मोदी कुछ घंटे बाद दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। इन बीते 6 दिनों में देश की राजनीति में ना सिर्फ बड़े उतार-चढ़ाव बल्कि बदलाव भी देखने को मिले हैं, लेकिन बदलाव की बयार सिर्फ हिन्दुस्तान ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी बहने लगी है।  मोदी को लेकर प्रतिष्ठित कही जाने वाली टाइम पत्रिका का रुख एक बार फिर बदल गया है।  जिस टाइम को मोदी आम चुनावों के दौरान विभाजनकारी दिख रहे थे। उसी पत्रिका ने मोदी को भारत को जोड़ने वाला अबतक का सबसे करिश्माई नेता बताया है,  तो आखिर बीते 18 दिनों में ऐसा क्या हुआ कि जिसने मोदी को लेकर अमेरिकी पत्रिका को अपना रुख बदलने को मजबूर कर दिया।


-क्या नरेंद्र मोदी को विभाजनकारी बताने वाला टाइम गुजर गया ?
-क्या चुनाव के दौरान मोदी के खिलाफ अमेरिकी मैगजीन ने कोई साजिश की थी?
-और क्या जीत के बाद मोदी के एक भाषण ने दुनिया की सोच बदल दी है?

मोदी की प्रचंड जीत ने सारी दुनिया की आंखें खोल दी। सारी दुनिया की सोच बदल दी। कल तक प्रधानमंत्री मोदी को डिवाइडर इन चीफ बताने वाली अमेरिकी मैगजीन टाइम भी आज उनके नेतृत्व की मुरीद हो गई है। पीएम मोदी का जबरदस्त टाइम आया तो बदल गए टाइम मैगज़ीन के सुर।

जो टाइम मैगजीन आज मोदी की शान में कसीदे पढ़ रही है। उसी पत्रिका ने कुछ दिनों पहले अपने पिछले अंक में नरेंद्र मोदी को अपने कवर पेज पर डिवाइडर इन चीफ यानी 'भारत को बांटने वाला प्रधानमंत्री' बताया था।

मोदी भारत के पहले ऐसे गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं, जिन्होने ना सिर्फ सत्ता में दोबारा वापसी की बल्कि पहले से भी ज्यादा बहुमत हासिल किया। इससे पहले ऐसा सिर्फ जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गाँधी ही कर पाए थे। मोदी ने अपनी इस जीत का श्रेय सियासी गणित को नहीं बल्कि जनता के साथ केमिस्ट्री को दिया।

मोदी ने इस भाषण में अपने न्यू इंडिया के निर्माण में समाज के हर वर्ग की हिस्सेदारी का जिक्र करते हुए साफ कर दिया था कि उनकी जीत सेक्युलरिज्म के नाम पर समाज को बांटने वालों के लिए सबक है लेकिन लोकसभा चुनावों के दौरान इसी टाइम मैगजीन ने विभाजनकारी बताकर मोदी की छवि भी धूमिल करने की कोशिश की थी तो क्या वजह है कि महज 18 दिनों में ही इस पत्रिका के लिए मोदी बदल चुके हैं।