क्या जेल से सरकार चला सकते हैं सीएम केजरीवाल? इस्तीफा नहीं दिया तो क्या होगा? जानिए हर सवाल के जवाब
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने गुरुवार की शाम को गिरफ्तार कर लिया. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से मना कर दिया और शुक्रवार यानी आज कोर्ट उस पर सुनवाई करेगी. आम आदमी पार्टी ने इस गिरफ्तारी को साजिश बताते हुए पूरे देश में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. इस गिरफ्तारी से एक संवैधानिक संकट भी खड़ा हो सकता है, क्योंकि केजरीवाल और उनकी पार्टी काफी पहले से कहते आए हैं कि दिल्ली के सीएम जेल से ही अपनी सरकार चलाएंगे. आम आदमी पार्टी के मुखिया को अपनी गिरफ्तारी का अंदेशा था और इसीलिए वह दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मांगने भी गए थे कि ईडी उन्हें गिरफ्तार न करे, यह सुनिश्चित किया जाए, लेकिन कोर्ट ने उनको यह राहत देने से मना कर दिया था. उसके बाद ही ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने दो घंटे की पूछताछ के बाद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया.
कब तक बचते केजरीवाल?
केजरीवाल को 9 समन ईडी ने भेजे थे. वह इसको पॉलिटिकल और राजनीतिक समन बताते रहे, उससे बचते रहे. इसके बाद ईडी ने गुरुवार शाम उनको गिरफ्तार किया. यह गिरफ्तारी पीएमएल की धारा सेक्शन 50 के तहत हुई है. फिर, इनको ईडी मुख्यालय ले जाया गया जहां मेडिकल के बाद शुक्रवार यानी आज इनको राउस एवेन्यू कोर्ट में पेश कर रिमांड की मांग ईडी करेगी.
ईडी ने जितने सवाल किए, उसका सही जवाब भी ये नहीं दे रहे थे, यानी सहयोग नहीं कर रहे थे, तो ईडी जब कस्टडी लेगी तो सख्ती से पूछताछ करेगी. जो भी लोग इस मामले में आरोपित हैं, चाहे संजय सिंह हों, मनीष सिसोदिया या के कविता हों, उनके सामने बिठाकर भी बात होगी. इनको सबूत दिखाया जाएगा, फिर पूछताछ होगी. जहां तक केजरीवाल की जमानत का सवाल है, तो इससे पहले मनीष सिसोदिया, संजय कुमार सिंह भी गिरफ्तार हो चुके हैं. वे आज तिहाड़ में हैं. उन्होंने राउस एवेन्यू से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक क्यूरेटिव पेटिशन तक दाखिल की है, लेकिन उनको राहत नहीं मिली. अभी केजरीवाल की जमानत तो दूर की बात है, अभी तो इनको कई तरह की जांच से गुजरना होगा. जैसे शराब-घोटाला है, वैसे ही मनी-लॉन्ड्रिंग के कई मामले हैं, दिल्ली जल बोर्ड का घोटाला है, तो इनकी परेशानियां बढ़ सकती हैं.
गिरफ्तारी से केजरीवाल का बचना मुश्किल था. जिस तरह से इनके साथियों की गिरफ्तारी हुई, तो ईडी के पास पुख्ता सबूत होंगे. अब ये मुख्यमंत्री हैं, तो जो भी घटना-दुर्घटना हुई, वह इनके संज्ञान में जरूर होगी, ऐसा ईडी को लगता होगा. ये ईडी को लगातार लक्षित करते रहे, उल्टा-पुल्टा बोलते रहे, हाईकोर्ट में चले गए, लेकिन उनको स्टे वहां से मिला भी नहीं. इनको जमानत इतनी जल्द मिलने की संभावना नहीं है.
बिना सबूत गिरफ्तारी नहीं होती
कोई भी जांच एजेंसी हो, चाहे केंद्र की हो या राज्य की, वह बिना सबूत के कोई भी गिरफ्तारी नहीं करती है. यह तो दिल्ली के मुख्यमंत्री थे, बड़ी हैसियत वाले थे. दिल्ली हाईकोर्ट ने तो खैर सबूत मांगा भी है. उसने तो कहा कि सबूत हैं तो दिखाओ. जस्टिस ने सबूत देखते ही स्टे देने से मना कर दिया है. जमानत जल्द नहीं मिलेगी, इसकी वजह है कि संजय सिंह, सिसोदिया और के कविता इसी मामले में गिरफ्तार हुए हैं. उनसे इनका आमना-सामना कराया जाएगा. बहुत सारे सबूत हैं, जिनसे इनका कंफ्रन्टेशन (आमने-सामने) कराया जाएगा. इसमें बहुत समय लगेगा. वैसे भी, ये बहुत ताकतवर हैं, तो जब तक जांच चलेगी, लंबी जांच चलती है, 6 महीने या 8 महीने चले, तब तक जमानत नहीं मिलेगी क्योंकि डर है कि ये रिहा होने के बाद सबूत नष्ट करें, गवाहों को धमकाएं. अभी के जो हालात हैं, उसमें इनका 6 महीने तक निकलना तो मुश्किल लग रहा है. जिस तरह मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के मामले में फास्ट ट्रैक चलाने की बात सुप्रीम कोर्ट ने कही थी, वैसा ही इनके मामले में भी हो सकता है. अगर पाक-साफ होंगे तो छूट सकते हैं, वरना दोष-सिद्ध यानी कन्विक्ट भी हो सकते हैं.
हाईकोर्ट ने नहीं दी राहत
ईडी का संवैधानिक अधिकार समन भेजना है. अब एक समन हो या 9 समन, उसकी गंभीरता उतनी ही है. उसकी अनदेखी भारी पड़ती है. इसके पहले भी ये 174 के तहत राउस एवेन्यू गए थे और कोर्ट ने तब भी कहा था कि केजरीवाल को जाना चाहिए था. ये नहीं गए और यही इनको भारी पड़ा. 9 समन बहुत होते हैं. ईडी तो दूसरे समन पर ही गिरफ्तार कर सकती है. केजरीवाल बार-बार उस पर राजनीतिक बयानबाजी करते रहे. कोई भी राजनीतिक पार्टी अपने नेता का बचाव तो करती ही है. हाईकोर्ट ने बाकायदा सबूत देखे और इनको स्टे नहीं दिया.
अगर ईडी के पास सबूत नहीं होते तो इनको स्टे मिल जाता, कोई इनको गिरफ्तार नहीं कर पाता. ईडी के पास सबूत है, तभी उसने इतने समन भेजे और आखिरकार इनको गिरफ्तार कर लिया. अब केजरीवाल को ट्रायल फेस करना होगा और जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया कि उनके यहां पेटिशन न लगाए. अभिषेक मनु सिंघवी ने जो संजय सिंह और सिसोदिया के वकील हैं, उन्होंने तो क्यूरेटिव पेटिशन भी लगाया, लेकिन फिर भी दोनों को जमानत नहीं मिली. तो, केजरीवाल की जमानत भी फिलहाल तो मुश्किल ही दिख रही है. अब ट्रायल कोर्ट में उनको मुकदमे का सामना करना ही होगा.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ़ लेखक ही ज़िम्मेदार हैं.]
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