विराट कोहली ने जैसे ही टेस्ट कॅप्टेन्सी से अपने इस्तीफे का एलान किया वैसे ही क्रिकेट जगत में बड़ी हलचल मच गयी. क्रिकेट प्रेमी हों, क्रिकेट एक्सपर्ट्स हों या विराट कोहली के करोड़ों फैन, सब ये नहीं तय कर पा रहे थे कि हैरानी इस बात पर ज़्यादा जताएं की कोहली ने कप्तानी छोड़ने का फैसला लिया है या इस फैसले की टाइमिंग पर.
दरअसल दोनों ही बातों पर हैरान होने की ज़रूरत भी है और नहीं भी.
पहले कोहली के ट्विटर पर छपे त्याग पत्र को देखिये. उन्होंने लिखा की सात साल से मैंने बतौर कप्तान जी जान से मेहनत की है और अपनी ज़िम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाया है. लेकिन हर अच्छी चीज़ का अंत तय है और मेरा टेस्ट कप्तानी छोड़ने का अब समय आ गया है.
टी20 से कप्तानी छोड़ने के बाद, ये कभी न कभी होना ही था. BCCI ने विराट कोहली के कार्यकाल में क्रिकेट के हर फॉर्मेट में एक ही कप्तान रखा, ऐसे में उनके टी20 और ODI's की कॅप्टेन्सी छोड़ने के बाद, टेस्ट में कप्तान बने रहना, ज़्यादा दिन मुमकिन नहीं हो सकता था. मौजूदा टीम को लेकर पहले ही गुटबाज़ी की अटकलें लगायी जाती रही हैं और दो कप्तानों के होने से उन्हें और हवा मिल रही थी.
अब रही बात टाइमिंग की. तो कोहली के त्याग पत्र के दूसरे पैरा को देखिए. इसमें उन्होंने उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया है जिन्होंने कप्तानी के दौरान उनका साथ दिया और खासतौर पर नाम लिया है रवि शास्त्री और महेंद्र सिंह धोनी का. धोनी की कप्तानी में डिप्टी का रोले निभाते निभाते , विराट ने अपनी लीडरशिप स्किल्स को भी पैना किया था. रवि शास्त्री और विराट कोहली की जुगलबंदी की तारीफ भी हम ने खूब सुनी है. ऐसे में जब रवि शास्त्री का बतौर टीम इंडिया कोच कॉन्ट्रैक्ट खत्म हुआ तो स्वाभाविक था कोहली को अपना कम्फर्ट जोन अब छोड़ना होगा.
परिस्थितियां लगातार चुनौतीपूर्ण हो रही थी और फिर आयी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज की हार. इस सीरीज हार के बाद हुई प्रेस कांफ्रेंस में सबने देखा कैसे कोहली के कंधे झुके हुए थे. किंग कोहली की वो पहले वाली फाइटिंग स्पिरिट नज़र ही नहीं आ रही थी. भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान - विराट कोहली के टैंक में शायद अब और कुछ बचा नहीं बतौर कप्तान हासिल करने के लिए. 68 टेस्ट मैचों में कप्तानी कर, कोहली ने टीम इंडिया को 40 में जीत दिलाई. 11 होम सीरीज में कप्तानी की और सभी जीत के दिखाई. 7962 रनों के साथ, विराट कोहली इंडिया के टेस्ट कप्तान के तौर पर सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ भी हैं. एशिया के पहले और एक मात्र कप्तान हैं जिन्होंने एक नहीं बल्कि दो बॉक्सिंग डे टेस्ट जीते हों.
निजी तौर पर पिछले एक साल में कोहली ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं. जहाँ एक तरफ पहली बार हो रही वर्ल्ड टेस्ट सीरीज के फाइनल में टीम इंडिया पहुंची तो वहीँ पहली बार ही, पाकिस्तान के खिलाफ एक वर्ल्ड कप मैच भी हारी. दोनों ही बार कप्तान कोहली ही थे.
साथ उनकी बल्लेबाज़ी में ख़राब फॉर्म को लेकर भी आलोचकों ने उन पर खूब सवाल उठाये. कोहली की आखिरी टेस्ट सेंचुरी 2019-2020 के सीजन में आयी थी और इसका बोझ कहीं न कहीं उन्हें दबा रहा था. एक बात साफ़ है की कोहली जैसा बड़ा खिलाडी जब इतना बड़ा फैसला लेता है तो फैंस का आहत होना स्वाभाविक है लेकिन ये भी सच है की हर नामी खिलाड़ी यही चाहता है की अपने करियर से जुड़े बड़े फैसले वो खुद ले न की उस पर थोपे जाएँ.
शायद विराट कोहली ने भी यही सोचा की इस से पहले की उन पर दबाव बने कप्तानी छोड़ने का, वे खुद इस पद को छोड़ दें. एक चीज़ जिसकी कमी सबको खल रही है वो है उस खिलाड़ी की पहचान जो आने वाले समय में कोहली की लेगसी को आगे ले जाएगा. कोहली के बाद कौन? ये सवाल इस वक़्त हर क्रिकेट प्रेमी की ज़ुबान पर है लेकिन इसका सीधा और साफ़ जवाब नहीं मिल रहा. यही एक बड़ा फर्क भी है धोनी एरा और कोहली एरा के बीच. जब धोनी कप्तानी से हटे थे तो सबको बता था की उनका डिप्टी टीम को सँभालने के लिए तैयार बैठा है. लेकिन कोहली के समय ऐसा नहीं है.
अपने बाद अपनी टीम को मज़बूत हाथों में छोड़ना भी क्या एक अच्छे लीडर की ज़िम्मेदारी होती है? अगर हाँ, तो क्या इस डिपार्टमेंट में कोहली ने निराश किया? ये चर्चा विषय ज़रूर बना रहेगा लेकिन The show must go on और उसी जज़्बे के साथ, भारतीय टीम इस बदलाव से गुज़र कर एक बार फिर दुनिया पर अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार है.