हमारे देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं लेकिन दुनिया की महाशक्ति कहलाने वाले अमेरिका में भी नवंबर 2024 में नये राष्ट्रपति का चुनाव है. अमेरिका के एक पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो (Mike Pompeo) हैं. उन्हें अगले राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनने की दौड़ में शामिल माना जा रहा है, लेकिन उन्होंने अमेरिका की जनता समेत दुनिया के बाकी देशों का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए एक 'किताब बम' फोड़ा है. जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक तरह की सनसनी मचा दी है.


उन्होंने अपनी इस किताब में भारत, चीन और पाकिस्तान को लेकर कुछ ऐसे राज खोले हैं, जिन्हें कूटनीतिक गलियारों में विस्फोटक माना जा रहा है, लेकिन साथ ही ये सवाल भी उठ रहा है कि इसके पीछे उनका मकसद क्या है और ये भी कि क्या इससे अमेरिका में उनकी उम्मीदवारी की दावेदारी मजबूत हो जायेगी? दुनिया के कुछ देशों की कूटनीति-निर्माताओं के लिए परेशानी का सबब बन रही माइक पोम्पियो की इस नयी किताब का नाम है- 'नेवर गिव एन इंच: फाइटिंग फॉर द अमेरिका आई लव'.इसमें उन्होंने पिछले कुछ साल में भारत के चीन और पाकिस्तान के साथ बिगड़ते हुए रिश्तों के रहस्य से पर्दा हटाते हुए दो बड़े दावे किये हैं.


इसमें उन्होंने पहला तो ये दावा किया है कि अपनी फॉरेन पॉलिसी यानी विदेश नीति पर अक्सर स्वतंत्र रवैया अपनाने वाले भारत को चीन की आक्रामक गतिविधियों की वजह से ही अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा. उन्होंने कहा है कि चीन के आक्रामक रुख की वजह से ही भारत चार देशों के क्वाड ग्रुप में शामिल हुआ. सरल व देसी भाषा में इसका अर्थ निकालें तो वे यह कह गये हैं कि चीन के आक्रामक रुख के चलते भारत की हालत ऐसी बेचारगी वाली हो गई थी. अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया वाले तीन देशों के समूह की शरण में जाने के सिवा उसके पास और कोई चारा ही नहीं बचा था और आखिरकार भारत को क्वाड का सदस्य बनना पड़ा.


उनका दूसरा बड़ा दावा ये है कि साल 2019 की फरवरी में भारत से किए गए बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान, भारत पर परमाणु हमले की तैयारी कर रहा था, लेकिन उनके इस दावे में कितनी सच्चाई है. इसे साबित करना बेहद मुश्किल है क्योंकि उन्होंने इस सनसनीखेज जानकारी का हवाला देने के लिए हमारी तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का हवाला दिया है, जो कि अब इस दुनिया में नहीं हैं.


माइक पोम्पिओ ने अपनी किताब में बताया है कि परमाणु हमले को लेकर यह जानकारी उन्हें भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दी थी. उनके मुताबिक साल 2019 में 27-28 फरवरी को जब यह घटना हुई,तो वह हनोई में यूएस-उत्तर कोरिया समिट के लिए गए हुए थे. इसके बाद उनकी टीम ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद से बात की. इसी किताब में माइक पोम्पिओ कहते हैं कि मुझे नहीं लगता कि दुनिया जानती होगी कि भारत और पाकिस्तान की लड़ाई परमाणु हमले के कितने करीब आ गई थी. उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि मुझे भी इसका जवाब नहीं पता. माइक कहते हैं कि वह उस रात को कभी नहीं भूल सकते जब वे वियतनाम के हनोई में थे. उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान के परमाणु हमले को लेकर तब मैंने पाक के सेना चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा से बात की. पोम्पिओ के मुताबिक मैंने उन्हें बताया कि भारत ने उन्हें क्या कहा है, लेकिन बाजवा ने इस पर कहा कि ये बिल्कुल गलत है. हालांकि पोम्पिओ के दावे पर भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है,लेकिन उनका दावा है कि कोई भी देश ऐसा नहीं कर सकता जो हमने किया. 


फरवरी 2019 में पुलवामा में आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. इसका बदला लेने के लिए भारत ने बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक की थी. हालांकि माइक पोम्पियो ने इस किताब में भारत-चीन के संबंधों में आई खटास का जिक्र करते हुए ये भी बताया है कि भारत को क्वाड में लाने में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की कितनी अहम भूमिका रही थी. वे लिखते हैं कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर भारत और चीन के बीच पिछले 31 महीनों से चला आ रहा गतिरोध अब भी बरकरार है. जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद द्विपक्षीय संबंधों में गंभीर तनाव बन गया था. भारत ने कहा है कि जब तक सीमा क्षेत्र में शांति नहीं होगी, तब तक द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते.


पोम्पिओ ने भारत को क्वाड में 'वाइल्ड कार्ड' बताते हुए तर्क दिया है कि चूंकि यह समाजवादी विचारधारा पर स्थापित एक राष्ट्र था. इसने शीत युद्ध में अमेरिका और तत्कालीन यूएसएसआर से भी दूरी बनाई. भारत ने हमेशा एक सच्चे गठबंधन प्रणाली के बिना अपनी विदेश नीति को अपनाया.लेकिन चीन की आक्रामकता के चलते ही उसे क्वाड का सदस्य बनना पड़ा. 59 वर्षीय माइक पॉम्पियो के इन दावों पर भारत समेत चीन और पाकिस्तान की तरफ से भी की प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अमेरिकी में आई खबरों के मुताबिक बाइडन प्रशासन ने इसे उनके निजी विचार बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया है.माइक पॉम्पियो को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का विश्वासपात्र माना जाता है. पॉम्पियो 2017 से 2020 तक ट्रंप सरकार में सीआईए निदेशक और 2018 से 2021 तक विदेश मंत्री थे. वे फिलहाल 2024 के राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी तलाश रहे हैं. इसलिये सवाल उठ रहा है कि वे ऐसे सनसनी भरे दावे करके अमेरिकी जनता से कैसी सहानुभूति हासिल करना चाहते हैं?


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