तकरीबन 48 बरस पहले साल 1974 में राजेश खन्ना-मुमताज अभिनीत फिल्म आई थी-रोटी. इसमें आनंद बक्शी का लिखा एक गीत बेहद चर्चित हुआ था,जिसके बोल कुछ यों थे-


"ऐ बाबू, ये पब्लिक है पब्लिक
ये जो पब्लिक है सब जानती है.
अजी अंदर क्या है,बाहर क्या है
ये सब कुछ पहचानती है.
क्या नेता क्या अभिनेता, दे जनता को जो धोखा
पल में शोहरत उड़ जाए ,ज्यों एक पवन का झोंका.
क्योंकि ये जो पब्लिक है,सब जानती है."


चुनाव से पहले तीन मंत्रियों समेत कई विधायकों ने जिस तेजी के साथ पाला बदला है, उसे लेकर नेताओं को शायद ये गलतफहमी है कि यूपी की जनता इतनी नादान और नासमझ है कि उनके इरादों को नहीं भांप सकेगी. वो जमाना चला गया जब नेता तमाम तरह के कुतर्क देकर अपने वोटरों को ये समझा लिया करता था कि उसने दलबदल आखिर किसलिये किया है. लेकिन, अब मतदाता राजनीतक रूप से इतना जागरुक हो चुका है जिसे ये समझने में देर नहीं लगती  कि चुनाव से ऐन पहले एक साथ थोक में दलबदल करने वाले इन नेताओं का असली मकसद समाज-सेवा करना नहीं बल्कि सत्ता की मलाई खाना ही है, फिर सरकार भले ही किसी भी पार्टी की बने. लिहाज़ा, जो नेता पांच साल तक सत्ता का स्वाद चखने के बाद अपनी पार्टी के लिए वफादार साबित नहीं हो सकता, वह वोटरों के प्रति कितना ईमानदार होगा और अगले पांच साल तक कितने समर्पण से उनकी सेवा करेगा, ये जनता भी बेहतर तरीके से समझती है.


बीजेपी को छोड़कर अखिलेश यादव की साइकिल पर बैठने वाले इन नेताओं के बारे में यूपी के लोग आखिर क्या सोचते हैं? ये जानने के लिए ही एबीपी-सी वोटर ने आज जो सर्वे किया है,उसके नतीजे थोड़े चौंकाने वाले हैं लेकिन साथ ही ये भी बताते हैं कि जनता इन नेताओं द्वारा दी जा रही दलीलें  मानने को तैयार नहीं हैं. इस सर्वे में पूछा गया था कि क्या मंत्रियों के इस्तीफे से योगी सरकार के खिलाफ गलत संदेश गया है?


हालांकि, ज्यादातर लोगों ने यही माना कि इससे आगामी चुनाव में बीजेपी को कोई खास नुकसान नहीं होने वाला है. लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है, जो ये मानते हैं कि इससे बीजेपी पहले की अपेक्षा कमजोर होगी. 51 फीसदी लोगों ने कहा कि योगी सरकार के खिलाफ गलत संदेश नहीं गया है. वहीं 42 फीसदी लोग मानते हैं कि इन इस्तीफों की वजह से योगी सरकार के खिलाफ गलत संदेश गया है और बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. लेकिन 7 फीसदी लोग ऐसे भी थे जिन्होंने पता नहीं में जवाब दिया.


अब दूसरे सवाल की अगर बात करें तो इसमें लोगों से पूछा गया था कि, दलबदलू नेताओं के बारे में उनकी राय क्या है? इस सवाल के जवाब के लिए मौकापरस्त, उपेक्षित और पता नहीं के तीन विकल्प दिए गए थे. सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों ने इस्तीफे देकर दल बदलने वाले इन नेताओं को मौकापरस्त बताया. ऐसा कहने वाले लोगों की संख्या 63 फीसदी थी. जबकि 21 फीसदी लोगों को लगता है कि ये नेता उपेक्षित महसूस कर रहे थे, इसलिए इन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी. हालांकि 16 फीसदी ने पता नहीं में जवाब दिया.


वहीं एबीपी न्यूज सी वोटर के हर हफ्ते होने वाले सर्वे में लगातार बदलाव होता दिख रहा है. लेकिन इसके नतीजे हर बार बीजेपी के लिए खुशखबरी लेकर सामने आए हैं. 23 दिसंबर से लेकर 13 जनवरी के सर्वे में बीजेपी का ग्राफ हर बार बढ़ा है, वहीं सपा को सर्वे में झटका लगा है. 23 दिसंबर के सर्वे में जहां 31 फीसदी जनता को लगता था कि सपा की जीत होगी, तो उसका आंकड़ा घटकर अब 28 फीसदी रह गया है. वहीं बीजेपी के लिए 23 दिसंबर को 48 फीसदी का जो आंकड़ा था, वह बढ़कर 50 फीसदी तक पहुंच गया है.


इस बार के सर्वे में 50 फीसदी जनता को लगता है कि यूपी में बीजेपी को सत्ता हासिल होगी. वहीं 28 फीसदी लोग मानते हैं कि समाजवादी पार्टी इस बार यूपी में जीत हासिल करेगी. 9 फीसदी लोग मायावती की बहुजन समाज पार्टी को यूपी की सत्ता में आते हुए देखते हैं.जबकि महज़ 6 फीसदी लोगों को कांग्रेस के जीत हासिल करने की उम्मीद है.



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