Budget 2022: चुनावी मौसम वाले इस बजट में क्या लोगों को मिलेगी राहतों की सौगात ?
India Budget 2022: पांच राज्यों के चुनावी मौसम के बीच कल संसद में आम बजट पेश किया जाएगा, जिसे लेकर लोगों को उम्मीद है कि मोदी सरकार इसमें इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने से लेकर महंगाई को थामने के लिए भी कुछ सौगात दे सकती है. उद्योग व कारोबार जगत भी यही आस लगाए बैठे हैं कि विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार कठोर कदम उठाने से बचेगी और मोटे तौर एक लुभावना बजट ही पेश करेगी. आर्थिक विशेषज्ञों का भी यही अनुमान है कि देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने के लिए सरकार इसमें कुछ अच्छे फैसले लेगी. कुल मिलाकर इस बजट में चुनावी छाप देखने को मिल सकती है क्योंकि पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को है और उसकी शुरुआत भी उत्तर प्रदेश से ही हो रही है.
लेकिन आम बजट पेश होने से पहले मोदी सरकार के लिए राहत भरी खबर ये आई है कि देश की अर्थव्यवस्था अब धीरे-धीरे कोरोना से पहले वाली स्थिति में पहुंचने लगी है. आज संसद में पेश हुए आर्थिक सर्वेक्षण में इस साल जीडीपी विकास दर 9.2% रहने की संभावना जताई गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद के दोनों सदनों में 2021- 22 का जो आर्थिक सर्वेक्षण सोमवार को पेश किया, उसके आंकड़े मोदी सरकार को सुकून देने वाले तो हैं, लेकिन अगले वित्तीय वर्ष के लिए थोड़े चिंताजनक भी हैं.
वह इसलिये कि आर्थिक सर्वेक्षण में अगले साल ( 2022-23 ) में आर्थिक विकास दर 8- 8.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जो इस साल के मुकाबले कम रहेगी. देश की आर्थिक सेहत को मापने का पैमाना उसकी विकास दर ही होती है, उस लिहाज़ से अगले वित्तीय वर्ष का ये अनुमान थोड़ा चिंताजनक है. हालांकि सर्वे में विकास दर ऊंची रहने का कारण व्यापक टीकाकरण अभियान, सप्लाई में सुधार, नियमों में ढील, निर्यात में जबरदस्त उछाल और राजस्व के मामले में बेहतर स्थिति को बताया गया है.
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन के मुताबिक, सर्वेक्षण के अनुसार कोरोना संकट का सबसे कम प्रभाव कृषि क्षेत्र पर पड़ा है और महामारी संकट के बावजूद कृषि क्षेत्र में विकास दर बेहद उत्साहवर्धक रहा है. साल 2021-22 में कृषि विकास दर 3.9 फ़ीसदी रहने का अनुमान है, जबकि ये पिछले वित्तीय साल मे 3.6 फ़ीसदी दर्ज की गई थी. इसी तरह उद्योग क्षेत्र में भी विकास दर 2021-22 में 11.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.
आर्थिक सर्वेक्षण पेश किए जाने के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रिंसिपल इकनॉमिक एडवाइज़र संजीव सान्याल और हाल में नियुक्त मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि "देश की अर्थव्यवस्था में तेज रफ्तार से रिकवरी हुई है और इकॉनमी के सभी सेक्टर महामारी से पहले की स्थिति में आ चुके. इतना ही नहीं, भविष्य में आर्थिक विकास की स्थिति में और सुधार आने की उम्मीद है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर का इकॉनमी पर उतना बुरा असर नहीं पड़ा, जितना पहली लहर का पड़ा था."
वी अनंत नागेश्वरन के मुताबिक, आमतौर पर आर्थिक सर्वेक्षण को आम बजट का एक बड़ा संकेत माना जाता है. अगर आम बजट की दिशा आर्थिक सर्वेक्षण जैसी ही रही, तो विकासोन्मुखी बजट की संभावना जताई जा सकती है.
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि 20 साल में पहली बार किसी सरकारी कंपनी का निजीकरण हुआ और यह बीपीसीएल, शिपिंग कॉरपोरेशन, पवन हंस, आईडीबीआई बैंक, बीईएम और आरआईएनएल की बिक्री के लिए रास्ता मजबूत करेगा. सरकार ने कुछ ही दिन पहले टाटा ग्रुप को एयर इंडिया का स्वामित्व 18 हजार करोड़ रुपये में सौंप दिया. इसमें 15,300 करोड़ रुपये कर्ज चुकता करने में किया जाएगा.
दरअसल, आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था का एक वार्षिक रिपोर्ट कार्ड है जो प्रत्येक क्षेत्र के प्रदर्शन की जांच करता है और फिर भविष्य के लिए सुझाव देता है. इसमें चालू वित्त वर्ष के परफॉर्मेंस का रिव्यू किया जाता है. ऐसे में इससे केंद्रीय बजट को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है. सर्वे से देश को अगले वित्त वर्ष की प्राथमिकताएं तय करने में मदद मिलती है. हालांकि सरकार के लिए आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत करना न तो अनिवार्य है और ना ही प्रस्तुत सिफारिशें मानने के लिए सरकार बाध्य है.
लेकिन देखना ये है कि देश का खजाना संभालने वाली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण महंगाई से लोगों को राहत देने के लिए अपने पिटारे से कैसी व कितनी सौगात निकालती हैं?
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