क्रिकेट की दुनिया में कुछ ही कहानियां इतनी रोमांचक और जकड़ने वाली होती हैं जितनी विराट कोहली का ऑस्ट्रेलिया से प्रेम-प्रसंग है. अपने आक्रामक बैटिंग-स्टाइल और करिश्माई नेतृत्व के लिए जाने जाने वाले कोहली ने हमेशा ही ऑस्ट्रेलिया की धरती पर अपने प्रदर्शन से सुर्खियां बनायी हैं जहां पिच और भीड़ अक्सर ही चुनौती और मजा दोनों देते हैं.
कोहली का ऑस्ट्रेलिया पहली बार जाना
2008 में अंडर-19 विश्वकप के लिए ऑस्ट्रेलिया पहली बार विराट कोहली यात्रा पर गए, जहां उनकी कप्तानी में भारत ने कप जीता. यह टूर्नामेंट शायद एक तरह की प्रस्तावना था, जो बाद में कोहली और ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट टीम के बीच ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता ही बन गया. ऑस्ट्रेलिया में ही 2011 में अपना पहला टेस्ट खेलते हुए, कोहली ने ऑस्ट्रेलियाई पिचों की भयंकर तेजी और उछाल का सामना किया, जिससे कई नए लोग डरते हैं, लेकिन उनकी दृढ़ता और कला ने जल्द ही लोगों को उनका मुरीद बनाया.
ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट जगत में कोहली की वास्तविक पहचान टेस्ट सीरीज में उनके बेहद शानदार प्रदर्शन से बनी. घूमती गेंदों को बिल्कुल सफाई से खेलने की उनकी सलाहियत, किसी भी परिस्थिति में ढलने की काबिलियत और मिचेल जॉनसन व पैट कमिंस जैसे तेजतर गेंदबाजों को झलेने की खूबी ने उनकी कई पारियों को जन्म दिया. एडीलेड में 2014 में उनकी 141 रनों की पारी अब भी उनके कौशल और दृढ़ता का परिचायक है, जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सबसे भरोसेमंद बैट्समैन के तौर पर उनकी स्थिति को मजबूत करता है.
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान के तौर पर कोहली के ऑस्ट्रेलिया दौरों का अलग आयाम है. टीम की रणनीति और गत्यात्मकता (डायनैमिक्स) की परीक्षा मजबूत प्रतिद्वंद्वियों ने कई बार ली. 2018-19 के टेस्ट सीरीज की जीत भारत के लिए ऐतिहासिक थी- जब भारत ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया में कोई सीरीज जीती थी. इस जीत को कोहली ने अपने करियर का सबसे गर्वीला क्षण बताया था. उनकी आक्रामक कप्तानी और खेल ने उनकी टीम को प्रेरित किया और भारतीय टीम पर एक अमिट छाप पड़ गयी.
ऑस्ट्रेलिया और कोहली एक-दूजे के लिए
ऑस्ट्रेलिया केवल एक क्रिकेट फील्ड नहीं हैः वह एक सांस्कृतिक लेन-देन का गवाह है. उनका ऑस्ट्रेलियाई भीड़ के साथ बर्ताव, मजेदार प्रेस कांफ्रेस और क्रिकेट को बृहत्तर सांस्कृतिक परिदृश्य में समझने की वजह से वह न केवल अपने खेल, बल्कि व्यक्तित्व के लिए भी जाने जाते हैं. खेल के लिए उनका उन्माद और ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट इतिहास के प्रति सम्मान ने देश में उनकी सार्वजनिक छवि को बड़ा ही बनाया है.
ऑस्ट्रेलिया में हरेक क्रिकेट सीजन विराट कोहली के लिए नया अध्याय है. सीमित ओवरों के क्रिकेट में खासकर मेलबर्न और सिडनी जैसे ऐतिहासिक मैदान पर वह लगातार अपना बेहतरीन अंदाज और प्रदर्शन दिखाते रहे हैं. अभी बिल्कुल हाल में, ऑस्ट्रेलिया की पिचों पर कोहली ने अपना नाम शानदार अंदाज में नक्काशी के साथ दर्ज किया है, जिसने आलोचकों और प्रशंसकों को एक जैसा लुभाया है.
ऑस्ट्रेलिया के साथ उनका संबंध उद्दाम है, जो हरेक शृंखला के साथ नाटकीय अंदाज में और बेहतर होता जाता है- हरेक मैच और पारी के साथ और बेहतर. यह पारी बेहद सम्मान, सघन प्रतियोगिता और क्रिकेटिंग बेहतरी का प्रतीक है. कोहली जब तक भारतीय जर्सी पहनेत रहेंगे और ऑस्ट्रेलिया की हरी पिच पर उतरते रहेंगे, यह रूमानी कहानी हरेक पारी के साथ और शानदार होगी, क्रिकेट के इतिहास को कई और रोचक अध्याय दे जाएगी.
हालिया न्यूजीलैंड टेस्ट सीरीज में खराब प्रदर्शन के बावजूद, क्रिकेट के उत्साही और विश्लेषक कोहली के ऑस्ट्रेलिया में प्रदर्शन की आस लगाए हैं. क्रिकेट की दुनिया में उनका कद और ऑस्ट्रेलिया में पहले मिली सफलता इस उत्सुकता को और बढ़ाती है. कोहली की शानदार बैटिंग और सबसे खतरनाक गेंदबाजों को झेल जाने की उनकी सलाहियत ने ही भारत की सफलता में उनका योगदान अलग से दिखाया है. ऑस्ट्रेलिया की शृंखला कोहली को वह मौका देती है, जब वह अपने शानदार कौशल और कला का प्रदर्शन करते हैं. भारतीय क्रिकेट टीम में मुख्य खिलाड़ी के तौर पर उनका कद न केवल ध्यान खींचता है, बल्कि शृंखला के रोचक होने की भी गारंटी देता है.
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