दिवाली पर हमेशा नए उत्साह, उमंग और विभिन्न रंगों से सजने वाले बॉलीवुड के लिए यह दिवाली बहुत सूनी है. यह पहला मौका है कि दिवाली के मौके पर कोई भी नयी फिल्म थिएटर पर रिलीज नहीं हुई. वरना दिवाली पर फिल्मों की रौंकक देखते ही बनती थी. क्यों है इस बार बॉलीवुड में इतना सन्नाटा और क्या जल्द दूर हो सकेगा फिल्मों का यह सबसे बुरा दौर. पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म समीक्षक प्रदीप सरदाना का ब्लॉग. 


मुकद्दर का सिकंदर, बाज़ीगर, दिल वाले दुल्हनियां ले जाएँगे, कुछ कुछ होता है, दिल तो पागल है, फैशन, गोलमाल, सन ऑफ सरदार, कृष-3 और प्रेम रत्न धन पायो कुछ ऐसी फिल्में हैं जो दिवाली पर रिलीज हुईं और इन फिल्मों ने सफलता के कई बड़े रिकॉर्ड बनाए. इसी कारण अधिकतर फ़िल्मकार और अभिनेता अपनी फिल्म दिवाली पर रिलीज करना चाहते हैं. 


दिवाली पर अपनी फिल्म रिलीज करने के लिए फ़िल्मकारों में इतनी मारा मारी रहती है कि वे कई बार तो दो साल पहले ही वे अपनी फिल्मों को दिवाली पर प्रदर्शित करने कि घोषणा कर देते हैं. जिससे उनके सामने कोई और फिल्म न आए. इसके बावजूद फ़िल्मकार दिवाली पर अपनी फिल्म को रिलीज करने का मोह नहीं छोड़ पाते और इसके चलते किसी किसी दिवाली पर दो दो और कभी तीन और कभी चार फिल्में भी प्रदर्शित होती रही हैं. लेकिन भारतीय सिनेमा के पिछले करीब 100 बरसों के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब दिवाली पर कोई फिल्म रिलीज नहीं हुई है. इस बार सन 2020 की दिवाली इतनी सूनी है कि इसे अब तक की सबसे सूनी दिवाली कहा जाएगा. हाल यह है कि पूरे बॉलीवुड में ही सन्नाटा सा पसरा हुआ है. 


यह दिवाली इतनी सूनी रहने का सबसे बड़ा कारण कोरोना है. जिसके चलते देश में 7 महीने से भी ज्यादा तक सभी सिनेमा बंद रहे. इससे कुछ निर्माताओं ने अपनी फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज करने के लिए विवश होना पड़ा. इस दिवाली के मौके पर भी निर्माता भूषण कुमार ने अपनी दो फिल्में ‘लूडो’ और ‘छलांग’ थिएटर की जगह ओटीटी पर रिलीज कर दी हैं. निर्देशक अनुराग बसु और अभिषेक बच्चन, राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी, सानिया मल्होत्रा और आदित्य रॉय कपूर जैसे कलाकारों वाली ‘लूडो’ 12 नवम्बर को डिजिटल रिलीज हुई. तो निर्देशक हंसल मेहता की ‘छलांग’ 13 नवम्बर को. जिसमें राजकुमार राव, नुसरत भरूचा, मोहम्मद जीशान अयूब और सौरभ शुक्ला हैं. बता दें ‘छलांग’ के एक सह निर्माता अजय देवगन भी हैं. 


इससे पहले 9 नवम्बर को अक्षय कुमार की फिल्म ‘लक्ष्मी’ भी ओटीटी पर रिलीज हो चुकी है. हालांकि ‘लक्ष्मी’ न्यूजीलैंड, यूएई, फ़िजी और ऑस्ट्रेलिया में थिएटर्स पर रिलीज हुई है. लेकिन अपने देश के बहुत से हिस्सों में थिएटर 15 अक्तूबर के बाद से खुलने शुरू हो गए हैं. लेकिन इनमें से किसी भी फ़िल्मकार ने अपनी फिल्म सिनेमाघरों पर प्रदर्शित करने की हिम्मत नहीं दिखाई. इससे यह सवाल बार बार उठता रहा है कि यदि बड़ी बड़ी फिल्में या चर्चित फिल्म थिएटर की जगह डिजिटल रिलीज होती रहीं तो सिनेमाघरों का क्या होगा ? 


