एक्सप्लोरर

जब गांव में अकेले पड़ने पर पिट गए थे विजेंद्र सिंह

विजेंद्र सिंह शनिवार को एशिया पैसिफिक मिडिलवेट और डब्लूबीओ ओरिएंटल का खिताब बचाने के लिए रिंग में उतरे थे. उन्होंने अमुजु को 10 राउंड तक चले मुकाबले में मात दी.

विजेंद्र सिंह शनिवार को एशिया पैसिफिक मिडिलवेट और डब्लूबीओ ओरिएंटल का खिताब बचाने के लिए रिंग में उतरे थे. उन्होंने अमुजु को 10 राउंड तक चले मुकाबले में मात दी. बीजिंग ओलंपिक में ब्रांज मेडल जीतने के बाद लोकप्रिय हुए विजेंद्र सिंह का बचपन चुनौतियों में बीता है. मजे की बात ये है कि जिस मुक्केबाज ने आज दुनिया भर में धूम मचा रखी है उसकी भी बचपन में पिटाई हुई है. उनका गांव कालवास, हरियाणा के भिवानी जिले में आता है. विजेंद्र के पिता हरियाणा रोडवेज में बस ड्राइवर रहे और मां घरेलू महिला. बचपन में विजेंद्र सिंह की ‘ज्वाइंट’ फैमिली थी. विजेंद्र के ताऊ जी के 3 बेटे थे और विजेंद्र सिंह दो भाई, मतलब कुल मिलाकर 5 भाई थे. पांचों भाईयों में खूब जमती थी. पूरे गांव में इन्हें पांच पांडव बुलाया जाता था. जाहिर हैं कि पांचों भाई थोड़ा अकड़ में भी रहते थे. कभी किसी बात पर कहासुनी हो गई तो मिलकर किसी किसी को पीट भी देते थे. लेकिन जब पांचों भाईयों में से कोई अकेले पकड़ में आ गया तो उसे पिटना भी पड़ा. ऐसी ही लड़ाईयों में एकाध बार विजेंद्र सिंह की भी गांव में पिटाई हुई थी.

जब नर्स ने विजेंद्र को समझ लिया था मारपीट करने वाला लड़का

विजेंद्र सिंह की बॉक्सिंग की शुरूआत घर से ही हुई. उनके दादा जी को बॉक्सिंग का शौक था. वो इंडियन आर्मी में थे और खुद भी बॉक्सिंग करते थे इसलिए उन्हें इस खेल की काफी जानकारी भी थी. एक दिन वो बॉक्सिंग ग्लव्स लेकर घर आ गए. उन्होंने विजेंद्र के एक हाथ में ग्लव्स दे दिया, दूसरा किसी और को. मतलब दोनों ग्लव्स किसी एक को नहीं मिलते थे, पूरी ‘फाइट’ एक हाथ से लड़नी है. जिसे दाहिने हाथ में ग्लव्स मिल गया वो ‘किंग’ होता था और दूसरे की जमकर धुनाई करता था. क्योंकि दाहिने हाथ में ताकत ज्यादा होती है. ये सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा. विजेंद्र सिंह की बॉक्सिंग सीखने की शुरूआत ऐसे ही हुई थी. फिर उन्हें भिवानी में बॉक्सिंग सीखने की इजाजत मिली. स्कूल से बॉक्सिंग सेंटर की दूरी करीब तीन किलोमीटर थी. कभी कभार तो बस या वैन मिल जाती थी. कभी कोई लिफ्ट दे देता था. जब कुछ नहीं मिलता था तो विजेंद्र सिंह पैदल ही चल देते थे. एक बार प्रैक्टिस के दौरान विजेंद्र की बाईं आंख की भौंह के पास चोट लग गई. तीन टांके लगे. जब वो घर पहुंचे तो उनकी मां बिल्कुल घबरा गई. कहने लगीं कि अभी अगर आंख फूट जाती तो क्या होता, तुझे नौकरी कौन देता? कौन तुझसे शादी करता? ये अलग बात है कि विजेंद्र जबरदस्त दर्द हो रहा था. टांके लगाने से पहले आंख के आस पास की जगह को ‘सुन्न’ करने के लिए जो ‘एनेस्थीसिया’ दिया जाना चाहिए था, उन्हें वो नहीं दिया गया था. क्योंकि विजेंद्र सिंह को टांके सरकारी अस्पताल में लगे थे. नर्स को लगा कि वो कहीं मार पीट करके आए हैं, बाद में जब विजेंद्र सिंह ने उन्हें समझाया कि वो एक बॉक्सर हैं तब जाकर कहीं वो सहज हुईं. बाद में पता चला कि वहां ‘एनेस्थीसिया’ का ‘इंजेक्शन’ नहीं था. विजेंद्र बगैर एनेस्थीसिया के टांके लगवाने को तैयार हो गए. उन्होंने नर्स से कहा कि वो बस उन्हें अपना हाथ पकड़ लेने दें.

