आज हिंदी और अंग्रेजी के अखबारों से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह विराट कोहली के प्रयोग की चर्चा है. दरअसल विराट कोहली ने एक बयान में कहाकि अब जितने भी टी-20 मैच बचे हैं उसमें मिडिल ऑर्डर को लेकर वो लगातार प्रयोग करते रहेंगे. ऐसे प्रयोगों का मकसद विरोधी टीम को चौंकाना है. विराट कोहली पहले भी इस तरह की बात कह चुके हैं. उन्होंने कहाकि इस सीरीज में हर एक खिलाड़ी को मौका देने का फैसला उन्होंने और टीम मैनेजमेंट ने कर लिया है.


व्यवहारिक बात ये है कि प्रयोग करने में कोई दिक्कत है नहीं बशर्ते प्रयोग के बहुत सारे मौके हों. सच्चाई ये है कि विराट कोहली के पास प्रयोग करने के लिए ज्यादा मौके हैं ही नहीं. आयरलैंड के खिलाफ पहले टी-20 मैच में जीत के बाद आज टी-20 सीरीज का दूसरा मैच है. इसके बाद 3 जुलाई, 6 जुलाई और 8 जुलाई को इंग्लैंड के खिलाफ टीम इंडिया को टी-20 मैच खेलने हैं. इन तीन टी-20 मैचों के बाद टीम इंडिया इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज खेलेगी. जिसके तुरंत बाद टेस्ट सीरीज भी शुरू हो जाएगी.


ऐसे में आज का मैच मिला भी लिया जाए तो विराट कोहली के पास फिलहाल चार टी-20 मैच हैं. वनडे में जरूर वो कुछ सार्थक प्रयोग कर सकते हैं. इसके अलावा अगर विराट कोहली टी-20 में प्रयोग करना ही चाहते हैं तो उन्हें टॉप ऑर्डर में प्रयोग का ‘रिस्क’ उठाना पड़ेगा. टॉप ऑर्डर में प्रयोग के बाद उन्हें कुछ अच्छे विकल्प जरूर मिल सकते हैं. हम आपको बताते हैं कि इन चार टी-20 मैचों में विराट कोहली प्लेइंग 11 के साथ ज्यादा छेड़छाड़ या प्रयोग करने की सूरत में क्यों नहीं हैं?


करना ही है तो टॉप ऑर्डर में करें प्रयोग


ये काम जोखिम वाला है. क्योंकि टी-20 के प्लेइंग 11 में विराट कोहली, रोहित शर्मा, शिखर धवन और सुरेश रैना का खेलना तय है. रैना को लंबे समय के बाद टीम में इसीलिए लाया गया है कि वो नंबर तीन पर खुलकर बल्लेबाजी करें. आयरलैंड के खिलाफ पहले मैच में राष्ट्रगान के समय रैना पैड पहनकर मैदान में उतरे थे. जो इस बात को साबित करता है कि विराट कोहली ने उन्हें क्या रोल सौंपा है. विराट कोहली चाहते हैं कि अगर शिखर या रोहित में से कोई जल्दी आउट हो जाए तो रैना पहले पावरप्ले में खुलकर बल्लेबाजी करें. उन्हें बड़े शॉट्स खेलने की आदत है.


बदकिस्मती से अगर रैना भी जल्दी आउट हो जाते हैं तो विराट कोहली मोर्चा संभालेंगे और मैच की स्थिति से हिसाब से स्कोरबोर्ड को आगे बढ़ाएंगे. यही वजह है कि विराट कोहली ने रैना को दिनेश कार्तिक के मुकाबले प्लेइंग 11 में तरजीह दी है. जो वो आगे भी देंगे. हां, अगर प्रयोग करना है तो यहां प्रयोग करना चाहिए. केएल राहुल या कार्तिक जैसे बल्लेबाज को आजमाना है तो यहां आजमाना ज्यादा फायदे की बात है. खैर, इसके बाद बात नंबर चार की है. जिसके मौजूदा दावेदारों में केएल राहुल हैं, मनीष पांडे हैं और दिनेश कार्तिक हैं. विराट यहां प्रयोग करना चाहते हैं. इसके बाद हार्दिक पांड्या और धोनी जैसे खिलाड़ी आ जाते हैं. जिन्हें दो सौ फीसदी मौका मिलना तय है.


विरोधी टीम को प्रयोगशाला तक पहुंचने ना दें


टी-20 के फॉर्मेट में अच्छा होगा कि विरोधी टीम के खिलाफ जीत दिलाने का काम विराट, रोहित, शिखर और रैना के बल्ले से ही हो. व्यवहारिकता की बात ये है कि अगर इन चार बल्लेबाजों के बाद जीत दिलाने की जिम्मेदारी गई तो मामला पलट जाएगा. दरअसल, टी-20 का फॉर्मेट ऐसा है कि यहां ज्यादातर मैचों में जीत और हार का फैसला पहले चार बल्लेबाज कर देते हैं.


बात चाहे पहले बल्लेबाजी की हो या पहले गेंदबाजी. जिस टीम के पहले चार बल्लेबाज रंग में हैं उसके लिए मैच में पकड़ मजबूत करना आसान रहता है. इक्का दुक्का मौके पर भले ही बात मिडिल ऑर्डर या लोवर मिडिल ऑर्डर तक चली जाए लेकिन अगर सीरीज में शुरू से ही अपना दबदबा दिखाना है तो नंबर चार तक ही मैच को समेटने की कोशिश करना सकारात्मक सोच होगी. विराट अपनी प्रयोगशाला को वनडे टीम में जरूर आजमा सकते हैं. वहां प्रयोग की गुंजाइश ज्यादा रहती है. अगले साल विश्व कप भी इंग्लैंड में ही खेला जाना है. ऐसे में मिडिल ऑर्डर को लेकर विराट कोहली के प्रयोग उन्हें एक संतुलित वनडे टीम बनाने में मदद करेंगे.