असल में सिनेमा घरों में कुछ सख्त नियमों और आधी क्षमता के साथ उन्हें खोलने की अनुमति तो मिल गयी. इससे धीरे धीरे देश के काफी हिस्सों में सिनेमा खुल चुके हैं. लेकिन दर्शक अभी भी सिनेमाघरों में जाते हुए डर रहे हैं. इसलिए थिएटर पर नयी रिलीज की जगह कुछ समय पूर्व प्रदशित फिल्मों को फिर से दिखाया जा रहा है. इन पुरानी फिल्मों के लिए टिकट दर भी काफी कम रखी गयी है. लेकिन दर्शक फिर भी थिएटर की ओर नहीं लौट रहे. 


यशराज की सुपर हिट फिल्में सिर्फ 50 रुपए में 


इधर दर्शकों को थिएटर में वापस बुलाने के लिए यशराज फिल्म्स ने अपनी और से भी एक बड़ा कदम उठाया है. वह यह कि उन्होंने अपनी कई सुपर हिट फिल्मों को पीवीआर, आईनॉक्स और सिनेपोलिस जैसे तीन बड़े मल्टीफ़्लेक्स समूह को दे दिया है. बड़ी बात यह है कि यशराज अपनी इन फिल्मों के प्रदर्शन के लिए मल्टीप्लेक्स वालों से कोई भी राशि नहीं लेगा.  बस शर्त यह है कि मल्टीप्लेक्स वाले इन फिल्मों को दिखाने के लिए दर्शकों से सिर्फ 50 रुपए का ही टिकट लेंगे. यशराज की जो फिल्में थिएटर में दिखाई जानी शुरू हुयी हैं उनमें पिछले साल सर्वाधिक कमाई करने वाली ऋतिक रोशन की फिल्म ‘वार’ भी है. साथ ही उनकी कभी कभी, सिलसिला, दिल वाले दुल्हनिया ले जाएँगे, दिल तो पागल है, वीर जारा, बंटी और बबली,  ने बना दी जोड़ी, जब तक है जान, बैंड बाजा बारात, चक दे इंडिया,सल्तनत और मर्दानी भी हैं.  



असल में यशराज फिल्म्स ने हाल ही में अपने 50 साल पूरे किए हैं. इन फिल्मों के मल्टीप्लेक्स में प्रदर्शन से जहां यशराज की फिल्मों का पुनरावलोकन हो जाएगा, वहाँ दर्शकों के लिए भी इन सुपर हिट फिल्म को 50 रुपए में दिखाकर, उनके मन से सिनेमा में जाने के डर को निकाला जाएगा. ये फिल्में ‘यशराज फिल्म समारोह’ के रूप में दिखाई जाएंगी. जिनमें एक दिन एक फिल्म तो दूसरे दिन कोई और फिल्म तो तीसरे दिन कोई और फिल्म होगी. 


सन्नाटा पसरा है सभी जगह  


अब यशराज की पुरानी हिट फिल्मों को देखने के लिए कितने दर्शक पहुँचते हैं, यह तो सही सही बाद में पता लगेगा. लेकिन फिलहाल तो सिनेमाघरों में ही नहीं पूरे फिल्म उद्योग में सन्नाटा सा पसरा है. दिवाली फिल्म जगत का एक ऐसा उत्सव है जो सबसे बड़े उत्सव के रूप में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. यहाँ तक बरसों से मुंबई फिल्म उद्योग में दिवाली को नव वर्ष की तरह मनाने की परंपरा रही है. कुछ समय पहले तक बॉलीवुड अपनी सफलता-असफलता का आकलन भी जनवरी से दिसम्बर तक कम, दिवाली से दिवाली ज्यादा करता था. 


साथ ही दिवाली पर पूरे फिल्म उद्योग में बड़े बड़े पार्टी समारोह और जश्न मनाने का भी पुराना प्रचलन है. जब देर रात तक कई बड़े सितारे दिवाली पर जुआ खेलते थे, पत्ते खेलते थे. शराब और कबाब के लंबे दौर चलते थे. लेकिन इस बार ऐसे नज़ारे शायद ही कहीं देखने को मिलें. 


