Azadi Ka Amrit Mahotsava: देश की आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए मोदी सरकार ने "हर घर तिरंगा" अभियान को जिस तरह से लॉन्च किया और पूरे देश ने उसे जिस जज़्बे के साथ अपनाया. उसकी कोई मिसाल नहीं हो  सकती. बेशक इसके जरिये देशवासियों में अपने राष्ट्रीय ध्वज़ के प्रति सम्मान की एक नई भावना जागृत हुई है लेकिन इसके सियासी मायने भी हैं जिसका अंदाज़ विपक्षी दलों को भी है.


लेकिन कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सियासी कुरुक्षेत्र के मैदान में अक्सर ऐसे बाण चला देते हैं, जहां विपक्ष चाहते हुए भी उसे सरकार के ख़िलाफ़ कोई मुद्दा बना ही नहीं पाता, इसलिए कि वे ऐसे अभियान के जरिये महानगरों से लेकर दूरदराज में बसे गावों के लोगों को खुद ब खुद इससे जुड़ने में लिए मजबूर कर देते हैं. सियासत में किसी राजनेता की यही सबसे बड़ी कामयाबी होती है कि उसकी एक आवाज़ पर यकीन करते हुए देश की अधिसंख्य जनता उस पर अमल करके दिखाती भी है.


आपको याद होगा कि मार्च 2020 में देश में कोरोना लहर की पहली दस्तक देते ही पीएम मोदी ने दो बड़े ऐलान किये थे. पहला था-रविवार को समूचे देश में जनता कर्फ्यू लगाने का फैसला.वह संपूर्ण लॉकडाउन लगाने से पहले देश के लोगों को मानसिक रुप से तैयार करने की एक सोची-समझी रणनीतिक अपील थी. लॉकडाउन लगते ही उन्होंने देशवासियों से दूसरी अपील की थी कि वे शाम को एक तय वक़्त पर कुछ मिनट के लिए अपने घर के आंगन, बालकनी या छत पर जाकर ताली,थाली या घंटी बजाकर इस महामारी से लड़ने का उद्घोष करें. सब जानते हैं कि लोगों ने इसे पूरे मन से कर दिखाया और तब दुनिया के कई मुल्क ये देखकर हैरान थे कि भारत के पीएम की अपील में आखिर ऐसा क्या जादू है कि पूरा देश उसे एक सुर में मानते हुए वही कर भी दिखाता है!


राजनीतिक विश्लेषकों के नजरिये से देखें, तो वे कहते हैं कि 90 के दशक में प्रमोद महाजन ही बीजेपी में इकलौते ऐसे नेता थे, जो समय से आगे की सोचते हुए पार्टी की सियासी रणनीति बनाया करते थे. उनके दुनिया से विदा हो जाने के बाद मोदी ने न सिर्फ उस खाली जगह को भरा बल्कि उनसे भी कई गुना आगे जाकर अपने फर्टाइल दिमाग़ का बखूबी इस्तेमाल करते हुए हमेशा इस पर फोकस रखा कि किसी भी अभियान में जन -भागीदारी को कुछ इस तरह से जोड़ा जाये कि वह राष्ट्रभक्ति का ज्वार लाने के साथ ही पार्टी के लिए भी लंबे समय तक फायदेमंद साबित हो सके.


तिरंगा अभियान भी उसी दूरदर्शी सोच का नतीजा है. आज़ादी का अमृत महोत्सव तो सिर्फ एक ही बार आना है लेकिन इसके जरिये देशवासियों में देशभक्ति का जो जज़्बा पैदा होगा, उसकी याद लोगों के जेहन में अगले कई सालों तक बनी रहे, इसलिये हर घर तिरंगा अभियान को सिर्फ धूमधाम से मनाने के लिए ही नहीं बल्कि हद से गुज़र जाने वाले जोश को पैदा करने के मकसद से शुरू किया गया. अभियान के पहले दिन यानी 13 अगस्त को देश भर से जो तस्वीरें सामने आई हैं, उनमें से कुछ तो बेहद रोमांचित करने वाली भी हैं.


शायद यही कारण है कि पीएम मोदी ने हर घर तिरंगा अभियान में लोगों का जोश और जुनून देखकर अपनी खुशी जताने नें जरा भी देर नहीं लगाई. उन्होंने कहा कि इससे देशवासियों के दिल में राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) के लिए सम्मान बढ़ा है. मोदी ने देशवासियों से स्वतंत्रता दिवस समारोह से पहले हर घर तिरंगा की आधिकारिक वेबसाइट पर तिरंगे के साथ अपनी एक तस्वीर साझा करने का अनुरोध किया है. जाहिर है कि उनके इस आग्रह के बाद तस्वीर साझा करने वालों की ऐसी बाढ़ आ जायेगी कि उस वेबसाइट की क्षमता भी तौबा करते हुए अपने हाथ खड़े कर दे, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.


लेकिन इतने भव्य पैमाने पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाने और हर घर तिरंगा लहराने का असली मकसद तो उस दिन पूरा होगा, जब इस देश को गरीबी,बेरोजगारी,भुखमरी के खात्मे के साथ ही लोगों को आपस में लड़ाने वाली धार्मिक उन्मादी ताकतों से भी हमेशा के लिये छुटकारा मिलेगा.क्या सचमुच ऐसा होगा?


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