एक्सप्लोरर

चुनाव परिणाम 2024

(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

BLOG: जय हिंद! राष्ट्रगीत में भला कौन वह भारत-भाग्य-विधाता है?

प्यारे देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की कोटिशः हार्दिक बधाइयां! प्रतिवर्ष की भांति आज सुबह हमने विभिन्न टेलीविजन चैनलों पर राजपथ से लेकर लालकिला तक भारत का शानदार वैभव देखा. राज्यों की राजधानियां अपनी-अपनी भौगोलिक एवं सांस्कृतिक छटाएं बिखेरती हुई आजादी का जश्न मनाती हैं और नई दिल्ली में मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों की किस्मत से तो मैं रश्क करता हूं.

सच कहता हूं, देश की मिट्टी कोने-कोने से पुकार करती हुई यमुना किनारे आती है और राजधानी में अनेकता में एकता की अनगिनत झांकियां देखकर मेरा सीना गर्व से फूल जाता है. हालांकि जब मैं ये पंक्तियां लिख रहा हूं तब मेरे गांव में बिजली नहीं है. राष्ट्रगीत के ऐन बीच में स्कूल का लाउड स्पीकर बंद हो गया है. लेकिन बच्चों को कोई फर्क नहीं पड़ा. वे अपनी ही धुन में गाए जा रहे हैं-‘जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता... जय हे जय हे जय हे!’ फिर छात्र-छात्राओं का समवेत स्वर उभरता है- ‘भारत माता की...जय!’ कसम से, रोमांच हो आता है और रोंगटे खड़े हो जाते हैं! दरअसल जयकारे में उठतीं ये हमारी ही मुट्ठियां हैं, जो अभी-अभी पांचवीं-आठवीं-दसवीं-बारहवीं पास करके इधर-उधर बिखर गई हैं.

यही बच्चे उम्मीद जगाते हैं कि चाहे लाउड स्पीकर चले या न चले, झंडावंदन के बाद माला, फूल, फूटा, लाई, मिठाई मिले न मिले, स्कूल तक पहुंचने की सड़क हो न हो, विद्यालय में साफ पानी हो न हो, मध्याह्न भोजन में जली-बासी रोटियां और छिपकली पड़ी खिचड़ी ही क्यों न हों, भवन की छत कितनी भी क्यों न टपकती हो...लेकिन राष्ट्रगीत अमर है, भारत माता सनातन है. रघुवीर सहाय की प्रसिद्ध कविता ‘अधिनायक’ ये पंक्तियां याद आ जाना स्वाभाविक है- ‘राष्ट्रगीत में भला कौन वह/भारत-भाग्य-विधाता है/फटा सुथन्ना पहने जिसका/गुन हरचरना गाता है. मखमल टमटम बल्लम तुरही/पगड़ी छत्र चंवर के साथ/तोप छुड़ाकर ढोल बजाकर/जय-जय कौन कराता है. पूरब-पच्छिम से आते हैं/नंगे-बूचे नरकंकाल/सिंहासन पर बैठा उनके तमगे कौन लगाता है. कौन-कौन है वह जन-गण-मन/अधिनायक वह महाबली/डरा हुआ मन बेमन जिसका/बाजा रोज बजाता है.’

आजादी के मात्र 71 वर्षों बाद जन-गण-मन का यह बाजा यदि बेमन का हो गया है तो हमें गंभीर चिंता करने की आवश्यकता है. राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त की शरण में जाने की गरज है. उन्होंने दिशा दी थी- ‘हम कौन थे, क्या हो गए हैं और क्या होंगे अभी/आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी/भूलोक का गौरव प्रकृति का पुण्य लीलास्थल कहां/फैला मनोहर गिरि हिमालय और गंगाजल कहां/संपूर्ण देशों से अधिक किस देश का उत्कर्ष है/उसका कि जो ऋषि भूमि है वह कौन भारतवर्ष है?’

हम भारतीय संस्कृति और संस्कारों से जुड़े मूलभूत प्रश्नों के जवाब तलाशने की राह छोड़कर अंधेरों के दहानों पर आ खड़े हुए हैं. स्वतंत्रता दिवस को हमने मात्र झंडावंदन और देशभक्ति के गीतों का कर्मकाण्ड बनाकर रख दिया है. हम भूल गए हैं कि जिन उन्मुक्त फिजाओं में सांस ले रहे हैं, वे खीर खाते-खाते मयस्सर नहीं हुई हैं. हम वे प्रतिज्ञाएं भी बिसरा चुके हैं, जो 15 अगस्त 1947 की आधी रात को हमने खुद से की थीं.

