ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज का आगाज बिल्कुल वैसे ही हुआ जैसा होना चाहिए था. क्या फर्क पड़ता है अगर विराट कोहली बगैर खाता खोले आउट हो गए? क्या फर्क पड़ता है अगर मनीष पांडे भी ‘जीरो’ पर ही पवेलियन लौट गए? यहां तक कि टॉप ऑर्डर पूरी तरह नाकाम रहा लेकिन जीत तो भारत के खाते में ही आई. अब अगर आपको ये बात कमियों का जश्न मनाने जैसी लग रही है तो तस्वीर का एक और पहलू देखिए.
विराट कोहली एक ऐसे बल्लेबाज हैं जो लंबे समय तक आउट ऑफ फ़ॉर्म रहने वाले नहीं हैं. रोहित शर्मा को अच्छी शुरूआत मिली थी इसलिए उन्हें भी लेकर फिक्र करने की जरूरत नहीं है. अजिंक्य रहाणे जैसा खिलाड़ी बार बार ऐसे गलत शॉट नहीं खेलता. अगर इन तीन खिलाड़ियों को लेकर परेशान होने की जरूरत ही नहीं है तो फिर बेकार की नुक्ताचीनी क्यों की जाए? सच्चाई ये है कि इस तरह के मैच वो मौके हैं जो मिडिल ऑर्डर और लोवर मिडिल ऑर्डर की तैयारियों को भांप लेते हैं. जब तक ऐसे मौके बार बार नहीं आते टीम इंडिया को लेकर किसी को भी परेशान होने की जरूरत नहीं है. उस पर से भी अगर विराट कोहली के पास एक ‘सुपरमैन’ हो. ये जीत इस लिहाज से भी टीम इंडिया के लिए अच्छी है कि अब उसके पास गिने चुने मैच विनर नहीं हैं.
कौन है विराट कोहली का ‘सुपरमैन’?
एक समय था जब विराट कोहली धोनी के लिए सुपरमैन हुआ करते थे. उन्होंने अपनी बल्लेबाजी के दम पर ऐसे-ऐसे मैच जिताए हैं जिसमें जीत के बारे में सोचना तक मुश्किल था. बतौर कप्तान आखिरी कुछ महीनों में धोनी की कामयाबी में बड़ा श्रेय विराट कोहली की बल्लेबाजी का रहा है. ठीक वैसे ही अब विराट कोहली को हार्दिक पांड्या के तौर पर वही सुपरमैन मिल गया है.
हार्दिक पांड्या ने रविवार को खेले गए मैच में जिस तरह की बल्लेबाजी की वो दिखाता है कि वो निडर हैं. बेखौफ हैं. हार्दिक पांड्या ने जब क्रीज संभाली तो आधी टीम पवेलियन लौट चुकी थी. इसके बाद भी उन्होंने आक्रामक रवैया अपनाया. जिसकी वजह से वो रन बनाने में कामयाब हुए. हार्दिक पांड्या ने सिर्फ 66 गेंद पर 83 रनों की पारी खेली. इस पारी में 5 चौके और इतने ही छक्के लगाए. उनका स्ट्राइक रेट सवा सौ के करीब था.
उनकी इस धांसू पारी की बदौलत ही एक वक्त पर 87 रन पर 5 विकेट गंवा चुकी टीम इंडिया ने 281 रन जोड़े. इस दौरान धोनी ने उनका बखूबी साथ दिया. वो लगातार उन्हें सलाह देते रहे. हार्दिक पांड्या जब आउट होकर पवेलियन लौटे तो भारतीय टीम के स्कोरबोर्ड पर 200 से ज्यादा रन बन चुके थे और करीब 10 ओवर का खेल बाकी भी था. ये बहुत हद तक मुमकिन है कि हार्दिक पांड्या के आउट होने के तरीके और समय पर लोग सवाल खड़े करें लेकिन ऐसे लोगों को ये समझना होगा कि हार्दिक पांड्या सिर्फ और सिर्फ अपना स्वाभाविक खेल खेल रहे थे.
क्या खास है हार्दिक पांड्या के खेल में?
हार्दिक पांड्या ने रविवार को स्पिनर एडम जांपा की गेंदों पर तीन लगातार छक्के लगाए. लगातार तीन गेंद पर छक्का लगाने का कारनामा वो इस साल पहले भी तीन बार कर चुके हैं. भले ही हार्दिक पांड्या अपने शतक से चूक गए, भले ही वो जांपा का ही शिकार हुए लेकिन उन्होंने दिखाया कि उनकी बल्लेबाजी की खासियत क्या है? उनकी सबसे बड़ी खासियत है कि वो निडर होकर अपना स्वाभाविक खेल खेलते हैं. जरूरत से ज्यादा आक्रामक होने के बाद भी वो ज्यादातर शॉट सीधे बल्ले से लगाते हैं. ज्यादातर मौकों पर वो ‘V’ में यानी लॉंग ऑन से लॉंग ऑफ के बीच खेलते हैं.
पिच पर टप्पा खाने के बाद गेंद अगर उनके ‘रडार’ में है तो वो उसे मारने से नहीं चूकते हैं. आधुनिक क्रिकेट में ऐसे बल्लेबाज किसी भी कप्तान के लिए ‘सुपरमैन’ ही हैं. ये तो सिर्फ हार्दिक पांड्या के एक पहलू की बात हुई. ये बात बिल्कुल नहीं भूलनी चाहिए कि उन्होंने गेंदबाजी के दौरान भी शानदार प्रदर्शन किया. हार्दिक पांड्या ने 4 ओवर में 28 रन देकर दो विकेट भी लिए. जिसमें कप्तान स्टीवन स्मिथ का विकेट भी शामिल है. जो भारतीय बल्लेबाजों के लिए अक्सर चुनौती बनते रहे हैं. हार्दिक पांड्या ने ट्रैविस हेड को अपना दूसरा शिकार बनाया. उनके हरफनमौला प्रदर्शन के लिए ही उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया.