Akhilesh Yadav Cycle Yatra: समाजवादी आंदोलन के कद्दावर नेता रहे जनेश्वर मिश्र की जयंती पर आज लखनऊ में साईकल यात्रा निकालकर अखिलेश यादव ने यूपी में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए ताल ठोक दी है. बुलंद हौसले के साथ उन्होंने सपा को चार सौ सीटें मिलने का दावा भी कर दिया है लेकिन सवाल ये है कि योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता के मुकाबले प्रदेश की जनता उनकी साईकल में इतनी हवा भरेगी कि वे फिर से सत्ता पर काबिज़ हो सकें?


अखिलेश यादव पांच साल तक सूबे के मुख्यमंत्री रहे हैं लेकिन सत्ता से हटने के बाद पिछले साढ़े चार साल में वे उस आक्रामक विपक्ष की भूमिका निभाने और जनता का समर्थन हासिल करने में उतने सफ़ल नहीं हो पाए हैं जितनी उनसे अपेक्षा थी. 


विपक्ष की भूमिका का अगर ईमानदारी से आकलन किया जाये, तो सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने और जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतरने में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी उनसे बहुत आगे निकल चुकी हैं. अब ये अलग बात है कि वे अपनी लड़ाई को किस हद तक वोटों में तब्दील करने में कामयाब हो पायेंगी लेकिन सच तो ये है कि उन्होंने जनता को एक जिम्मेदार विपक्षी दल होने का अहसास कराया है. जबकि राज्य में मुख्य विपक्षी दल की हैसियत समाजवादी पार्टी की है और योगी सरकार के खिलाफ जो आक्रमकता सपा को दिखानी चाहिये थी,वो उसमें काफी हद तक फिसड्डी साबित हुई है.


राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उनके व परिवार के अन्य सदस्यों के आय से अधिक संपत्ति के मामले केंद्रीय जांच एजेंसियों के पास लंबित होना भी इसकी एक बड़ी वजह हो सकती है. इसलिये कमोबेश हर मामले पर सरकार के खिलाफ उनका विरोध उतना मुखर कभी नहीं रहा. राजनीति में विपक्ष के बहुत ज्यादा मुखर न होने से उस दल को तो चुनावी नुकसान होता ही है लेकिन इसे सत्तापक्ष के लिए एक उपलब्धि समझा जाता है. शायद यही कारण है कि बीजेपी विपक्ष को लेकर इस बार बहुत ज्यादा परेशान नहीं दिखाई देती है और उसे लगता है कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती का ब्राह्मण कार्ड भी आखिरकार बेकार ही साबित होने वाला है.


दरअसल, योगी सरकार ने जिस तरह से माफियाओं पर शिकंजा कसा और गुंडाराज के खात्मे की दिशा पर काम किया, उससे सपा के समर्थक समझे जाने वाले एक बड़े तबके को खासा झटका लगा है. इसका नतीजा ये हुआ कि पार्टी का मजबूत कार्यकर्ता भी पस्त होकर खामोश बैठ गया.उन्हीं कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने के लिए अखिलेश ने आज लखनऊ समेत राज्य के सभी जिलों में साईकल यात्रा निकालकर ये अहसास कराया कि डरो मत क्योंकि हमने अभी मैदान नहीं छोड़ा है.


सरकार पर आरोप लगाये बगैर कोई भी नेता अपने समर्थकों में जोश नहीं भर सकता, सो अखिलेश ने भी आज कह दिया कि ''बीजेपी में अपराधियों की भरमार है. वो 'मैनीफेस्टो' नहीं 'मनीफेस्टो' बनाते हैं. उनके लिए राजनीति एक व्यापार है. बीजेपी की सरकार ने कोरोना के दौरान लोगों की मदद नहीं की और बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं. इसलिये जनता बीजेपी से नाराज है. सरकार ने जनता को धोखा दिया है."


अखिलेश ने आज एक ऐसा भी दावा कर डाला, जो दिन में तारे देखने जैसा ही है. उन्होंने कहा कि "अभी तक तो हम 350 बोलते थे लेकिन जिस तरह की नाराजगी जनता के बीच में है, हो सकता है कि अब हम 400 सीटें जीत जाएं." मजे की बात है कि यूपी विधानसभा में कुल 403 सीट हैं, लिहाज़ा उनका ये दावा फिलहाल तो ख्याली पुलाव ही नज़र आता है. वैसे 2017 के चुनाव में सपा को 49 सीटें मिली थीं, देखते हैं कि इस बार उनकी साईकल कितनी तेज़ दौड़ती है. 


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