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वैगनर आर्मी चीफ येवगेनी प्रिगोझिन की मौत और पुतिन पर शक, इस सवाल के पीछे हैं ये खास वजह

वैगनर ग्रुप के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन की विमान हादसे में मौत हो गई. वैगनर से जुड़े टेलीग्राम चैनल ने भी प्रिगोझिन के मारे जाने की पुष्टि कर दी है. इसने कहा कि वैनगर चीफ और रुस के हीरो येवगेनी प्रिगोझिन मारे गए हैं. रुस के एविएशन अथॉरिटी ने भी कहा है कि प्रिगोझिन और वरिष्ट कमांडर देमेत्रि उत्किन उन 10 लोगों में शामिल थे, जो बुधवार शाम को क्रैश हुए विमान में सवार थे. रुसी इमरजेंसी मंत्रालय ने कहा कि एक प्राइवेट जेट क्रैश हो गया, इसमें सवार 3 क्रू मेंबर्स और सात यात्रियों की मौत हो गई है. मंत्रालय का कहना है कि विमान राजधानी मॉस्को से सेंट पीट्सबर्ग लाया जा रहा था.

प्रिगोझिन ने रुस के खिलाफ जून के महीने में बगावत की थी. ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि कहीं रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रिगोझिन को इस बात की सजा तो नहीं दी. दरअसल, 2013-14 में येवगेनी प्रिगोझिन ने प्राइवेट आर्मी के तौर पर शुरू किया था. पहले वे लीबिया में वैगनर आर्मी ग्रुप को तैनात किया. 2014 में क्रीमिया संकट के वक्त भी अहम भूमिका निभाई थी. ऐसे में ये जरूर एक पावर स्ट्रगल है, लेकिन ये कहना कि येवगेनी प्रिगोझिन की मौत में पुतिन का कितना हाथ है ये कहना मुश्किल है. 

इसके लिए एक स्वतंत्र जांच होनी चाहिए ताकि ये पता लगाया जा सके कि इसका कारण क्या है. लेकिन, दूसरी तरफ जिस तरह की कयासबाजी लगाई जा रही है, उसका पता बिना जांच के संभव नहीं है कि रूस के प्रसिडेंट का इसमें कितना और क्या रोल है? एक दूसरा पहलू ये भी है कि जिसने भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ आवाज उठाई, उसके खिलाफ कुछ न कुछ जरूर हुआ है. अभी भी पुतिन के विरोध करने वाले बहुत से लोग या तो जेल के अंदर है या निर्वासन की जिंदगी जी रहे हैं. लेकिन वेस्टर्न देशों के मुताबिक, अधिकतर इस तरह के मामलों में रुस सरकार का हाथ रहा है. ये एक सिलसिला जारी है. 

2000 के बाद पावर केन्द्रित होना शुरू

दूसरा पहलू है कि रुस के अगर आप पॉलिटिकल सिस्टम को देखेंगे तो ऑयल और गैस की महत्वपूर्ण भूमिका थी. खासकर 1995 के बाद से. लेकिन 2000 के बाद जब पुतिन आए तो उन्होंने पावर को केन्द्रित करना शुरू किया. उन्होंने दबदबा बढ़ाना शुरू किया. जो न्यूज़ पेपर्स की रिपोर्ट्स और वेस्टर्न को कॉलमनिस्ट कहते हैं कि कई सारे विरोधियों को राष्ट्रपति पुतिन ने ठिकाने लगाया. कई लोगों को उन्होंने जेल में डाल दिया, कई विरोधी यूरोप भाग गए. हालांकि कई लोगों की उसमें मौत भी हो गई. इसमें रूस के इंटेलिजेंस का हाथ बताया गया.

2018 में पुतिन ने एक इंटव्यू के दौरान कहा था कि जो गद्दार हैं, उन्हें नहीं छोड़ेंगे. ऐसे में पुतिन की नजर में गद्दार कौन है ये सवाल उठता है. येवेगिन प्रिगेझिन के बारे में हालांकि ज्यादा लोग नहीं जानते थे. लेकिन जब उन्होंने जून में बगावत की उसके बाद लोगों ने उनका नाम जाना. 2024 में चुनाव है. ऐसा कहा जा रहा है कि प्रेगेझिन राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन के खिलाफ मैदान में उतरने वाले थे. इन सबके बावजूद न्यूज़ की रिपोर्ट्स के आधार पर प्रिगेझिन की मौत के लिए पुतिन को दोषी करार देना बिल्कुल भी ठीक नहीं होगा. हालांकि, एनालिसिस में कांटेक्स्ट जरूर देखा जाता है. 

पुतिन पर क्यों आरोप

रुस मानवाधिकार और लोकतंत्र को लेकर लगातार वेस्टर्न देशों के निशाने पर रहे हैं. लेकिन ये भी साफ है कि राष्ट्रपति पुतिन शक्तिशाली है. दूसरा ये भी बात है कि पुतिन इस वक्त अपने पॉलिकल पावर की जगह अपने देश की इकॉनोमी पर केन्द्रित करना चाहते हैं. यूक्रेन-रूस वॉर के दौरान मॉस्को पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं. रुस को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना एक बड़ी चुनौती है. ये पुतिन के लिए एक मुश्किल का समय है और वे इससे उबरने की कोशिश कर रहे हैं. 

ऐसे में प्रोगोझिन की मौत से दुनिया में एक गलत मैसेज गया है. इसके बाद रुस के ऊपर और प्रतिबंध लग सकते हैं.  ऐसे में रुस का डोमेस्टिक पॉलिटिकल सिस्टिम ट्रांजिशनल फेज के दौर से गुजर रहा है. हालांकि, आगे चुनाव में करीब करीब राष्ट्रपति पुतिन का जीतना भी तय मानी जा रही है. रुस में ओवर सेंट्रलाइजेशन ऑफ पॉलिटिक्स है, जिसे देखने की जरूरत है. इसके अलावा, अगर आप रुस का अगर इतिहास देखेंगो तो इस तरह का निर्वासन, कुछ लोग कैटगराइज करेंगे ट्रेटर... तो ये सब चीजें होती रही हैं. इसे ओवर ऑल रुस के पॉलिटिकल हिस्ट्री को देखना होगा.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.] 

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