UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल के बीच एक दलित महिला की हत्या कर उसका शव दफनाने का हैवानियत भरा मामला उजागर होने के बाद एक बार फिर ये साबित हो गया कि राजनीति और जुर्म का रिश्ता अभी टूटा नहीं है. साथ ही यूपी से 'गुंडाराज' अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. 


इससे ये भी जाहिर होता कि दलितों के उत्थान के लिए किये जाने वाले तमाम वादे और दावे सिर्फ उनके वोट बटोरने के लिए ही हैं, जबकि हकीकत ये है कि समाज में अभी भी पिछड़ा वर्ग अत्याचार का सबसे बड़ा शिकार है. बेशक इस मामले के मुख्य आरोपी पूर्व मंत्री के बेटे को अब गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन इसने योगी सरकार की यूपी पुलिस की पोल खोलकर भी रख दी है कि उनका दलितों से कोई सरोकार नहीं है. इसका सबूत ये है कि मारी गई युवती की मां लाख मिन्नतें करती रही, लेकिन पुलिस ने उसकी एक न सुनी. लड़की के गायब होने के महीने भर बाद पूर्व मंत्री के बेटे के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज किया गया, वो भी आला अफसरों के आदेश के बाद.


पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया मामला
आरोपी के खिलाफ कार्रवाई न होने पर मृत युवती की मां ने अगर 24 जनवरी को लखनऊ में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के काफिले के सामने आत्मदाह की कोशिश न की होती, तो शायद अब भी ये मामला नहीं खुलता. मामले के तूल पकड़ने पर पुलिस ने आरोपी रजोल को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. दरअसल,उन्नाव के एक दलित परिवार की यह युवती बीते साल 8 दिसंबर को लापता हो गई थी. उसके बाद पुलिस को दी अपनी शिकायत में उसकी मां ने पूर्व राज्यमंत्री दिवंगत फतेह बहादुर सिंह के बेटे अरुण कुमार उर्फ रजोल सिंह पर बेटी को अगवा करने का आरोप लगाया था. लेकिन पुलिस ने महज गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया.


आला अफसरों के आदेश के बाद 10 जनवरी को पुलिस ने आरोपी रजोल के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज किया था. पुलिस की दो टीमें युवती की तलाश में जुटी थीं. कॉल डिटेल में युवती पूजा और रजोल सिंह की नजदीकी की पुष्टि हुई थी. जांच में सामने आया कि हत्या किसी और ने नहीं बल्कि युवती को अगवा करने के मामले में जेल भेजे गए पूर्व राज्यमंत्री के बेटे ने अपने एक साथी के साथ मिलकर की थी. पुलिस ने हत्यारोपी के दोस्त को उठाया तो उसने सब कुछ उगल दिया. आखिरकार गुरुवार को पुलिस ने उसकी निशानदेही पर पूर्व राज्यमंत्री के प्लाट में बने गड्ढे से शव को बाहर निकलवाया. बताया गया है कि पूर्व राज्यमंत्री के बेटे ने युवती की किसी दूसरे युवक के साथ नजदीकी होने की आशंका पर उसकी गला दबाकर हत्या कर दी और शव को गड्ढे में दबा दिया था.


चुनावी माहौल के बीच हत्या से गरमाई सियासत
चुनावी माहौल के बीच एक मासूम दलित की हत्या पर भी अब सियासत गरम हो गई है. जाहिर है कि इस मामले ने सपा मुखिया अखिलेश यादव की सियासी राह में कांटे बिछा दिए हैं और इस पर उन्हें बैकफुट पर ही आना पड़ेगा. लेकिन बीजेपी को सपा पर हमला करने के लिए बड़ा सियासी हथियार मिल गया है.


योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि सपा के लोगों ने गुंडाराज स्थापित कर रखा था. अपनी सरकार में ये प्रकरण तब सरकार के संज्ञान में आया जब सपा मुखिया अखिलेश यादव की गाड़ी के सामने महिला ने आत्मदाह का प्रयास किया. हम लोगों ने तत्काल उन लोगों की गिरफ्तारी के आदेश दिए. गिरफ्तारी हो चुकी है, डेड बॉडी मिली है. उन्होंने कहा कि इससे सपा का चेहरा उजागर हो गया है. इन्होंने कहा था कि नई सपा है, नई हवा है. मेरा कहना ये वही सपा है और इस बार पूरी तरह सफा है.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)


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