UP Election 2022: क्या भाषणों में अयोध्या के मंदिर की झांकी, जिताएगी मथुरा और काशी?
UP Election 2022: यूपी में पिछले तीन दशक में शायद ही ऐसा कोई चुनाव हुआ हो, जब कमंडल यानी मंदिर का मुद्दा न छाया हो. पांच साल पहले अयोध्या में भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण का मुद्दा गरमाकर बीजेपी (BJP) ने सत्ता में आने की राह आसान बना ली थी, तो अब उसने मथुरा की कृष्ण जन्म भूमि का राग अलापते हुए अपनी सियासी जमीन मजबूत करने का धार्मिक अस्त्र चला दिया है. चूंकि अयोध्या (Ayodhya) में तो राम मंदिर का निर्माण चल रहा है और काशी में भी विश्वानथ धाम का निर्माण शुरु हो चुका है,इसलिये सवाल उठता है कि बीजेपी इस बार क्या अयोध्या की झांकी दिखाकर काशी और मथुरा (Mathura) को पूर्ण बहुमत के साथ जीतने की तैयारी में है?
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने आज अपनी चुनावी सभा में मथुरा-वृंदावन का जिक्र छेड़कर साफ कर दिया है कि बीजेपी के चुनावी एजेंडे में ये मुद्दा प्राथमिकता में रहने वाला है.जबकि मथुरा की जनभूमि को लेकर भी अयोध्या की तरह ही अदालती विवाद चल रहा है जिसकी अगली सुनवाई 5 जनवरी को होनी है. हिन्दू और मुस्लिम पक्षकारों का ये विवाद फिलहाल शुरुआती चरण में है क्योंकि अभी जिला अदालत का फैसला आयेगा और वो जिसके भी खिलाफ होगा,जाहिर है कि वह पक्ष पहले हाइकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट की शरण अवश्य लेगा.लिहाज़ा ये एक लंबी कानूनी लड़ाई है जिसके बारे में कोई कयास नहीं लगा सकते कि अंतिम निर्णय किसके पक्ष में होगा.
ऐसे में, योगी आदित्यनाथ का ये कहना कि "मथुरा-वृंदावन में भी मंदिर के निर्माण का काम भव्यता के साथ आगे बढ़ चुका है," थोड़ा हैरान करने वाल है. उल्लेखनीय है कि बुधवार को सीएम ने अमरोहा में हुई रैली के दौरान राम मंदिर और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का जिक्र करते हुए मथुरा-वृंदावन का भी मुद्दा उठाया है.इस रैली में उन्होंने कहा, ''हमने कहा था प्रभु श्रीराम का अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण करवाएंगे. मोदी जी ने करवा दिया है न...खुश हैं? अभी काशी में भगवान विश्वनाथ का धाम भी भव्य रूप से बन रहा है. फिर मथुरा-वृंदावन कैसे छूट जाएगा. वहां पर भी काम भव्यता के साथ बढ़ चुका है.''हालांकि इस दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को निशाने पर भी लिया और लोगों को ये याद दिलाना नहीं भूले कि पहले की सरकारें कांवड़ यात्रा को रोकती थी.
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि दरअसल, एक अदालती विवाद को चुनावी मुद्दा बनाकर बीजेपी वोटों ध्रुवीकरण कराने के लिए पूरी ताकत लगा रही है.क्योंकि बीती 14 दिसंबर को ही मथुरा जिला अदालत में कृष्ण जन्म भूमि विवाद में हिंदू पक्षकारों की ओर से दलील पूरी हो गई है. अगली सुनवाई अगले साल पांच जनवरी को तय हुई है जिसमें मुस्लिम पक्षकार यानी शाही ईदगाह को लेकर दलीलें दी जाएंगी. पिछले जिला जज का तबादला होने के बाद नए जज के इजलास में ये पहली सुनवाई हुई थी.
याचिकाकर्ताओं के वकील हरि शंकर जैन के मुताबिक अब तो फिजिकल सुनवाई हो रही है. भगवान कृष्ण विराजमान की ओर से करीब सवा साल पहले दायर इस सिविल सूट की सुनवाई अब तक चार जजों के सामने हो चुकी है. दो तीन तारीखों पर सुनवाई के बाद जिला जज का तबादला हो जाता है. अब मौजूदा जिला जज ने याचिकाकर्ता भगवान कृष्ण विराजमान के अंतरंग सखाओं की दलील तो सुन ली है. अब विरोधी पक्ष यानी मुदालह की ओर से दलील होगी. भगवान कृष्ण विराजमान की ओर से श्री कृष्ण जन्म स्थान की 13.37 एकड़ जमीन वापस दिलाने की गुहार अदालत से लगाई गई है.
दरअसल,इस याचिका में संसद से पारित धर्मस्थल कानून (प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट) 1991 को चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि धर्म स्थलों की संभाल और कानून व्यवस्था ये सब राज्य सूची का विषय है. इस बाबत कानून और नियम बनाने का अख्तियार राज्य सरकारों को ही है केंद्र को नहीं. ऐसे में संसद ने ये कानून बनाकर राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप किया है. केंद्र का ये अतिक्रमणकारी कदम संविधान के संघीय ढांचे की व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाला है. लिहाजा अदालत इसे अवैध घोषित कर रद्द करे.
हालांकि प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट 1991 इस मामले में आड़े आया हुआ है. इस एक्ट के जरिए अयोध्या में कभी विवादित रहे राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक मामले को ही अदालती फैसले के मुताबिक बदलाव की छूट मिली थी. जालांकि मथुरा,काशी सहित सभी धार्मिक और आस्था उपासना स्थलों के विवाद या स्थिति पर 15 अगस्त 1947 जैसी ही स्थिति बहाल रखने का प्रावधान किया गया है. लेकिन अब अदालत में इस कानून को ही चुनौती दी गई है. अदालत का फैसला जो भी आये,लेकिन फिलहाल तो भगवान श्री कृष्ण ही बीजेपी को दोबारा सिंहासन पर बैठाने का कारगर माध्यम बनते दिख रहे हैं.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)