आजकल की परिवर्तित आरामदायक जीवनशैली और उससे संबंधित बीमारियां जैसे कि डायबिटिज, ब्लड प्रेशर औऱ मोटापा आदि के कारण अधिकांश लोगों में ब्लड क्लॉटिंग यानी खून के थक्के बन जाने की समस्या हो रही है. ब्लड क्लॉटिंग का मतलब होता है शरीर में किसी भी एक निश्चित जगह की नस में खून का जम जाना, जिससे वहां का हिस्सा प्रभावित होने लगता है. ब्लड क्लॉटिंग की इस समस्या को थ्रोम्बोसिस कहा जाता है जिसे लेकर जागरुक कर रही हैं इंदौर के कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल की डॉ. त्रिशला सिंघवी, कन्सल्टेन्ट, क्रिटिकल केयर -


क्या होता है थ्रोम्बोसिस


जब नसों में खून के थक्के बनने लगते हैं, तो यह धीरे-धीरे शरीर को प्रभावित करने लगता है. वैसे आमतौर पर  यह शुरुआती स्तर पर इसमें नुकसान काफी कम महसूस होता है, लेकिन असल में यह लोगों को धीरे-धीरे गंभीर परिस्थितियों की ओर धकेल रहा होता है. यह समस्या शरीर के किसी एक अंग में हो सकती है, जिससे वह अंग प्रभावित होता है. शरीर में ब्लड क्लॉटिंग की यह समस्या थ्रोम्बोसिस कहलाती है. इसके लिए जरूरी है कि ब्लड क्लॉटिंग के शुरुआती संकेतों को पहचानें और इसके कारण होने वाली गंभीर परेशानियों से बचें.


मस्तिष्क में ब्लड क्लॉटिंग होना 


खून का थक्का दिमाग में भी बन सकता है, इससे मरीज को अचानक लकवा आ सकता है और इसके शुरुआती लक्षणों में मुंह का टेढ़ा होना, बात नहीं कर पाना औऱ हाथों और पैरों में अचानक कमजोरी आना आदि हो सकते हैं. 



हृदय में ब्लड क्लॉटिंग


हृदय में यदि किसी आर्टरी में खून का थक्का जम जाता है तो इससे व्यक्ति को हार्ट अटैक का खतरा होता है. इसके संकेतो में घबराटहट, धड़कनों का तेज हो जाना, सांस फूलना, हाथों या कंधों में दर्द होना, तेज पसीना आना या ब्लड प्रेशर का अचानक कम हो जाना आदि हो सकते हैं. समय रहते इन लक्षणों के आधार पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि तुरंत निदान और उपचार मिल सके.


पेट में ब्लड क्लॉटिंग 


ब्लड क्लॉटिंग की समस्या पेट में भी हो सकती है. गंभीर पेट दर्द और उल्टीयां आना आदि इसके लक्षणों में शामिल हैं. यदि ऐसी कोई परेशानी है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.  


हाथ या पैर में ब्लड क्लॉटिंग 


क्लॉटिगं की समस्या पैरों या हाथों में भी हो सकती है जिसमें सूजन, दर्द और ऐंठन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. कई बार पैरों और हाथों में इन लक्षणों को हल्के में लेकर मरीज डॉक्टर को नहीं दिखाता, जिससे उनके प्रभावित स्थान में सड़न होने लगती है इसलिए इसे नजरअंदाज बिल्कुल न करें और डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें. 


थ्रोम्बोसिस के उपचार


थ्रोम्बोसिस के लिए कई तरह के इलाज की सुविधा उपलब्ध है, जिससे मरीज को बिल्कुल ठीक किया जा सकता है, लेकिन उपचार, मरीज की समस्या पर निर्भर करता है. यदि मरीज शुरुआती लक्षणों की पहचान कर तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करता है तो उसके शरीर में बन रहे क्लॉट्स को इंजेक्शन के द्वारा ही खत्म किया जा सकता है लेकिन इसके लिए शुरुआती लक्षण दिखने पर मरीज को 3-6 घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचनी जरुरी होता है. वहीं यदि मरीज काफी गंभीरता के साथ डॉक्टर के पास आता है तो उसकी सर्जरी करना ही आखिरी विकल्प होता है. थ्रोम्बोसिस की समस्या की गंभीरता को समझते हुए चौबीस घंटे की उपलब्धता की सुविधा देने वाले अस्पताल जाएं, जहां तुरंत इलाज मिल सके.





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