प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जिस खुले दिल से तारीफ की है, उसका साफ संदेश है कि अगले कुछ महीने में यूपी में होने वाले चुनाव में योगी ही पार्टी की तरफ से अगले सीएम का चेहरा होंगे. मोदी ने शाबाशी का सर्टिफिकेट देकर पार्टी के भीतर उठ रही कुछ आवाज़ों व अटकलों पर विराम लगाते हुए एक तरह से अपना फैसला सुना दिया है कि अब योगी ही संभावना हैं और वे ही पार्टी के खेवनहार भी हैं.


पिछले सात साल के अपने कार्यकाल में मोदी ने बीजेपी शासित राज्य के किसी अन्य मुख्यमंत्री की तारीफ में शायद ही इतने कसीदे पढ़े हों, जितना योगी का गुणगान किया है. यह अभूतपूर्व स्थिति है और कह सकते हैं कि इसके जरिये मोदी ने काशी से चुनाव-प्रचार का आगाज़ कर दिया है.


पिछले महीने यूपी बीजेपी में जब अंदरूनी खटपट चल रही थी, तब लखनऊ से लेकर दिल्ली तक संघ व पार्टी नेताओं की मुलाकात-मंथन का दौर बेहद तेज था.उसी दौरान योगी आदित्यनाथ पीएम मोदी से मुलाकात करने दिल्ली आये थे.तब दोनों के बीच एक घंटे 40 मिनट लंबी बातचीत हुई थी और ऐसा पहली बार हुआ था कि मोदी ने किसी सीएम को इतना वक़्त दिया हो.इससे पता लगता है कि मोदी-योगी के बीच एक -दूसरे को समझने-समझाने की एक जबरदस्त केमिस्ट्री है,जो किसी अन्य मुख्यमंत्री के साथ आज तक देखने को नहीं मिली है.


वैसे अगर 2017 से पहले और उसके बाद वाले उत्तरप्रदेश के हालात का ईमानदारी से आंकलन किया जाये, तो योगी इस तारीफ़ पाने के सही मायने में हकदार भी हैं.पहले अपराधियों में खौफ़ पैदा करके गुंडाराज का खात्मा करना औऱ फिर ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की योगी की कार्यशैली न सिर्फ कारगर रही बल्कि उसके अच्छे परिणाम भी प्रदेश की जनता को देखने को मिले हैं.


विकास के मोर्चे पर भी योगी सरकार ने इतना तो किया ही है कि आज विपक्ष के लोग भी दबी जुबान में ही सही लेकिन इतना तो कहते ही हैं कि ये वो वाला यूपी अब नहीं रहा.ज़ाहिर है कि इतने बड़े राज्य की तस्वीर को पांच साल में पूरी तरह से बदल पाना,किसी भी सरकार के बूते की बात नहीं होती.


कोरोना को लेकर पीएम मोदी ने योगी सरकार के काम की जो तारीफ की है,उसे सिर्फ सियासी वजह बताना इसलिये गलत होगा कि देश के डॉक्टरों से लेकर WHO के वैज्ञानिकों ने केंद्र सरकार को चेताया था कि अगर सबसे बड़े सूबे में दूसरी लहर को ठीक से नहीं संभाला गया,तो हालात इतने विस्फोटक बन सकते हैं,जिसकी कल्पना करना ही मुश्किल है.सीएम योगी ने इस चेतावनी को न सिर्फ गंभीरता से लिया बल्कि खुद इसकी मॉनिटरिंग करते रहे कि ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग हो क्योंकि उसके बगैर संक्रमण के फैलाव को रोकना असंभव था.


उसके बाद भी योगी बेफिक्र नहीं हुए बल्कि वैक्सीन के आते ही उनकी यह पहली प्राथमिकता बन गई कि राज्य को कम वक्त में अधिकतम वैक्सीन उपलब्ध हो सकें.इसके लिये खुद ही वैक्सीन निर्माताओं के संपर्क में रहकर अपडेट भी लेते रहे.यानी नौकरशाही के भरोसे ही सब कुछ नहीं छोड़ा.यही कारण है किआज उत्तर प्रदेश पूरे देश में सबसे ज़्यादा वैक्सीनेशन करने वाला राज्य भी है. मुसीबतों में घिरे लोगों की सोशल मीडिया के जरिये आने वाली रिकवेस्ट पर भी जरुरी कार्रवाई करते रहे.


यही कारण था कि आज पीएम ने सराहना करते हुए कहा कि ' कोरोना की दूसरी लहर को यूपी ने बहुत अच्छी तरह से संभाला है.' उन्होंने यह भी कहा कि ''कोरोना वायरस के बदलते हुए और खतरनाक रूप ने पूरी ताकत के साथ हमला किया था. लेकिन काशी सहित यूपी ने पूरे सामर्थ्य के साथ इतने बड़े संकट का मुकाबला किया. कोरोना से निपटने में उत्तर प्रदेश के प्रयास उल्लेखनीय हैं.''


तमाम तारीफों के बावजूद देखने वाली बात यह होगी कि 2022 के विधानसभा चुनावों में सरकार के इन कामों का जवाब जनता आखिर किस तरह से देती है. मोदी-योगी की जोड़ी को क्या वह फिर से तीन सौ पार सीटों पर ले जायेगी?