UP Election: मुरादाबाद की बहू Priyanka Gandhi को मिलेगा आशीर्वाद या BJP होगी 300 पार?
कहते हैं कि राजनीति भी किसी हिंदी फिल्म की कहानी से कम नहीं होती और जब मौसम चुनाव का हो,तो नेताओं को भी हर तरह का किरदार निभाने पर मजबूर होना पड़ता है.अपने विरोधियों के खिलाफ हर तीखे शब्दबाण चलाने के साथ ही ये भी ख्याल रखना पड़ता है कि लोगों का वोट पाने के लिए उनके इमोशन्स को कब, कहां और कैसे भुनाया जाए. यूपी की चुनावी सियासत में अब बहू-बेटी के रिश्ते का तड़का लगने के साथ ही आशीर्वाद की मुराद मांगने की नौबत भी आ गई है.
आज दो बड़ी पार्टियों के दिग्गज नेता संयोग से एक ही दिन पश्चिमी उत्तरप्रदेश के दो अलग-अलग शहरों में चुनावी अभियान पर थे. सहारनपुर में गृह मंत्री अमित शाह अपने योगी की दोबारा ताजपोशी कराने की कोशिश में लगे थे, तो प्रियंका गांधी मुरादाबाद में कांग्रेस की जमीन मजबूत करने में जुटी थीं. दोनों ने एक-दूसरे पर सियासी वार करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी लेकिन जब बात अपनी पार्टी के लिए वोट मांगने की आई, तो उनके सुरों में ऐसी नरमी व मासूमियत थी, जो पांच साल में एक बार ही देश की जनता को देखने को मिलती है.
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी आज उस मुरादाबाद में थीं, जो देश-दुनिया में 'पीतल नगरी' के नाम से मशहूर है. यह शहर प्रियंका का ससुराल है लेकिन ये अलग बात है कि वहां के लोगों को भी ये याद नहीं है कि वे पिछली बार कब यहां आई थीं.
लेकिन चुनाव हैं तो ससुराल जाकर वोट मांगना भी मजबूरी है और उस शहर के लोगों को ये अहसास दिलाना भी जरूरी है कि वे उनकी बहू हैं. अब चूंकि बरसों बाद ससुराल का रुख किया था, तो इसके लिए माफ़ी मांगने का इमोशनल रोल निभाए बगैर लोगों के दिलों में जगह नहीं बनाई जा सकती थी. सो उन्होंने इस भूमिका को भी बखूबी अंजाम दिया.
प्रियंका ने अपने भाषण के जरिये ससुराल की जड़ों से जुड़ने की हिम्मत जुटाते हुए एक सच्ची भारतीय नारी का परिचय देने में कोई कंजूसी नहीं बरती. सभा में जुटी भीड़ से मुखातिब होते हुए उन्होंने नपे-तुले शब्दों में अपनी बात कहकर लोगों का भरोसा जीतने की भी कोशिश की.
अपने ससुराल में जुटे लोगों का स्वागत करते हुए इस सच को माना कि "मैं बहुत दिन बाद यहां आई हूं, इसके लिए आपसे माफी मांगती हूं. आपके शहर ने मेरे परिवार को संरक्षण दिया. उनको खड़ा किया. बंटवारे के बाद मेरे ससुर के पिता मुरादाबाद आए. यहीं से कारोबार शुरू किया. यहां के हुनर, यहां के लोगों की मदद से उन्होंने अपने बच्चों का भविष्य बनाया."
लेकिन प्रियंका की तारीफ इसलिये करनी होगी कि उन्होंने धंधे चौपट होने और बेरोजगारी जैसे मसले पर मोदी सरकार पर हमला करने के लिए अपनी शादी के वक़्त को चुना और मौजूदा माहौल से उसकी तुलना करके लोगों के जेहन में पुरानी यादें ताजा कीं.
प्रियंका ने कहा, "मेरी शादी के वक्त ये एक खुशहाल शहर था. व्यापारियों से लेकर मज़दूरों की मेहनत के साथ-साथ ऐसी सरकार थी, जिसने आपकी मदद की. उसमें एक्सपोर्ट काउंसिल बनी, निर्यातकों को हर तरह से मदद दी गई. मेरे पिता राजीव गांधी ने हर तरह से मदद की. उस समय आठ हजार करोड़ का निर्यात होता था. आज दो हजार का हो रहा है. दो लाख लोगों की रोटी-रोजी खत्म हो गई."
वहीं सहारनपुर में मां शाकुंभरी देवी विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने के मौके पर गृह मंत्री अमित शाह ने अखिलेश यादव सरकार में पैदा हुए माफिया राज के खात्मे के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुंडे और माफियाओं का शासन था, उससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश को मुक्त करवा कर उसका सम्मान लौटाने का काम योगी आदित्यनाथ ने किया है.
हालांकि किसान आंदोलन के चलते उस बेल्ट में बीजेपी के प्रति लोगों की नाराजगी को उन्होंने भांप लिया. लिहाज़ा बेहद विनम्र लहजे में उन्होंने कहा, ''मैं आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता से निवेदन करता हूं कि फिर एक बार आपके आशीर्वाद की जरूरत है, आपके समर्थन की जरूरत है. इस बार फिर 300 का आंकड़ा पार करना है.'' अब देखना ये है कि पश्चिमी यूपी की जनता अपनी बहू को आशीर्वाद देती है या फिर से बीजेपी को तीन सौ से पार ले जाती है.
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