इसका एक कारण तो यही है कि कोरोना के चलते फिल्मवाले अपने अपने घरों में पार्टी करने से परहेज कर रहे हैं. दूसरा यह भी कि कितने ही फिल्म वाले पिछले 8 महीनों से कोई कमाई न होने के कारण बहुत दुखी हैं. कुछ के तो खाने के भी लाले पड़े हुए हैं. कुछ निराशा के दौर से गुजर रहे हैं. जब काम धाम ही ठप्प हो तो फिर जश्न कैसा? 



इसके अलावा इस साल सिनेमा ने कई बड़े और मशहूर नामों को खोया है. जिसमें ऋषि कपूर, सुशांत सिंह राजपूत, जगदीप, इरफान खान, अभिनेत्री निम्मी, कुमकुम, आशा लता, कोरियोग्राफर सरोज खान, गीतकार योगेश, राहत इंदौरी और अभिलाष, फ़िल्मकार बासु चटर्जी, निशिकांत कामत, हरीश शाह,  गायक एसपी बाला सुब्रहमणियम, संगीतकार वाजिद खान सहित और भी कई नाम हैं. जिनमें कुछ कलाकारों ने कोरोना से तो कुछ ने हताशा और अवसाद के कारण ‘आत्महत्या’ भी की. इस कारण फिल्म वाले काफी गमगीन हैं. 


मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के दो सबसे बड़े परिवार कपूर और बच्चन हैं. ये दोनों ही इस बार दिवाली का कोई समारोह नहीं रख रहे हैं. इसका कारण ऋषि कपूर का असमय निधन है. कपूर परिवार का तो ऋषि हिस्सा थे ही. साथ ही बच्चन परिवार से भी कपूर परिवार का एक खास रिश्ता है. अमिताभ बच्चन की बेटी  श्वेता, ऋषि कपूर की बहन ऋतु नंदा के बेटे निखिल नंदा की पत्नी हैं. उधर ऋषि कपूर से पहले जनवरी में ऋतु नन्दा का भी निधन हो गया था. इसलिए अमिताभ बच्चन ने भी इस बार दिवाली समारोह आयोजित नहीं कर रहे. 


उधर ऋषि कपूर के दो घनिष्ठ मित्र जीतेंद्र और राकेश रोशन भी अपने दोस्त के न रहने पर, इस बार दिवाली समारोह नहीं कर रहे. फिर ड्रग्स मामले में भी दीपिका पादुकौन, श्रद्धा कपूर, रिया चक्रवर्ती, सारा अली खान, रकुल प्रीत सिंह और अर्जुन कपूर आदि के नाम आने से भी फिल्म उद्योग में हालात अच्छे नहीं हैं. 


ज़िंदगी में नहीं देखी ऐसी सूनी दिवाली 


मुझे सिनेमाई दुनिया को कवर करते हुए 40 साल से भी अधिक का समय हो गया है. इस दौरान कई बार फिल्म उद्योग मुश्किल दौर से गुजरा है. लेकिन ऐसी सुनी दिवाली इससे पहले मैंने कभी नहीं देखी. एक बार सन 1986 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा सिनेमा पर बिक्री कर के साथ कुछ और कर लगाने से लगभग एक महीना फिल्मोद्योग ने बड़ी हड़ताल रखी थी. जिसमें कई बड़े सितारे सड़कों पर उतार आए थे. लेकिन महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री एस वी चव्हाण ने फिल्म उद्योग से भारी कर हटाने और कुछ और राहत देने के बाद, दिवाली से एक दिन पहले वह हड़ताल खुल गयी थी. 


इधर दिल्ली के प्रसिद्द और बहुत पुराने थिएटर डिलाइट के स्वामी शशांक रायजादा कहते हैं-“मैंने तो अपनी पूरी ज़िंदगी में इससे सूनी दिवाली नहीं डेखी. मैं क्या मेरा माता-पिता ने भी ऐसी सूनी दिवाली नहीं देखी. आज सिनेमा उद्योग बहुत बुरे दौर में है. हमने हिम्मत करके सिनेमा खोल तो दिये हैं. लेकिन पूर्व प्रदर्शित फिल्मों को देखने के लिए लोग आ ही नहीं रहे. दस बीस  लोग आ जाते हैं तो उससे तो खर्च भी नहीं निकलता. फिर भी उम्मीद के सहारे हैं. लेकिन ऐसे दिन आएंगे यह कभी सपने में भी नहीं सोचा था. अब जब कुछ नयी फिल्में रिलीज होंगी तो शायद धीरे धीरे कुछ हालात बदलेंगे. 


