अपने क्रांतिकारी विचारों के लिए दुनिया भर में विवादास्पद रहे मशहूर दार्शनिक ओशो ने कहा था- "राजनीति नीति नहीं, अनीति है. न मालूम किन बेईमानों ने उसे राजनीति का नाम दे दिया. नीति तो उसमें कुछ भी नहीं है. राजनीति है: शुद्ध बेईमानी की कला. राजनीति, अपराधों को सुंदर-सुंदर रंग और सुंदर-सुंदर मुखौटे पहनाने की कला है."


कहते हैं कि राजनीति का कोई चरित्र नहीं होता, इसलिये वह बेशर्मी की हद तक गिर सकती है. चुनाव के दौरान कमोबेश सभी पार्टियों के नेताओं को अंधेरी रात में झुग्गी बस्तियों के लोगों के बीच शराब बांटते हुए देखा जा सकता है क्योंकि वे जानते हैं कि वहां का हर वोट बिकता है, खरीदने की हैसियत होनी चाहिए. तेलंगाना में विधानसभा के चुनाव अभी दूर हैं, जो कि अगले साल के अंत में होने हैं. लेकिन वहां से राजनीति की बेहयाई को दिखाने वाला एक वीडियो सामने आया है, जो किसी झुग्गी बस्ती का नहीं, बल्कि वारंगल शहर का है. 


इस वीडियो में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) की पार्टी टीआरएस के नेता राजनाला श्रीहरि वारंगल में स्थानीय लोगों को शराब की बोतलें और मुर्गा बांटते हुए दिखाई दे रहे हैं. दरअसल, 5 अक्टूबर को दशहरे के अवसर पर केसीआर राष्ट्रीय पार्टी बनाने का ऐलान करके राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री करने वाले हैं. जाहिर है कि उससे पहले लोगों को शराब की बोतल और जिंदा मुर्गा बांटकर सुर्खियों में आने की कवायद का बड़ा मकसद तो यही होगा कि ये महाशय केसीआर की नजरों में आ जाएं और अगले चुनाव के लिए अपना टिकट पक्का कर लें. 


समाचार एजेंसी एएनआई ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है,  जिसमें टीआरएस नेता राजनाला एक ट्रक के पास खड़े हुए हैं. ट्रक के अंदर मुर्गे हैं और एक टेबल पर शराब की बोतलें रखी हुई हैं. वीडियो में नेताजी के हाथों शराब और मुर्गा लेने के लिए लोगों की लंबी लाइन लगी है, जिसमें महिलाएं भी नजर आ रही हैं. 


बताते हैं कि इन नेताजी ने 200 मुर्गे औऱ 200 शराब की बोतलें खरीदीं और इलाके के लोगों को मुफ्त में इसे बांटने का ऐलान कर दिया. बस, फिर क्या था पुरुष तो पुरुष महिलाएं भी मौके पर पहुंच गई. इस दौरान श्रीहरि ने तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव और राज्य के आईटी व उद्योग मंत्री के टी रामा राव के कटआउट भी खड़े किए थे.  राजनल्ला ने ऐलान किया है कि वो केसीआर के लिए विशेष पूजा भी आयोजित करेंगे.  


हालांकि इस वीडियो के सामने आते ही प्रदेश में राजनीतिक विरोध शुरु हो गया है.  अभी तक टीआरएस या मुख्यमंत्री ने इस विवाद पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. वैसे केसीआर पिछले काफी समय से थर्ड फ्रंट बनाने पर जोर दे रहे थे और नीतीश कुमार से हुई मुलाकात में भी उन्होंने प्रधानमंत्री पद को लेकर कोई नाम नहीं सुझाया था क्योंकि वे खुद भी पीएम पद का उम्मीदवार बनने के दावेदारों में से एक हैं. लेकिन इसके लिए राष्ट्रीय पहचान बनानी भी जरूरी है, लिहाजा उन्होंने राष्ट्रीय पार्टी लॉन्च करने  के फैसला लिया है. कयास लगाये जा रहे हैं कि वे पार्टी का नाम बदल सकते हैं लेकिन इसकी संभावना कम ही है क्योंकि वैसे ही उनकी पार्टी का पूरा नाम तेलंगाना राष्ट्र समिति है. 


हालांकि राष्ट्रीय पार्टी के नाम को लेकर टीआरएस नेता श्रीधर रेड्डी ने कहा कि देशवासी एक मजबूत मंच की तलाश में है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार सभी पहलुओं में नाकाम रही है. केसीआर ने राष्ट्रीय मंच के लिए कहा था और अब वह राष्ट्रीय स्तर पर जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि गुजरात मॉडल पूरी तरह फेल हो गया है और देश एक मजबूत विकल्प की तलाश में है. उनके मुताबिक केसीआर राष्ट्रीय पार्टी के नाम की घोषणा करेंगे, देखें और इंतजार करें. 


तेलंगाना की इस घटना ने फिर ये साबित कर दिखाया कि राजनीति में लोक-लाज, शर्म, हया का कोई स्थान नहीं है. शायद इसीलिए हिंदी के मशहूर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने लिखा था- "राजनीति में शर्म केवल मूर्खों को ही आती है और अंधभक्त होने के लिए प्रचंड मूर्ख होना अनिवार्य शर्त है."


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