शिक्षा और अनुसंधान में, हमारे लिए अपने ज्ञान और संसाधनों का उपयोग करके गहन अध्ययन करना और ठोस समाधान विकसित करना आवश्यक है. हमें सतत विकास, नवीन ऊर्जा स्रोतों और पर्यावरण नीतियों की प्रभावशीलता पर ध्यान देने की आवश्यकता है. अगली पीढ़ियों को स्वस्थ, स्थिर और सुरक्षित पृथ्वी विरासत सौंपना हमारी जिम्मेदारी है.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]