UP Election 2022: क्या इस बार उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव(Uttar pradesh Election2022) भी पश्चिम बंगाल की तर्ज़(West Bengall) पर होने वाला है? वहां ममता बनर्जी(Mamta Banarjee) ने बीजेपी के लिए 'खेला होइबे' का जो स्लोगन दिया था, वह पूरे चुनाव का सबसे चर्चित नारा बन गया था. समाजवादी पार्टी(Samajwaadi Party) ने ममता के उसी स्लोगन को कॉपी करते हुए 'अब यूपी में खेला होई" का नारा देकर अपने चुनाव-प्रचार की लाइन तय कर दी है. कह सकते हैं कि अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) ने ममता के बंगाल मॉडल(Bengal Model) को अपनाते हुए चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर ली है.
सपा के कर्णधार अखिलेश यादव ने आज यूपी की एक रैली में बंगाल की तरह यूपी से बीजेपी के खदेड़ा होने का दावा जिस अंदाज में किया है, उससे लगता है कि एक छोटे दल का साथ मिल जाने के बाद उनके हौसले और बुलंद हुए है. वैसे भी चुनाव में अभी चार महीने का वक़्त है लेकिन जो तस्वीर बन रही है, उससे साफ है कि मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच ही होगा. अखिलेश का आत्मविश्वास बढ़ने की एक बड़ी वजह ये भी है कि खुद ममता बनर्जी यूपी में आकर सपा के लिए प्रचार करने वाली हैं. ममता, जया बच्चन और डिंपल यादव की त्रिमूर्ति जब एक साथ वोट मांगने निकलेंगीं, तो जाहिर है कि सियासी हवा का रुख कुछ बदलेगा और महिला वोटरों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा.
बीजेपी के गढ़ में अखिलेश ने मजबूत की जड़ें
यूपी सरकार में मंत्री रह चुके ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने अब सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का एलान किया है. इसके कारण भी अखिलेश की बांछें खिल उठी हैं क्योंकि पूर्वांचल की तकरीबन 27 सीटों पर इस क्षेत्रीय दल का खासा प्रभाव है. पिछली बार सपा को पूर्वांचल की कुल 156 में से महज 17 सीटें ही मिली थीं. ये बीजेपी का मजबूत गढ़ है और पिछली बार यहां से मिली 115 सीटों के दम पर ही बीजेपी सत्ता के सिंहासन तक पहुंची थी.
इस बार भी बीजेपी ने यहां अपना पूरा जोर लगा रखा है लेकिन पिछले साढ़े चार साल में अखिलेश ने भी वहां अपनी जड़ें मजबूत की हैं और अब राजभर का साथ मिल जाने के बाद सपा की ताकत को कम करके आंकने की भूल नहीं की जानी चाहिए. शायद इसीलिए आज मऊ की साझा रैली में अखिलेश और राजभर के हौंसले ने पूर्वांचल के बीजेपी नेताओं को भी चिंता में जरुर डाला होगा. हालांकि ये तो चुनाव नतीजे ही बताएंगे कि अखिलेश का ये दावा कितना सही साबित होता है कि बीजेपी को सत्ता में लाने वाला रास्ता ओम प्रकाश राजभर ने बंद कर दिया है. यूपी में भी अब बंगाल की तरह खदेड़ा होगा. सब जानते हैं कि दिल्ली में और लखनऊ में कौन लाल पीला हो रहा है.
लेकिन ये सही है कि यूपी का सियासी इतिहास पूर्वांचल ही बदलता है और कहते हैं कि जिसने पूर्वांचल जीत लिया,वही यूपी फतह करता है. यूपी में 40 फीसदी महिलाओं को कांग्रेस का टिकट देने के प्रियंका गांधी के ऐलान के बाद अब सभी दलों का फोकस महिला वोटरों पर है, जिनकी संख्या करीब साढ़े 6 करोड़ है. सपा की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि उसके पास डिंपल यादव के सिवा और कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है, जो महिला वोटरों को पार्टी की तरफ आसानी से खींच सके. लिहाज़ा,अखिलेश ने उसी रणनीति के तहत पूरे चुनाव के दौरान ममता बनर्जी को आगे रखने का फैसला लेकर एक तरह से बीजेपी के लिए थोड़ी मुश्किल तो अवश्य ही पैदा करने का इंतज़ाम कर दिया है.
सपा नेताओं की मानें, तो सूबे में ममता की रैलियां वहीं पर होंगी जहां प्रधानमंत्री मोदी अपनी रैली कर चुके होंगे. कुछ जिलों में ममता के रोड शो भी होंगे जिसमें एक ही रथ पर उनके साथ जया बच्चन व डिंपल यादव भी होंगी. हालांकि अखिलेश ने ममता के बंगाल मॉडल की शुरुआत चार महीने पहले ही शुरु कर दी थी, जब बीते जून में सपा ने कानपुर के प्रमुख चौराहों पर "अब यूपी में खेला होई" के होर्डिंग और पोस्टर लगाने शुरू कर दिए थे. दो-चार दिन में ही ये स्लोगन लोगों की जुबान पर चढ़ गया, जिसके बाद सपा ने पूरे राज्य में ऐसे पोस्टर लगाकर बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने का फैसला किया है. सपा के एक नेता के मुताबिक, सपा और टीएमसी के बीच बातचीत फाइनल हो चुकी है और जल्द ही गठबंधन का ऐलान होगा. लेकिन देखना ये है कि क्या ममता बनर्जी को अपनी साइकिल पर बैठाकर अखिलेश सूबे के सिंहासन तक पहुंच पायेंगे?
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