एक्सप्लोरर

Russia Ukraine War: बड़े देशों का स्वार्थ, छोटे देशों की बर्बादी

हर देश का सपना होता है कि वो एक राष्ट्र राज्य बने. लेकिन खंडित मानसिकता के साथ कोई देश अपने को राष्ट्र राज्य नहीं बना सकता. इसके साथ ही एक सवाल नत्थी होता है कि क्या अपने को राष्ट्र राज्य बनाने के लिए दूसरे देशों में खंडित मानसिकता का जहर बोना जरूरी है? दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होते होते दुनिया के भौगोलिक और राजनीतिक मानचित्र पर यह साफ हो गया कि सबसे बड़ी दो शक्तियां हैं- एक अमेरिका और एक सोवियत संघ. इन दोनों देशों ने दुनिया को अपनी तरफ खींचने की कोशिश की.

अमेरिका ने दुनिया के तमाम देशों को उकसाया

अमेरिका जरूर दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है लेकिन अपनी सुविधा और स्वार्थों के लिए किसी देश के लोकतंत्र को कुचलने और तानाशाही को प्रश्रय देने में आगे रहता है. इराक से लेकर अफगानिस्तान तक तमाम देश हैं जहां उसने तानाशाही और आतंकी प्रवृतियों और मानसिकता को उकसाया. हालांकि इस चक्कर में उसके भी हाथ जले लेकिन किसी को खाक करने में थोड़ा बहुत हाथ तो जल ही जाता है. अमेरिका के पास अपनी ताकत का मरहम है, वो लगाकर ठीक हो जाता है लेकिन दूसरे देश क्या करें, जिनको असंतोष, गरीबी, आक्रोश, विद्रोह, आतंकवाद और तानाशाही की तेजाब में गलाकर अमेरिका मार डालता है.

अफगानिस्तान है सबसे दर्दनाक उदाहरण

ऐसा नहीं है कि ये काम सिर्फ अमेरिका ही करता है. जिस देश को अपना बाहुबल पुजवाना होगा, जिसको दुनिया का दादा बनना होगा, वह देश यही करेगा. शीत युद्ध के दौर में जब रूस भारत का दोस्त माना जाता था (आज भी माना जाता है) तब उसकी शक्ति, खासकर सामरिक शक्ति का इस्तेमाल अक्सर दुनिया को बदतर करने में हुई. हम भारत के लोग रूस को लेकर इस कोरी भावुकता का शिकार हो जाते हैं कि वो अमेरिका और चीन के खिलाफ हमेशा हमारा मददगार रहा है. लेकिन हम भूल जाते हैं कि दुनिया के तमाम बड़े देश सिर्फ अपने लिए जीते और अपने लिए मरते हैं. उनकी इनायतों में भी कुछ छुपे एजेंडे होते हैं. अमेरिका और रूस दुनिया को अपना हथियार बेचते हैं. अगर युद्ध ही नहीं होगा तो हथियार किस काम के होंगे. इसीलिए वो तमाम देशों को उकसाते रहते हैं और कभी कभी अपनी दखलअंदाजी से हालात को बदतर बनाते हैं. अफगानिस्तान उसका सबसे दर्दनाक उदाहरण है.

भेदभाव और शोषण की है लंबी दूरी

1970 के दशक में अफगानिस्तान पर रूस का काला पंजा पड़ा. वो एक बेहतरी के रास्ते पर बढ़ा देश था. समाज खुल रहा था. लड़कियां यूनिवर्सिटी में बगैर बुरके के पढ़ने जाती थीं. लोकतंत्र का वातावरण था. लेकिन तख्तापलट करके बनी एक कम्युनिस्ट सरकार को बचाने और अफगानिस्तान को अघोषित जागीर बनाने के चक्कर में रूस में उस देश को युद्ध में धकेल दिया. बाद में अमेरिका की गिद्ध दृष्टि पड़ी और आज अफगानिस्तान की लाश दुनिया के चौराहे पर लूटी-खसोटी हुई नंगी पड़ी है. क्या हमने कभी सोचा कि हम जिन बड़े देशों को अपना दोस्त समझते हैं, वो छोटे छोटे देशों को कैसे मार डालते हैं. हम सिर्फ इस बात से ही खुश हो जाते हैं कि अमेरिका और रूस जैसे देशों के राष्ट्रपति हमारे लिए बस एक फोन की दूरी पर खड़े हैं. लेकिन उस एक फोन की दूरी के बीच पहली दुनिया और तीसरी दुनिया के बीच असमानता, भेदभाव, शोषण की कितनी लंबी दूरी है, हम उसके बारे में नहीं सोचते.

पाकिस्तान को आतंकी संरक्षण देने वाला देश है यूएस

अफगानिस्तान को बचाने के नाम पर अमेरिका बीस साल तक वहां डटा रहा और फिर तालिबानी गिद्धों के हवाले उस देश को छोड़कर चला गया. तालिबान को उपजाने वाला अमेरिका है. ओसामा बिन लादेन को खाद पानी देकर विषवृक्ष बनाने वाला अमेरिका है. पाकिस्तान को आतंकी संरक्षण देने वाला अमेरिका है. इराक में किसी सद्दाम हुसैन की तानाशाही को अपनी सुविधा के लिए इस्तेमाल करने वाला अमेरिका है. आज उसी अमेरिका ने यूक्रेन को भी मोहरे की तरह इस्तेमाल किया.

