3 विकेटकीपर की ‘थ्योरी’ और पिछले 5 में से 4 मैचों में हार
थोड़ी देर के लिए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज में मिली हार को पीछे छोड़ देते हैं. थोड़ी देर के लिए हार जीत से अलग टीम के संतुलन पर तर्कपूर्ण बात करते हैं. ये सोचकर भी ताज्जुब होता है कि टीम इंडिया के प्लेइंग 11 में 3 विकेटकीपर शामिल हैं.
थोड़ी देर के लिए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज में मिली हार को पीछे छोड़ देते हैं. थोड़ी देर के लिए हार जीत से अलग टीम के संतुलन पर तर्कपूर्ण बात करते हैं. ये सोचकर भी ताज्जुब होता है कि टीम इंडिया के प्लेइंग 11 में 3 विकेटकीपर शामिल हैं.
ये शायद अपनी तरह का एक अनोखा रिकॉर्ड भी है. ये संभव है कि किसी मैच में ये तीनों के तीनों विकेटकीपर बहुत अच्छा प्रदर्शन कर दें लेकिन ये संभव नहीं है कि इन तीनों को टीम का हिस्सा बनाए रखने के बाद भी टीम का संतुलन कायम रहे.
विश्व क्रिकेट में कुछ ऐसे उदाहरण जरूर हैं जहां एक साथ दो विकेटकीपर प्लेइंग 11 में रहे हों लेकिन तीन विकेटकीपर ज्यादा हैं. मौजूदा टी-20 टीम में महेंद्र सिंह धोनी, दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत प्लेइंग 11 का हिस्सा रहते हैं. ऐसे कयास लगाए जाते रहे हैं कि 2019 का विश्व कप खेलने के बाद महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट को अलविदा कह देंगे इसलिए उनके विकल्प के तौर पर एक विकेटकीपर को ‘ग्रूम’ करना जरूरी है. लेकिन ये एक विकेटकीपर कौन है? मजाक के तौर पर ही सही लेकिन अब तो ये भी चर्चा हो रही है कि ऋद्धिमान साहा और ईशान किशन भी कहीं जल्दी ही टीम इंडिया में ना आ जाएं. साहा अब फिट हो गए हैं और ईशान किशन ने इसी महीने घरेलू क्रिकेट में दो शतक लगाए हैं. विराट कोहली को इस स्थिति का आंकलन करना होगा.
फील्डिंग में होता है सबसे बड़ा नुकसान
दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत मूलत: विकेटकीपर हैं. उन्होंने अपने करियर में बतौर विकेटकीपर ही ट्रेनिंग ली है. ऐसे में उनके लिए मैदान में फील्डिंग करना एक अलग अनुभव है. इक्का दुक्का मैचों में ठीक है लेकिन लगातार मैदान में फील्डिंग करने का तजुर्बा उन्हें है ही नहीं. उस पर से विराट कोहली उन्हें ‘प्वाइंट’ जैसी पोजीशन पर लगा दें तो पोल और खुल जाती है. बुधवार को उनके हाथ से फिसले एक कैच ने मैच का नतीजा बदलने में बड़ी भूमिका निभाई.
चहल के ओवर में उन्होंने शॉर्ट का कैच छोड़ दिया. वो एक विकेट कंगारुओं को दबाव में लाने के लिए काफी था. एक जीवनदान की बदौलत शॉर्ट ने 28 गेंद पर 40 रनों की अहम पारी खेली. आउटफील्ड में इन खिलाड़ियों को इसलिए भी नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि इनके कंधे ज्यादा लंबे और तेज ‘थ्रो’ करने के लिए तैयार नहीं होते. दिनेश कार्तिक अच्छे फील्डर हैं लेकिन उन्हें मैदान में फील्डिंग का अभ्यास उतना नहीं है जितना होना चाहिए. लिहाजा हर मैच में कुछ ना कुछ रन इधर-उधर होते ही हैं. देखा जाए तो टीम इंडिया 11 की बजाए 9 फील्डर्स के साथ मैदान में उतरती है. लिहाजा टी-20 में अच्छे नतीजे नहीं मिल रहे हैं.
पिछले 5 में से 4 मैच गंवाए
3 विकेटकीपर को मैदान में लेकर उतरने के सिलसिले के बाद टीम इंडिया पिछले पांच मे से चार मैच हार चुकी है. न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज से शुरू करते हैं. पहले मैच में तीनों विकेटकीपर मैदान में उतरे. भारत वो मैच 80 रनों से हार गया. तीनों विकेटकीपरों में पंत ने 4, धोनी ने 39 और कार्तिक ने 5 रन बनाए. दूसरे टी-20 में भारत जीता लेकिन उसमें रोहित शर्मा का शानदार अर्धशतक शामिल है. पंत ने भी 40 रन जरूर बनाए. लेकिन तीसरे टी-20 में भारत फिर हार गया.
इस बार न्यूज़ीलैंड ने 4 रनों से जीत हासिल की. इस मैच में पंत ने 28, धोनी ने 2 और दिनेश कार्तिक ने नॉट आउट 33 रन बनाए. लेकिन ये प्रयास 213 रनों के लक्ष्य के हिसाब से काफी नहीं था. अब लगे हाथ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टी-20 मैच का जिक्र कर लेते हैं. पहले टी-20 मैच में इन तीनों विकेटकीपर ने मिलकर 33 रन बनाए. इसमें पंत का योगदान 3 और दिनेश कार्तिक का योगदान 1 रन का था. धोनी ने 37 गेंद पर 29 रनों की पारी खेली थी. बुधवार को खेले गए मैच में ऋषभ पंत ने 1 रन बनाया. दिनेश कार्तिक 8 रन पर नॉट आउट लौटे. जबकि धोनी ने 23 गेंदों पर 40 रनों की तेज पारी खेली. बावजूद इसके टीम को हार का मुंह देखना पड़ा.