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UP Election 2022: वेस्ट यूपी में पीएम मोदी की ये बात कितनी भारी पड़ सकती है जोड़ी के साथ?

PM Modi Interview: उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की वोटिंग शुरु होने से महज 12 घंटे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) के इंटरव्यू ने फिर से सियासी तूफान लाने का काम कर दिया है. वंशवाद और परिवार वादी पार्टियों पर उन्होंने जिस अंदाज में बड़ा हमला बोला है, उसका असर गुरुवार को वेस्ट यूपी में होने वाली वोटिंग पर पड़ना तय है. अखिलेश यादव-जयंत चौधरी की जोड़ी को न तो इसका अंदाजा था और न ही उन्होंने ये सोचा होगा कि वोटिंग से पहले वाली रात उनके लिए इतनी भारी पड़ने वाली है कि पीएम का एक इंटरव्यू ही उनके सबसे भरोसेमंद इलाके में सियासी समीकरण को ध्वस्त भी कर सकता है.
               
दरअसल, नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने संघ के प्रचारक की हैसियत से विभिन्न प्रांतों की जमीन पर काम करते हुए पहले जनता की नब्ज को समझने का पुख्ता होम वर्क किया और उसके बाद ही उन्होंने सक्रिय राजनीति में आने का फैसला लिया. राजनीति में आकर उन्होंने सिर्फ सियासत की बारीकियों को ही नहीं बल्कि सरकार चलाने वाले प्रशासनिक तरीकों और कानून में मौजूद उन कमियों को खासतौर से समझा कि कब, कहाँ और कैसे इसका सियासी फायदा उठाया जा सकता है.

शायद बहुत कम लोगों ने ही इस पर गौर किया होगा कि मोदी (PM Modi) से पहले इस पद पर मनमोहन सिंह और दिवंगत अटल बिहारी भी रहे हैं और उनके कार्यकाल में भी राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए हैं. लेकिन पिछले दो दशक में हमें किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री का ऐसा कोई इंटरव्यू नहीं मिलेगा, जो उन्होंने किसी राज्य में मतदान होने की पूर्व संध्या पर दिया हो और जो सिर्फ दूरदर्शन पर नहीं बल्कि देश के हर न्यूज़ चैनल पर प्रसारित हुआ हो. शायद इसीलिए कुछ राजनीतिक विश्लेषक मोदी (PM Modi) को आधुनिक राजनीति का 'चाणक्य' इसलिये भी कहते हैं कि जहां से विपक्ष अपने सफर की शुरुआत करता है, तब तक मोदी (PM Modi) उसे खत्म करके अपने मुकाम पर लौट भी आते हैं.

हालांकि वेस्ट यूपी की 58 सीटों पर गुरुवार को होने वाली वोटिंग से ऐन पहले न्यूज़ चैनलों पर प्रसारित हुए पीएम मोदी (PM Modi) के इस इंटरव्यू को विपक्षी दल चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन का मुद्दा बनाते हुए चुनाव आयोग के सामने विरोध जताएंगे और हो सकता है कि अदालत के दरवाजे तक भी पहुंचे. लेकिन असली राजनीतिज्ञ वही कहलाता है, जो कानून के प्रावधानों को समझते हुए इस नतीजे पर पहुंच जाए कि उसके आस कदम से कानून का कोई उल्लंधन नहीं होगा.

दरसअल, जिस जन प्रतिनिधित्व कानून के अंतर्गत देश का निर्वाचन आयोग किसी भी राज्य की विधानसभा का चुनाव करवाता है, तो उस कानून में भी साफतौर पर इसका कहीं जिक्र नहीं किया गया है कि उस राज्य या राज्यों की विधानसभा के चुनाव की वोटिंग से ऐन पहले देश का प्रधानमंत्री मीडिया को कोई इंटरव्यू नहीं दे सकता या फिर मीडिया उसे प्रसारित-प्रकाशित नहीं कर सकता. उस लिहाज़ से पीएम मोदी (PM Modi) का यह इंटरव्यू बीजेपी के लिए किसी मास्टरस्ट्रोक से कम नहीं साबित होने वाला है. 

हालांकि पीएम ने इस इंटरव्यू में परिवारवाद पर निशाने साधे, तो उन्होंने ये मानने से भी इंकार नहीं किया कि बीजेपी आज जहां है, उसके लिए पार्टी ने चुनाव हारने का लंबा सफर तय किया है. इन पांच राज्यों के चुनावों में बीजेपी की पराजय की आशंका को लेकर ही उनसे सवाल पूछा गया था. जिसका जवाब देने में उन्होंने पूरी ईमानदारी बरतते हुए कहा कि "भारतीय जनता पार्टी हार-हार कर ही जीतने लगी है.हमने बहुत पराजय देखी है और ज़मानत ज़ब्त होती भी देखी हैं."

परिवारवाद पर जवाब देते हुए पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि मैं समाज के लिए हूं लेकिन उन्होंने नकली समाजवाद के उनके ही जुमले को लेकर पूछे गए सवाल का जो जवाब दिया, वह मुलायम सिंह यादव के पूरे परिवार पर एक तमाचा ही कहा जायेगा. उन्होंने पूछा, लोहिया जी का परिवार कहीं नजर आता है क्या? जॉर्ज फर्नांडिस का परिवार कहीं नजर आता है क्या? नीतीश बाबू का परिवार कहीं नजर आता है क्या? इसलिये परिवारवादी पार्टियां लोकतंत्र का सबसे बड़ा दुश्मन है. जब परिवार ही सर्वोपरि होता है, परिवार को बचाओ, पार्टी बचे न बचे, देश बचे न बचे,ये जब होता है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीजेपी सामूहिक नेतृत्व में भरोसा करती है. हमें एक साथ मिलकर काम करने की आदत है. बीजेपी की होर्डिंग पर पार्टी के कार्यकर्ताओं की तस्वीरें इसे स्पष्ट करती हैं कि हम हारें या फिर जीतें, चुनाव हमारे लिए एक ओपन यूनिवर्सिटी की तरह है. लेकिन उनके इस इस इंटरव्यू की सबसे अहम बात जो थी, उस पर जवाब देकर ही उन्होंने हवा का रुख बदलने की कोशिश की है. पीएम मोदी (PM Modi) ने अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के सपा-रालोद गठबंधन पर तंज कसा कि यूपी ने पहले दो लड़कों का खेल देखा. उनमें इतना अहंकार था कि उत्तर प्रदेश ने उन्हें सबक सिखाया. दूसरी बार दो लड़कों के साथ बुआ जी (मायावती) भी थीं लेकिन कुछ असर नहीं पड़ा.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

 

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