UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के चुनावी मंच पर इन दिनों प्रचार की भाषा आरोप और प्रत्यारोप की एबीसीडी में लिखी जा रही है. गृह मंत्री अमित शाह अपनी रैलियों में जनता को ए से अपराध, बी से भाई भतीजावाद, सी से करप्शन और डी से दंगा पढ़ा रहे हैं. वहीं समाजवादी पार्टी यूपी के मतदाताओं को सिखा रही है ABCD यानि 'अब बीजेपी छोड़ दी.' मगर बीजेपी खुद सीटों की एक अलग 'ए बी सी डी' से अपनी सत्ता की राह तैयार कर रही है.


'राज की बात' ये है कि चुनावी घमासान के बीच एक चुनावी एबीसीडी सत्तारूढ़ बीजेपी अपना किला बचाने के लिए भी लिख रही है. यह यूपी के आंगन में जीत का मंत्र लिखने वाला अल्फाबेट हैं, जिसे हर पार्टी कार्यकर्ता को दिया जा रहा है. दरअसल, बीजेपी ने देश के सबसे बड़े सूबे यूपी की सभी सीटों को ABCD की चार श्रेणियों में बांटा है. 


यह बंटवारा जीत की संभावनाओं के आधार पर किया गया है. अव्वल यानि A श्रेणी में उन सीटों को रखा गया है जहाँ पार्टी के जीत की तय मानी जा रही है. इस श्रेणी में 35% सीटों को रखा गया है. वहीं B श्रेणी में ऐसी सीटें हैं जहाँ मुकाबला कड़ा है. जबकि C वर्ग की सीटें वो हैं जहाँ जोड़-जुगाड़ के बिना जीत सम्भव नहीं हैं. इस वर्गीकरण में D के खाते में ऐसी सीटें हैं जहाँ पार्टी भी अपनी हार फिलहाल तय मानी जा रही.


बहरहाल, इस चुनावी गणित में बीजेपी ने जीत का फॉर्मूला बनाने के लिए ABCD को उल्टा कर दिया है. यानि DCBA और इसी तर्ज पर सबसे ज़्यादा ज़ोर D श्रेणी की उन 20% सीटों पर दिया जा रहा है जिन्हें बीजेपी ने अब तक कभी नहीं जीता है या कभी जीत भी लिया तो फिलहाल हार तय मानी जा रही है. लिहाज़ा चुनावी इम्तिहान पास करने के लिए सबसे पहले कार्यकर्ताओं का जोर इन्हीं सीटों पर झोंका जा रहा है.


ज़ाहिर है पार्टी अपनी रणनीति में सुनिश्चित माने जाने वाले किलों को बचाने के साथ साथ जीत के अपनी पिछले रिकॉर्ड के करीब पहुँचने की भी है. ऐसे में राम और कृष्ण की धरती कहलाने वाले यूपी में चुनावी रामायण और महाभारत दोनों की पटकथा ऐसे लिखने की तैयारी ही रही है जिसमें युद्ध के दौरान सबकुछ जायज के सिद्धांत को साकार किया जा सके. 


इस रणनीति के जानकारों के मुताबिक़, चुनावी समर में पाला बदल से लेकर विवादों के बवंडर तक क़ई किरदार पर्दे पर सामने आ सकते हैं. स्वभाविक भी है क्योंकि उसके लिए उत्तर प्रदेश का इम्तेहान 2024 की बड़ी परीक्षा के लिए भी अहम है.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)