कैसा रहा है अब तक चैंपियन का सफर

1997-98 की बात है. विजेंद्र पहली बार भिवानी से बाहर बॉक्सिंग करने गए थे. इसके बाद वो 1999 में नेशनल चैंपियनशिप के लिए कलकत्ता (अब कोलकाता) दुर्गापुर गए थे. इस तरह धीरे धीरे बॉक्सिंग करने के लिए वो भिवानी से बाहर निकलने लगे थे. साल 2000 में नेशनल में उन्हें पहला गोल्ड मेडल मिला, फिर 2003 में वो ऑल इंडिया यूथ चैंपियन बने. एफ्रो एशियन गेम्स में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता. इसके बाद तो वो आगे बढ़ते चले गए. उनका ओलंपियन बनने का बड़ा सपना भी 2004 में पूरा हो गया. एथेंस में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया, हालांकि वो शुरूआती राउंड में ही हार गए. फिर 2008 ओलंपिक आया. वहां भी रिंग में उतरने से पहले विजेंद्र सिंह ने अपनी डायरी में लिखा था कि- “अगर आज मैं जीत गया तो स्टार बन जाऊंगा वरना कोई मुझे नहीं पूछेगा”. अपनी जिंदगी की अहम बातों को लिखना विजेंद्र सिंह की आदत है. वो 23 अगस्त तारीख थी, मंगलवार का दिन था. शूटिंग में मेडल आ गया था, सुशील ने भी मेडल जीत लिया था. बॉक्सिंग टीम पर काफी दबाव था, क्योंकि उनसे अपेक्षाएं बहुत थीं. विजेंद्र मेडल बाउट के लिए रिंग में उतरे, बस उसके बाद का उन्हें कुछ याद नहीं है. उनकी याददाश्त ‘ब्लैक आउट’ हो गई. उन्हें कुछ याद नहीं कि रिंग में क्या हुआ, वो कैसे खेले, उन्होंने क्या किया...उन्हें कुछ याद नहीं. बस इतना याद है कि वो जीत गए. जीत का वो सिलसिला अब प्रोफेशनल बॉंक्सिंग में भी जारी है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के लिए बड़ी खबर, LG विनय सक्सेना ने लिया ये बड़ा फैसला
1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के लिए बड़ी खबर, LG विनय सक्सेना ने लिया ये बड़ा फैसला
UP के तर्ज पर अब MP में भी कल से लगेगा जनता दरबार, सीएम मोहन यादव सीधे सुनेंगे फरियाद
UP के तर्ज पर अब MP में भी कल से लगेगा जनता दरबार, सीएम मोहन यादव सीधे सुनेंगे फरियाद
Babar Azam SA vs PAK: लय में लौटे बाबर आजम! दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन टेस्ट में किया ये कमाल
लय में लौटे बाबर! दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन में किया ये कमाल
Most Profitable Films of 2024: इस लिस्ट ने खोल दी बॉलीवुड की पोल, सिर्फ 2 हिंदी फिल्में बना पाईं अपनी जगह
इस लिस्ट ने खोल दी बॉलीवुड की पोल, सिर्फ 2 हिंदी फिल्में बना पाईं अपनी जगह
ABP Premium

वीडियोज

महिलाओं पर बिगड़े बोल.. राजनीति की खुलती पोल?दिल्ली में 'गाल' पर सियासत लाल !क्या 'आप'दा में अवसर है? मोदी का 'विकास' दांव...जिताएगा चुनाव?PM Modi के आरोपों पर Arvind Kejriwal का तगड़ा पलटवार

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के लिए बड़ी खबर, LG विनय सक्सेना ने लिया ये बड़ा फैसला
1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के लिए बड़ी खबर, LG विनय सक्सेना ने लिया ये बड़ा फैसला
UP के तर्ज पर अब MP में भी कल से लगेगा जनता दरबार, सीएम मोहन यादव सीधे सुनेंगे फरियाद
UP के तर्ज पर अब MP में भी कल से लगेगा जनता दरबार, सीएम मोहन यादव सीधे सुनेंगे फरियाद
Babar Azam SA vs PAK: लय में लौटे बाबर आजम! दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन टेस्ट में किया ये कमाल
लय में लौटे बाबर! दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन में किया ये कमाल
Most Profitable Films of 2024: इस लिस्ट ने खोल दी बॉलीवुड की पोल, सिर्फ 2 हिंदी फिल्में बना पाईं अपनी जगह
इस लिस्ट ने खोल दी बॉलीवुड की पोल, सिर्फ 2 हिंदी फिल्में बना पाईं अपनी जगह
यात्रीगण कृपया ध्यान दें! गुजरात के इस स्टेशन पर 60 दिन तक बंद रहेंगे दो प्लेटफॉर्म, इतनी ट्रेनें की गईं शिफ्ट
यात्रीगण कृपया ध्यान दें! गुजरात के इस स्टेशन पर 60 दिन तक बंद रहेंगे दो प्लेटफॉर्म, इतनी ट्रेनें की गईं शिफ्ट
5 दिन में 41000 करोड़ की कमाई, रिलायंस सहित इन कंपनियों ने खूब कमाया पैसा
5 दिन में 41000 करोड़ की कमाई, रिलायंस सहित इन कंपनियों ने खूब कमाया पैसा
RCB के कैप्टन को लेकर आया नया अपडेट, इस खिलाड़ी को मिलेगी कमान! विराट नहीं बनेंगे फिर कप्तान
RCB के कैप्टन को लेकर आया नया अपडेट, इस खिलाड़ी को मिलेगी कमान! विराट नहीं बनेंगे फिर कप्तान
कैसे पता लगाएं कि दवा नकली है या असली, आम आदमी कैसे जाने यह बात?
कैसे पता लगाएं कि दवा नकली है या असली, आम आदमी कैसे जाने यह बात?
Embed widget