क्या आपने कभी ऐसे चुनावी सर्वे के नतीजे देखे-पढ़े हैं, जिसमें लोग किसी प्रदेश में सरकार तो बीजेपी की चाहते हों, लेकिन मुख्यमंत्री के लिए उनकी पहली पसंद कांग्रेस का कोई नेता हो? अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. ये देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां बीजेपी को साढ़े चार साल में तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़े. उस लिहाज से बीजेपी के लिए देवभूमि वाले इस प्रदेश की सत्ता में आना एक बड़ी चुनौती भी है. वहां के लोगों का सियासी मिज़ाज जानने के लिए Abp News-C voter ने जो सर्वे किया है, उसके बेहद रोचक नतीजे सामने आए हैं, जो बीजेपी व कांग्रेस के लिए थोड़े चौंकाने वाले भी हैं.


इसे अपनी तरह का पहला अनूठा चुनावी सर्वे कह सकते हैं, जहां लोग दोबारा सत्ता में तो बीजेपी को ही देखना चाहते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में उनकी पहली पसंद कांग्रेस नेता हरीश रावत हैं. जाहिर है कि जनता का ये मूड दोनों प्रमुख दलों के लिए चुनाव आते-आते चिंता का विषय बन सकता है. खासकर बीजेपी के लिए, इसलिये कि सत्ता में होने के बावजूद लोगों ने उसके किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के लिए अपनी पहली पसंद नहीं बताया है. यहां तक कि मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी भी इस रेस में दूसरे नंबर पर ही हैं. जबकि कांग्रेस को अब ये सोचना चाहिए कि उसका जो नेता उत्तराखंड की जनता में सबसे अधिक लोकप्रिय है, उसे पंजाब का प्रभारी बनाने का भला क्या तुक है. इस सर्वे के नतीजों के आधार पर अगर कांग्रेस हरीश रावत के चेहरे पर ही अगला चुनाव लड़ती है, तो शायद वो बीजेपी को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में आ जाये.


अगले मुख्यमंत्री के रूप में लोगो की पसंद को अगर प्रतिशत के हिसाब से देखें, तो 30 फीसदी लोग हरीश रावत को जबकि 23 प्रतिशत जनता पुष्कर धामी को इस पद पर देखना चाहती है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता व राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी भी इस दौड़ में शामिल हैं और 19 फीसदी लोग चाहते हैं कि पार्टी अब उन्हें इस पद पर बैठाये. आम आदमी पार्टी वहां पहली बार चुनाव-मैदान में कूद रही है लेकिन उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल को 10 प्रतिशत लोग इस पद पर देखना चाहते हैं. जबकि बीजेपी सरकार के वरिष्ठ मंत्री सतपाल महाराज को महज 4 फीसदी लोग ही मुख्यमंत्री के लिए अपनी पसंद मानते हैं.


70 सीटों वाली विधानसभा में किसे-कितनी सीटें मिल सकती हैं, तो सर्वे के मुताबिक बीजेपी को 44 से 48 और कांग्रेस को 19 से 23 सीटें मिलने का अनुमान है. यानी साल 2017 के मुकाबले बीजेपी की सीटें इस बार कम रहने का अनुमान है. अरविंद केजरीवाल की आप भी वहां खाता खोलने की तैयारी में है और उसे अधिकतम चार सीटें मिल सकती हैं, जबकि अन्य के खाते में दो सीटें जा सकती हैं.


बीजेपी व कांग्रेस को मिलने वाले वोटों के बीच सिर्फ 10 प्रतिशत का ही फर्क रह सकता है, लेकिन सीटों के मामले में ये फासला काफी ज्यादा बताया गया है. बीजेपी को 43 और कांग्रेस को 33 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है. लेकिन तीसरी ताकत बनकर उभरने वाली आम आदमी पार्टी इन दोनों के वोट बैंक में खासी सेंध लगाते हुए 15 फीसदी वोट हासिल कर सकती है. अन्य को नौ प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है.


इस सर्वे में एक और रोचक तथ्य ये भी सामने आया है कि बीजेपी सरकार के कामकाज से जितने लोग संतुष्ट हैं, तो उतने ही असंतुष्ट भी हैं. दोनों तरफ ऐसे लोगों को संख्या 36-36 प्रतिशत है. मतलब साफ है कि 2022 के चुनाव में बीजेपी को जनता की नाराजगी का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा. इस नाराजगी की सबसे बड़ी वजह बेरोजगारी ही बनने वाली है. वह इसलिये कि महंगाई, भ्रष्टाचार, किसान आंदोलन और कोरोना जैसे मुद्दों को दरकिनार करते हुए 41 प्रतिशत लोगों ने बेरोजगारी को ही सबसे बड़ा मुद्दा बताया है.


लिहाज़ा बीजेपी को अब ये तय करना होगा कि वे रोजगार देने के लिए कौन-सा ऐसा वादा करे, ताकि उसे युवाओं का साथ मिल सके क्योंकि इस मोर्चे पर अरविंद केजरीवाल उसे कड़ी टक्कर देने की तैयारी में हैं.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)