आजादी की सुबह का ऐलान करते हुए प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अपने ऐतिहासिक 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' उद्बोधन में कहा था- ‘कई सालों पहले, हमने नियति के साथ एक वादा किया था, और अब समय आ गया है कि हम अपना वादा निभाएं, पूरी तरह न सही पर बहुत हद तक तो निभाएं, आधी रात के समय, जब दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जाग जाएगा. ऐसा क्षण आता है, मगर इतिहास में विरले ही आता है, जब हम पुराने से बाहर निकल नए युग में कदम रखते हैं, जब एक युग समाप्त हो जाता है, जब एक देश की लम्बे समय से दबी हुई आत्मा मुक्त होती है. यह संयोग ही है कि इस पवित्र अवसर पर हम भारत और उसके लोगों की सेवा करने के लिए तथा सबसे बढ़कर मानवता की सेवा करने के लिए समर्पित होने की प्रतिज्ञा कर रहे हैं... भारत की सेवा का अर्थ है लाखों-करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना. इसका अर्थ है निर्धनता, अज्ञानता, और अवसर की असमानता मिटाना. हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही इच्छा है कि हर आंख से आंसू मिटे. संभवतः ये हमारे लिए संभव न हो पर जब तक लोगों की आंखों में आंसू हैं, तब तक हमारा कार्य समाप्त नहीं होगा...’

लेकिन आजादी मिलने के बाद दरहकीकत हुआ क्या? इसकी पोल महान व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने बहुत पहले खोल दी थी. (साम्राज्यवादियों ने) कहा– ‘इंडिया इज ए ब्यूटीफुल कंट्री.’ और छुरी-कांटे से इंडिया को खाने लगे. जब आधा खा चुके, तब देशी खानेवालों ने कहा, ‘अगर इंडिया इतना खूबसूरत है, तो बाकी हमें खा लेने दो. तुमने ‘इंडिया’ खा लिया. बाकी बचा ‘भारत’ हमें खाने दो.’ अंग्रेज ने कहा– ‘अच्छा, हमें दस्त लगने लगे हैं. हम तो जाते हैं. तुम खाते रहना.’ यह बातचीत 1947 में हुई थी. हम लोगों ने कहा– ‘अहिंसक क्रांति हो गई.’ बाहरवालों ने कहा– ‘यह ट्रांसफर ऑफ पॉवर है– सत्ता का हस्तांतरण.’ मगर सच पूछो तो यह ‘ट्रांसफर ऑफ डिश’ हुआ– थाली उनके सामने से इनके सामने आ गई. वे देश को पश्चिमी सभ्यता के सलाद के साथ खाते थे. ये जनतंत्र के अचार के साथ खाते हैं!

यही वजह है कि आज जब हम अपने चारों ओर नजर दौड़ाते हैं तो भूख, गरीबी, लाचारी, वैमनस्य, कटुता, असहिष्णुता, अवैज्ञानिकता, अंधविश्वास, भ्रष्टाचार, मंहगाई, बेरोजगारी, बलात्कार, आत्महत्या, मॉब लिंचिंग, साम्प्रदायिक दंगे, निजी जीवन में ताकझांक, नियुक्तियों में भेदभाव, संवैधानिक संस्थाओं का ह्रास, सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग, राजनीतिक अनैतिकता, प्रशासनिक शिथिलता और न्याय की आड़ में अन्याय का साम्राज्य फैला दिखता है. दावे चाहे हम जितने कर लें, अगली-पिछली सरकारों पर दोषारोपण की झड़ी लगा दें, अपने सीने में स्वयं चाहे जितने तमगे जड़ लें... हाथ कंगन को आरसी क्या जैसी स्थिति है. उपलब्धियां अपनी जगह हैं, हमें लक्ष्य की दिशा में अनुपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. मगर वस्तुस्थिति यह है कि बीते 71 वर्षों से घोषणाएं मतदाताओं के कानों में लोरी सुनाती हैं, जमीन पर दूब नहीं उगती. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी हर बार की तरह 72वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए घोषणाओं की झड़ी लगाई और दोषारोपण करते हुए कहा कि ‘अगर वे साल 2013 की रफ्तार से चलते तो कई काम पूरा करने में दशकों लग जाते, लेकिन चार साल में बहुत कुछ बदला और देश आज बदलाव महसूस कर रहा है. आकाश वही है, पृथ्वी वही है, लोग, दफ्तर सब कुछ पहले जैसा है लेकिन अब देश बदल रहा है.’ अब तो ऐसी लोरियां भी बच्चों को सुला नहीं पातीं!