यूक्रेन को अकेला छोड़कर यूएस ने दिया है खतरनाक व्यवस्था को जन्म

जिस वक्त यूक्रेन अपने लिए जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है, उस वक्त अमेरिका ने उसको अकेला छोड़ दिया. बस उसके राष्ट्रपति जो बाइडेन अपने घर में बैठकर तमाशा देख रहे हैं और यूक्रेन को जुबानी संबल दे रहे हैं. 1991 में सोवियत संघ बिखरा तो रूस के बाद बने सबसे बड़े देश यूक्रेन को कभी अमेरिका तो कभी खुद रूस ने अपना मोहरा बनाया. आज वो मोहरा पिट गया तो कोई साथ नहीं है.

इन सारी बातों का निष्कर्ष यही है कि यूक्रेन को अकेला छोड़कर अमेरिका ने एक खतरनाक व्यवस्था को जन्म दिया है. वो खतरनाक व्यवस्था ये है कि कल कोई भी ताकतवर देश अपने पड़ोस के किसी कमजोर देश की गर्दन मरोड़ देगा और बड़े देश अपनी सुविधा के हिसाब से दूर बैठकर निंदा कर देंगे या मरते देश पर मृत्युलेख लिख देंगे. रूस और अमेरिक की इस श्रृंखला में चीन भी जुड़ गया है. 

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Maha Kumbh Stampede: वो दो अफसर कौन? जिनके कंधों पर अब महाकुंभ की जिम्मेदारी
वो दो अफसर कौन? जिनके कंधों पर अब महाकुंभ की जिम्मेदारी
Video: रात के अंधरे में सेना के हेलिकॉप्टर से टकराई पैसेंजर्स से भरी फ्लाइट, इलाका धुआं-धुआं
रात के अंधरे में सेना के हेलिकॉप्टर से टकराई पैसेंजर्स से भरी फ्लाइट, इलाका धुआं-धुआं
महाकुंभ: 72 साल में 6 भगदड़, 1954 के दर्दनाक हादसे में मरे थे 800 से ज्यादा लोग, इन हादसों में भी हुई मौत
महाकुंभ: 72 साल में 6 भगदड़, 1954 के दर्दनाक हादसे में मरे थे 800 से ज्यादा लोग
Mahatma Gandhi 77th Death Anniversary: महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि पर पीएम मोदी, अमित शाह समेत मंत्रियों का नमन, जानें क्या बोले खरगे
महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि पर पीएम मोदी, अमित शाह समेत मंत्रियों का नमन, जानें क्या बोले खरगे
ABP Premium

वीडियोज

Delhi Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव की लड़ाई... अब यमुना नदी के पानी पर आई |ABP NewsMahakumbh Stampede Update :  महाकुंभ हादसे को लेकर सीएम योगी का बड़ा एक्शन! |ABP NewsDelhi Elections 2025: दिल्ली चुनाव में AAP के खिलाफ Congress ने चला ये बड़ा दांव |ABP NewsDelhi Elections 2025: दिल्ली में चुनाव प्रचार के लिए उतरेंगे देश के बड़े दिग्गज नेता | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Maha Kumbh Stampede: वो दो अफसर कौन? जिनके कंधों पर अब महाकुंभ की जिम्मेदारी
वो दो अफसर कौन? जिनके कंधों पर अब महाकुंभ की जिम्मेदारी
Video: रात के अंधरे में सेना के हेलिकॉप्टर से टकराई पैसेंजर्स से भरी फ्लाइट, इलाका धुआं-धुआं
रात के अंधरे में सेना के हेलिकॉप्टर से टकराई पैसेंजर्स से भरी फ्लाइट, इलाका धुआं-धुआं
महाकुंभ: 72 साल में 6 भगदड़, 1954 के दर्दनाक हादसे में मरे थे 800 से ज्यादा लोग, इन हादसों में भी हुई मौत
महाकुंभ: 72 साल में 6 भगदड़, 1954 के दर्दनाक हादसे में मरे थे 800 से ज्यादा लोग
Mahatma Gandhi 77th Death Anniversary: महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि पर पीएम मोदी, अमित शाह समेत मंत्रियों का नमन, जानें क्या बोले खरगे
महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि पर पीएम मोदी, अमित शाह समेत मंत्रियों का नमन, जानें क्या बोले खरगे
बाघ के पेशाब से क्या वाकई हो सकता है अर्थराइटिस का इलाज? जान लीजिए एक्सपर्ट का जवाब
बाघ के पेशाब से क्या वाकई हो सकता है अर्थराइटिस का इलाज? जान लीजिए एक्सपर्ट का जवाब
क्या मौनी अवास्या पर प्रकाश राज ने महाकुंभ में लगाई थी पवित्र डुबकी? वायरल हुई फोटो तो भड़के एक्टर, दर्ज करा दी शिकायत
क्या मौनी अवास्या पर प्रकाश राज ने महाकुंभ में लगाई थी पवित्र डुबकी? वायरल हुई फोटो तो भड़के एक्टर
महाकुंभ में मची भगदड़ से 30 लोगों की मौत, ऐसे मामलों में कैसे तय होती है मुआवजे की रकम?
महाकुंभ में मची भगदड़ से 30 लोगों की मौत, ऐसे मामलों में कैसे तय होती है मुआवजे की रकम?
Watch: पाकिस्तान के 'अनफिट' विकेटकीपर आजम खान ने मिस किया आसान रन आउट, मजेदार वीडियो वायरल 
पाकिस्तान के 'अनफिट' विकेटकीपर आजम खान ने मिस किया आसान रन आउट, वीडियो वारयल
Embed widget