जल्द लौटेंगे थिएटर में दर्शक!


हालांकि उम्मीद पीवीआर समूह के सीईओ गौतम दत्ता को भी है और आईनॉक्स के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर सौरभ वर्मा को भी. असल में दिवाली पर तो कोई नयी फिल्म प्रदर्शित नहीं हो रही. लेकिन दिवाली से अगले दिन 15 नवम्बर को एक नयी फिल्म ‘सूरज पर मंगल भारी’ रिलीज हो रही है. कोरोना के बाद लॉकडाउन और थिएटर बंद होने के पिछले 8 महीनों के बाद यह पहली फिल्म होगी जो थिएटर में रिलीज होने जा रही है. निर्माता ज़ी स्टूडियो की इस फिल्म का निर्देशन अभिषेक् शर्मा ने किया है. जो पहले ‘तेरे बिन लादेन’ और ‘परमाणु’ जैसी सफल फिल्म बना चुके हैं. इस फिल्म में मनोज बाजपेयी, दिलजीत दोसांज, फातिमा सना शेख, सुप्रिया पिलगांवकर, सीमा पाहवा और मनोज पाहवा मुख्य कलाकार हैं. 



पीवीआर थिएटर समूह के गौतम दत्ता बताते हैं-‘’इसमें कोई शक नहीं यह दिवाली बहुत सुनी रही है. लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि धीरे धीरे दर्शक सिनेमा घरों की ओर लौटेंगे. पीवीआर की अब कुल लगभग 700 स्क्रीन खुल चुकी हैं. बाकी भी शायद जल्दी खुल जाएँ. यशराज फिल्म्स की फिल्मों में दर्शकों ने रुचि दिखानी शुरू की है. अब उम्मीद ‘सूरज पे मंगल भारी’ से हैं. पीछे हमने पश्चिम बंगाल में दर्शकों का अच्छा रेस्पोंस देखा. जब दुर्गा पूजा के दौरान 8 नयी बांग्ला फिल्में रिलीज हुईं तो दर्शक उन्हें देखने आए.‘’


इधर आईनॉक्स के सौरभ वर्मा बताते हैं-‘’ इस साल अभी तक फिल्मों के लिए घना अंधेरा रहा है. लगता है जैसे अंधेरे की सुरंग से गुजर रहे हों. लेकिन अब उस अंधेरी सुरंग में रोशनी की किरण दिखाई देने लगी है. ‘सूरज पर मंगल भारी’ के लिए एड्वान्स बुकिंग बता रही है कि फिल्मों के प्रति दर्शकों का रुझान शुरू हो गया है. दिवाली के बाद यह फिल्म सफल रहती है तो फिर कुछ फ़िल्मकार क्रिसमस पर अपनी फिल्में रिलीज जरूर करेंगे. बांग्ला और दक्षिण की फिल्मों में जिस तरह दर्शकों ने वहाँ अपनी दिलचस्पी दिखाई है, ऐसे ही यहाँ भी होगा.“  



अब ‘सूरज पर मंगल भारी’ कोरोना के डर पर कितनी भारी पड़ती है, यह जल्द पता लग जाएगा. इसमें कोई संदेह नहीं कि यदि इस नयी फिल्म को देखने के लिए दर्शक सिनेमा में आते हैं तब तो कुछ और फिल्म निर्माता भी अपनी फिल्में रिलीज कर सकते हैं. हो सकता है ऐसी स्थिति में कपिल देव की ज़िंदगी और भारत द्वारा क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने को लेकर बनी फिल्म ‘83’ भी क्रिसमस पर रिलीज हो जाये. अन्यथा बॉलीवुड पर छाए अंधेरे के बादल और भी देर से हटेंगे. 


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 (नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)