'पार्टी के नए नेतृत्व से न मैं सहज हूं, न असहज', JDU की नई राष्ट्रीय टीम से नीतीश के करीबी KC त्यागी क्यों हुए आउट? खुद बताई वजह
जब आज से 2 साल पहले RCP सिंह पार्टी के अध्यक्ष बने थे, तब मैंने नीतीश कुमार जी को अपने निर्णय के बारे में सूचित किया था कि मैं 1974 से 48 साल से पार्टी का राष्ट्रीय पदाधिकारी हूं. मैंने चौधरी चरण सिंह, राज नारायण जी, कर्पूरी ठाकुर जी, देवी लाल जी, बहुगुणा जी, मुलायम सिंह यादव जी, वीपी सिंह जी, एसआर बोमई, जार्ज फर्नांडिस, शरद यादव जी और नीतीश कुमार जी के साथ मैं पार्टी का पदाधिकारी रहा हूं. मुझे पार्टी में रहते हुए करीब 48 साल हो गया है. लिहाजा मैं अब संगठन की जिम्मेदारियों से मुक्त होना चाहता हूं. मैं कुछ किताबें भी लिख रहा हूं. ये फैसला मैंने बताया था लेकिन आरसीपी सिंह के समय पार्टी का पुनर्गठन नहीं हुआ.
अभी जब पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी हुई थी, उस समय मैंने राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी और पुनः नीतीश कुमार जी को भी अपने निर्णय से अवगत करा दिया था और उन्होंने स्नेहपूर्वक मेरी बात सुनकर के उस पर अपनी हामी भर दी थी. बल्कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पटना में सामूहिक तौर पर मेरे इस फैसले का स्वागत किया गया और ये भी घोषणा की कि त्यागी जी की वरिष्ठता को देखते हुए इनका और अच्छा इस्तेमाल हम किसी और अवसर पर करेंगे. इसी बीच में पार्टी के नए पदाधिकारी की घोषणा हो गई और इसमें मेरा नाम होना ही नहीं था. चूंकि मैंने पहले ही यह तय कर लिया था..तो इसको लेकर के जो कन्फ्यूजन है वो बिल्कुल गलत है. न मैं नाराज हूं, न मैं निराश हूं जिस फैसले को मैंने खुद लिया हो तो फिर मैं क्यों नाराज होऊंगा.
समाचार पत्र में छपा है कि मुझे ड्रॉप कर दिया गया. मुझे लिया नहीं गया तो अखबार और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कुछ भी लिखने कहने की स्वतंत्र है. लेकिन मैंने स्वेच्छा से पार्टी के सारे पदों को छोड़ा है और इस फैसले की जानकारी नीतीश जी को भी है. पटना की सारी प्रेस को भी है और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह जी को भी है. देखिये, मैंने आज से छह महीने पहले पटना में आयोजित की गई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी, नीतीश कुमार जी और अध्यक्ष ललन सिंह जी को अपने इस व्यक्तिगत फैसले से अवगत करा दिया था. मैंने स्पष्ट तौर पर कह दिया था कि मैं अब पार्टी में अधिकारी नहीं रहना चाहता..तो फिर मेरा नाम क्यों आना चाहिए राष्ट्रीय टीम की लिस्ट में. पार्टी के नए नेतृत्व से न तो मैं सहज हूं, न ही असहज हूं, मैं, अपने आप में बहुत सहज हूं. मुझे चौधरी चरण सिंह, देव गौड़ा, अटल बिहारी वाजपेयी, वीपी सिंह, गुजराल साहब तक मेरे कंधों पर हाथ रख कर ये सारे नेता मंच पर चढ़े हैं.
मैं बहुत सौभाग्यशाली हूं कि बहुत कम उम्र में मुझे इन सब का साथ मिला है. मेरे नाराज और निराश होने का प्रश्न तो तब उठता है कि जब मैंने अपनी इच्छा जाहिर की हो और मैं नहीं बन पाया हूं. मैं तो चौधरी चरण सिंह का प्रवक्ता रह चुका हूं. जिनके कि सारे लोग शिष्य हैं. कोई व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं होता है. पॉलिटिकल फिलॉसफी महत्वपूर्ण होती है और मैं तो रोज किसी न किसी कार्यक्रम का हिस्सा रहता हूं. अभी मैं दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज से भाषण देकर आया हूं. इन सारी चीजों को मैं राजनीति का ही हिस्सा मानता हूं. मेरी सारी गतिविधियां पर मेरे चिंतन पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. मेरा नाम लिस्ट में नहीं होने से मैं हैरान नहीं हूं.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये आर्टिकल जेडीयू नेता केसी त्यागी से बातचीत पर आधारित है]