जापान के मशहूर दार्शनिक हकुइन एककू (Hakuin Ekaku) ने कहा था कि "शुरुआत से ही सभी बुद्ध और बर्फ की तरह हैं, बिना पानी के, बिना बर्फ के, लेकिन बुद्ध से बाहर नहीं." अब उसी जापान में समंदर के रास्ते एक ऐसा महाविनाशी तूफ़ान आ रहा है जिसने पूरे देश में ऐसी खलबली मचा दी है कि गौतम बुद्ध को हमसे भी ज्यादा मानने वाले वहां के करीब 40 लाख लोगों को अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है.


लेकिन ये तूफ़ान समूची दुनिया को ये संदेश भी दे रहा है कि प्रकृति से छेड़छाड़ करने का नतीजा आखिरकार पूरी मानव जाति को आज नहीं तो कल तो भुगतना ही होगा. कभी आपने सोचा है कि दुनिया में क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन आखिर क्यों हो रहा है? इसलिए कि हम पहाड़ों को, अपने हरे-भरे पेड़ों वालों वाले जंगलों को काटकर वहां सीमेंट का ऐसा जंगल बनाते जा रहे हैं जो एक दिन हमारी मौत की सबसे बड़ी वजह बनने वाला है. अगर आप या हम मैदानी इलाकों में रहते हैं तो ये सोचकर बेफिक्र होने की गलतफहमी मत पाल लीजिये कि पहाड़ों पर बरसने वाले कुदरत के इस कहर से हम बच ही जायेंगे! नहीं, क़ुदरत का जलजला न पहाड़ देखता है, न मैदान, न तो वो आपका नाम पूछता है और न ही उसके पास आपके धर्म-मजहब का पता करने का ही कोई वक़्त होता है. वो तो आता है और एक झटके में ही अपना जलवा दिखाकर आगे निकल जाता है इसीलिये वो ज़लज़ला कहलाता है.


भारत के आजाद होने से बहुत पहले स्वामी विवेकानंद ने चीन और जापान का दौरा किया था. वे गौतम बुद्ध के प्रति जापानी नागरिकों के अटूट विश्वास और अगाध प्रेम को देखकर बेहद अभिभूत हो गये थे कि एक छोटा-सा राष्ट्र अपनी आधुनिक तकनीक और प्राचीन सभ्यता के संगम से कितनी जबरदस्त तरक्की कर रहा है. शायद यही कारण है कि भारत लौटने के बाद उन्होंने ही सबसे पहले कहा था, "भारत के प्रत्येक  युवा को अपनी जिंदगी में एक बार जापान की यात्रा इसलिये अवश्य करनी चाहिये ताकि पता लगे कि आपकी सभ्यता-संस्कृति को एक छोटा-सा राष्ट्र कितनी संजीदगी से न सिर्फ सम्भाले हुए है बल्कि उसे आगे बढ़ाते हुए उन्नति के शिखर पर ले जाने को उत्सुक भी है"


हालांकि जापान के साथ भूकंप और तूफ़ान का रिश्ता चोली दामन का है लेकिन इस साल में ये 14 वां ऐसा तूफ़ान है जिसके बारे में वैज्ञानिकों ने पहले ही ये भविष्यवाणी कर दी कि ये बेहद विनाशकारी साबित हो सकता है. इस शक्तिशाली तूफान को 'नानमाडोल' नाम दिया गया है जो दक्षिण-पश्चिमी जापान को अपनी चपेट में लेने की तैयारी में है.
शनिवार को ये जापान के एक रिमोट आईलैंड मिनामी दैतो से टकराया जो आईलैंड ओकिनावा द्वीप से करीब 400 किमी की दूरी पर है. अनुमान के मुताबिक तूफान 270 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. कागोशिमा एडमिनिस्ट्रेशन ने बताया कि खतरे को देखते हुए इलाके के 25 हजार से ज्यादा घरों में बिजली की सप्लाई रोक दी गई है. 


