क्या आपको ये लगता है कि दुनिया में आतंकवाद का खात्मा किसी फाइव स्टार होटल में बैठकर सिर्फ़ जुबानी बहस से किया जा सकता है? अच्छा, जरा ये भी सोचिए कि इसके बाद आंतकी समूह क्या अपने दड़बों में छुपकर बैठ जाएंगे? ज़ाहिर-सा जवाब है कि ऐसा नहीं होगा. इसलिये कूटनीति के हमारे बहुत सारे विश्लेषक कहते हैं कि इस तरह की सारी अंतरराष्ट्रीय बैठक हमारी सरहदों की सीमा पर होनी चाहिए, ताकि आतंकी गुटों को भी इससे कड़ा संदेश मिलेगा.
हालांकि ताज होटल में ये बैठक करने का मकसद पाकिस्तान को तीखा संदेश भी देना है, जहां से आए आतंकियों ने साल 2008 के आतंकी हमले को अंजाम दिया था. लेकिन कोई नहीं जानता कि आतंकियों को पालने-पोसने वाली आईएसआई को इससे कितना फर्क पड़ेगा. लेकिन कहते हैं कि सियासत के तौर-तरीके ही कुछ ऐसे होते हैं, जहां एक मजबूर लेकिन खुद्दार इंसान की जुबान से निकली आवाज़ भी नक्कारखाने में तूती की आवाज़ ही साबित होती है.
पाकिस्तान के बॉर्डर से लगते कश्मीर के कुछ इलाकों का और चीन से जुड़ी तीन सीमाओं पर भारत का क्या हाल है, इसे मुंबई के ताज़ होटल में बैठकर आप दुनिया के विभिन्न देशों से आने वाले नुमाइंदों को क्या और कैसे समझा पाएंगे कि भारत इस आतंकवाद के दंश का आखिर कैसे मुकाबला कर रहा है. इसमें कोई शक नहीं कि एक नौकरशाह अपनी काबिलियत के दम पर सरकार में केंद्रीय मंत्री बन सकता है लेकिन उसकी विदेश नीति के बेलगाम होने पर तमाम सवाल भी उठ सकते हैं कि कहीं उनके फैसले देश को अंधी सुरंग की तरफ तो नहीं धकेल रहे हैं.
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की एक इकाई है, जो दुनिया भर में फैले आतंकवाद पर निगरानी रखती है. उसी आतंकवाद निरोधी इकाई की पहली कॉन्फ्रेंस 28 अक्टूबर को मुंबई के ताज होटल में होगी. वहीं दूसरे दिन की चर्चा 29 अक्टूबर को नई दिल्ली में होगी. संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक समिति भारत में अपने इस सम्मेलन में आतंकवादी संगठनों के इंटरनेट, नई ऑनलाइन भुगतान प्रणालियों और ड्रोन के उपयोग से निपटने के तरीकों पर चर्चा करेगी. बता दें कि मुंबई का ताज होटल साल 2008 के आतंकवादी हमले की सबसे बड़ी निशानी में से एक है. सवाल ये पूछा गया था कि आखिर इस समिति ने मुंबई में बैठक आयोजित करने का फैसला क्यों किया, इस पर विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा ने कहा कि यूएनएससी-सीटीसी भारत में ये दो दिवसीय आतंकवाद रोधी सम्मेलन आयोजित कर रही है जिसकी शुरुआत 28 अक्टूबर को मुंबई से होगी.
वर्मा के मुताबिक मुंबई में साल 2008 में जो हुआ वह वित्तीय और वाणिज्यिक क्षेत्र में भारत की पहचान पर हमला था. 28 अक्टूबर को मुंबई में होटल ताजमहल पैलेस में 26/11 आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की जाएगी. इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर मौजूद रहेंगे. इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य सहित अन्य प्रतिनिधि शामिल होंगे.
वहीं संयुक्त राष्ट्र में भारत की राजदूत और संयुक्त राष्ट्र की इस समिति की अध्यक्ष रुचिरा कंबोज का मानना है कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है. उनके मुताबिक इस बैठक में आतंकवादियों के इंटरनेट, नई भुगतान प्रणालियों और ड्रोनों के इस्तेमाल से निपटने पर ख़ास ध्यान दिया जाएगा. आपको बता दें कि लगातार उन्नत होती सूचना प्रौद्योगिकी जितनी हम सबके लिए फायदेमंद है, उससे भी ज्यादा इसके फायदे तलाशने और उसका इस्तेमाल करने में दुनिया के तमाम आतंकी संगठन मशगूल रहते हैं. सरकारें जब तक सुराग ढूंढती हैं, उससे पहले ही वो उसका ऐसा तोड़ निकाल लाते हैं, जिसे पकड़ने के लिए दुनिया की तमाम एजेंसियों को फिर से नई मशक्कत करनी पड़ती है.
शायद इसीलिए आतंकवाद निरोधी शाखा के प्रमुख डेविड सचारिया को ये कहना पड़ा कि नई एवं उभरती प्रौद्योगिकी के बहुत फायदे हैं और कोविड काल में हमने इसका अनुभव भी किया है, लेकिन अगर यह आतंकवादियों (Terrorists) के हाथ में चली जाए, तब इसका काफी विनाशकारी प्रभाव पड़ता है. लिहाजा, ऐसे में सभी सदस्यों देशों ने अनुभव किया कि यह समय इस दिशा में ठोस कदम उठाने का है और इस दिशा में हमारे सभी प्रयास वैश्विक होने चाहिए. लेकिन सवाल फिर वही है कि आतंकवाद की जमीनी हकीकत को समझे और उसके पनपने की बुनियादी वजह जाने बगैर किसी फाइव स्टार होटल की बैठक से इसका ख़ात्मा करने का इलाज क्या वाकई मिल जायेगा?
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)