बाकी जो है सो तो है ही, देश के लगभग हर राज्य से अनाथ बच्चियों को नेता-अपराधी-प्रशासन गठजोड़ द्वारा जिस तरह मांस का दरिया बना देने की खबरें आ रही हैं, उनके बरक्स नेहरू जी का भाषण रख कर देखिए, इंसान होंगे तो कलेजा छलनी हो जाएगा! फैज अहमद फैज ने अपनी नज्म ‘सुबह-ए-आजादी’ में सच ही कहा था- ‘ये दाग दाग उजाला, ये शबगजीदा सहर, वो इंतजार था जिसका, ये वो सहर तो नहीं.’ लेकिन भारतवासी अपनी मेहनत और लगन से अपना सूरज खुद उगाना जानते हैं. उम्मीद है कि वो सहर जरूर आएगी जिसके लिए हमारे पुरखों ने सर्वस्व होम कर दिया था. जय हिंद!

 

लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://twitter.com/VijayshankarC

लेखक से फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://www.facebook.com/vijayshankar.chaturvedi

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)
और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

KL Rahul Half Century: यशस्वी-राहुल ने शतकीय साझेदारी से पर्थ में रचा इतिहास, 2004 के बाद पहली बार हुआ ऐसा
यशस्वी-राहुल ने पर्थ टेस्ट में रचा इतिहास, 2004 के बाद पहली बार हुआ ऐसा
पूरा दिन वोटिंग के बाद EVM मशीन 99% कैसे चार्ज हो सकती है?, पति फहाद अहमद की हुई हार, तो स्वरा भास्कर ने पूछे ECI से सवाल
पति की हुई हार तो स्वरा भास्कर ने उठा दिए ईवीएम पर सवाल
Maharashtra Election Result: शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
Maharashtra Assembly Election Results 2024: शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
ABP Premium

वीडियोज

Maharashtra Election Result : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शानदार जीत पर CM Yogi की आई प्रतिक्रियाUP Bypoll Results 2024: 7-2 उपचुनाव में अखिलेश के गणित पर भारी पड़े योगी | SP | Akhilesh Yadav | BJPAssembly Election Results: महायुति बंपर जीत की ओर, कांग्रेस नेता से संदीप चौधरी के तीखे सवालMaharashtra Election Result : जीत के बाद योगी का बड़ा बयान, देश में मचा भूचाल! | CM Yogi | BJP

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
KL Rahul Half Century: यशस्वी-राहुल ने शतकीय साझेदारी से पर्थ में रचा इतिहास, 2004 के बाद पहली बार हुआ ऐसा
यशस्वी-राहुल ने पर्थ टेस्ट में रचा इतिहास, 2004 के बाद पहली बार हुआ ऐसा
पूरा दिन वोटिंग के बाद EVM मशीन 99% कैसे चार्ज हो सकती है?, पति फहाद अहमद की हुई हार, तो स्वरा भास्कर ने पूछे ECI से सवाल
पति की हुई हार तो स्वरा भास्कर ने उठा दिए ईवीएम पर सवाल
Maharashtra Election Result: शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
Maharashtra Assembly Election Results 2024: शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
Maharashtra Assembly Election Results 2024: सीएम की कुर्सी के लिए संग्राम शुरू, छप गए पोस्‍टर, जानें फडणवीस, अजित पवार, शिंदे का क्‍या रहा रिजल्‍ट
महाराष्‍ट्र: सीएम की कुर्सी के लिए संग्राम शुरू, छप गए पोस्‍टर, जानें फडणवीस, अजित पवार, शिंदे का क्‍या रहा रिजल्‍ट
हेमंत सोरेन को मिला माई-माटी का साथ, पीके फैक्टर एनडीए के काम आया, तेजस्वी का ‘पारिवारिक समाजवाद हुआ फेल’  
हेमंत सोरेन को मिला माई-माटी का साथ, पीके फैक्टर एनडीए के काम आया, तेजस्वी का ‘पारिवारिक समाजवाद हुआ फेल’  
Police Jobs 2024: इस राज्य में भरे जाएंगे सब इंस्पेक्टर के बंपर पद, जानें कब से शुरू होगी आवेदन प्रोसेस
इस राज्य में भरे जाएंगे सब इंस्पेक्टर के बंपर पद, जानें कब से शुरू होगी आवेदन प्रोसेस
Embed widget