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विश्व हिंदू परिषद: हिंदू जीवन मूल्यों की सुरक्षा करने वाली संस्था का एक परिचय
विश्व हिंदू परिषद हिंदू समाज की सुरक्षा, जीवन मूल्यों का प्रचार और हिंदू समाज के संगठन के लिए कार्य करने वाली एक अग्रणी संस्था है. वीएचपी हिंदुओं के लिए कार्य करती है, न की किसी के विरुद्ध.
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) को लेकर पहले एक छोटी सी भूमिका. यह हिंदू समाज की सुरक्षा, जीवन मूल्यों का प्रचार और हिंदू समाज के संगठन के लिए कार्य करने वाली एक अग्रणी संस्था है. वीएचपी हिंदुओं के लिए कार्य करती है, न की किसी के विरुद्ध. समाज के गरीब, कमजोर वर्ग के लिए, पूज्य धर्माचार्यों के मार्गदर्शन में और हिंदू समाज के सहयोग से वीएचपी आज शिक्षा, चिकित्सा, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण आदि के क्षेत्रों में हजारों सेवाकार्य चलाती है.
इस पावन भारतवर्ष में जन्में विविध धर्मधाराओं के (वैदिक, जैन, बौद्ध, सिख आदी) हजारों पूज्य धर्माचार्यों एवं संतानों ने वीएचपी के मंच से एकमुख से यह घोषणा की, "हिंदव: सोदरा: सर्वे, न हिंदू पतितो भवेत्" अर्थात सभी हिंदू सहोदर हैं और कोई भी जन्म से पतित नहीं है. इस ऐतिहासिक उद्घोषणा ने हिंदू धर्म और समाज की मूलभूत समता, समरसता तथा एकात्मता प्रकट कर दी है. अनेक शताब्दियों के विदेशी आक्रमण, कालखंड में निर्मित हुईं अस्पृश्यता और छुआछूत जैसी भयानक सामाजिक कुरीति के निर्मुलन के प्रयास में इससे बहुत बड़ा सहयोग मिला है. वीएचपी भारत ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व के अनेक देशों में हिंदू जीवन मूल्यों की सुरक्षा और प्रचार का कार्य कर रही है. वर्तमान में कुछ लोग हिंदुओं को ऐसा बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वीएचपी मुस्लिम विरोधी हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि इन हिंदू विरोधी लोगों की सोच की दिशा को बदलने की आवश्यक्ता है. समान्यत: हिदू धर्म का दो प्रकार से विचार किया जा सकता है. एक उपासना पद्धति के आधार पर और दूसरा राष्ट्रीयता एवं संस्कृति के धरातल पर. उपासना पद्धति में हम अगल-अलग हो सकते हैं लेकिन राष्ट्रीयता एवं संस्कृति के धरातल पर हम एक हैं. इसी संदर्भ में मुस्लिम उम्मा के महत्व के बारे में सोचना होगा. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधान हटने के बाद मुस्लिम उम्मा के पाकिस्तान के साथ न आने को लेकर हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने कहा था कि सभी मुस्लिम देश भारत में आर्थिक निवेश करने के कारण स्वयं के हितों की रक्षा कर रहे हैं. ईरान-इराक संघर्ष, यमन-सउदी अरब संघर्ष भी क्या दर्शाता है? दोनों तरफ मुस्लिम देश होने के बाद भी आज हर कोई लड़ रहा है, इसका सीधा संबंध आज श्रीराम जन्मभूमि से जोड़ा जा सकता है.
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