कई ट्रेनें और करीब 510 फ्लाइट्स कैंसल कर दी गई हैं. हर तरह के लोकल ट्रांसपोर्ट को भी फिलहाल के लिए बंद कर दिया गया है. इस तूफान को बहुत खतरनाक बताते हुए लोगों से सुरक्षित जगहों पर रहने की अपील की जा रही है क्योंकि तेज हवाओं से कई घर तबाह हो सकते हैं. जापान के मौसम विभाग ने इसे बेहद खतरनाक तूफान की चेतावनी देते हुए बताया है कि 18 सितंबर को जापान के समुद्री तट से टकराया है जिसकी वजह से क्यूशू के दक्षिणी कागोशिमा प्रांत में तेज बारिश हो रही है. 40 लाख लोगों को इवेक्यूएट करने यानी उन्हें वहां से सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचने के  आदेश दिए गए हैं. जापान के मौसम का पल-पल आकलन कर रही एजेंसी के मुताबिक, इसकी वजह से कई जगहों पर लैंडस्लाइड और बाढ़ भी आ सकती है. इस दौरान बेहद तेज हवा चलने और भारी बारिश की आशंका भी जताई गई है जिससे काफी नुकसान हो सकता है.


एजेंसी ने यह भी चेतावनी दी है कि चूंकि आंधी बेहद तेज है इसलिये बारिश और हवाएं इससे दूर के क्षेत्रों में भी तेज हो सकती हैं. सोमवार से पश्चिमी और पूर्वी जापान के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा की संभावना है. वहां के सरकारी न्यूज़ चैनल एनएचके-वर्ल्ड जापान के अनुसार, तूफान उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ेगा और मंगलवार तक जापान के मुख्य द्वीप होंशू से होकर गुजरेगा. दरअसल, गौर करने वाली बात ये भी है कि अगस्त-सितंबर के महीने को जापान का टाइफून सीजन कहा जाता है. इस दौरान साल में करीब 20 तूफान आते हैं जिसके चलते भारी बारिश, लैंडस्लाइड और बाढ़ भीआ जाती है. लेकिन इस तूफ़ान को कुछ ज्यादा विनाशकारी बताया गया है. साल 2019 में जापान को पिछले 70 साल में आये सबसे भीषण तूफान हेजिबीस ने तबाह कर दिया था. तब जापान में हेजिबीस के कारण 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. उसके बाद साल 2021 में आए टाइफून जेबी के कारण ओसाका के कंसाई हवाई अड्डे को बंद करना पड़ा था जिसने 14 लोगों की जान ले ली थी. साल 2018 के मानसून सीजन में आई बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.


ऐसे अचानक आने वाले तूफ़ान के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि पूरा विश्‍व मौजूदा दौर में क्‍लाइमेट चेंज की मार झेल रहा है. इसकी वजह से ही जगह-जगह भयंकर तूफान और मौसम के बेहद खराब होने की घटनाएं सामने आ रही हैं. क्‍लाइमेट चेंज की ही वजह से कहीं पर सूखा तो कहीं पर जबरदस्‍त बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं जो  काफी खतरनाक संकेत हैं. लेकिन जापान के लोगों की इस खासियत को मानना होगा कि वे ऐसी हर विभीषिका से लड़ने का माद्दा भी रखते हैं. शायद इसीलिये स्वामी विवेकानंद ने कहा था- "आइए, इन लोगों को देखिए... आइए, मनुष्य बनिए! अपने संकीर्ण विचार छोड़िए और व्यापक दृष्टि रखिए. देखिए कि राष्ट्र कैसे आगे बढ़ते हैं! क्या आप मनुष्य से प्रेम करते हैं? क्या आप अपने देश से प्रेम करते हैं? तब आइए, हम और उन्नत एवं बेहतर वस्तुओं के लिए संघर्ष करें... भारत कम से कम एक हजार युवाओं का बलिदान चाहता है - मानव मस्तिष्क का किंतु बर्बर लोगों का नहीं."


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