कोलंबो टेस्ट में भारतीय टीम ने आसानी से बड़ी जीत दर्ज की. भारत ने ये मैच पारी और 53 रनों के बड़े अंतर से जीता. इस जीत के साथ ही टीम इंडिया ने 3 टेस्ट मैचों की सीरीज में 2-0 से कब्जा भी कर लिया. मुसीबत ये है कि रवींद्र जडेजा को अगले मैच के लिए आईसीसी ने बैन कर दिया.


ये अपने आप में अनोखी बात है कि जो रवींद्र जडेजा कुछ मिनट पहले भारतीय टीम की जीत के हीरो थे, जिन्हें मैन ऑफ द मैच का खिताब दिया गया...वही जडेजा कुछ समय बाद बैन कर दिए गए. कुछ ही समय के फासले पर हुई इन दो घटनाओं के पीछे जोश और होश का फर्क है.


रवींद्र जडेजा ने जब कोलंबो टेस्ट मैच में अति आक्रमकता दिखाई तब उसकी कोई जरूरत ही नहीं थी. भारत आसानी से मैच जीत रहा था. कहीं से किसी तरह का कोई दबाव नहीं था कि खिलाड़ी अपना आपा खोए. फिर रवींद्र जडेजा को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलते अब करीब 8 साल का वक्त हो गया है इतने समय में खेल की मर्यादा और नियमों की जानकारी तो हर खिलाड़ी को हो जाती है.


क्यों लगा रवींद्र जडेजा पर बैन

श्रीलंका के बल्लेबाज क्रीज पर समय बीताकर अपनी हार टालने की कोशिश कर रहे थे. ये अलग बात है कि क्रिकेट में ऐसे मोड़ पर आकर शायद ही कुछ मैचों में हार बची हो. हां, मौसम कुछ खेल कर दे तो बात ही अलग है. उसकी भी उम्मीद कोलंबो में ना के बराबर थी. भारतीय टीम का पहाड़ जैसा स्कोर और मैच में बचा अच्छा खासा समय ये बताने के लिए काफी था कि श्रीलंका की हार अब कोई टाल नहीं सकता है. ऐसे में भारतीय खिलाड़ियों को सिर्फ धैर्य दिखाना था.

58वें ओवर की आखिरी गेंद पर रवींद्र जडेजा यही धैर्य खो बैठे. उन्होंने पुष्पकुमारा के शॉट को रोका और गेंद को वापस बल्लेबाज की तरह ‘थ्रो’ कर दिया. बल्लेबाज ने क्रीज से बाहर कदम तक नहीं रखा था. फील्ड अंपायर को जडेजा का ये ‘थ्रो’ अनावश्यक और खतरनाक दोनों लगा. अनावश्यक से ज्यादा खतरनाक. जो खेल के नियमों के दायरे के खिलाफ था. जडेजा पर पिछले साल न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट मैच के दौरान भी नियमों को तोड़ने पर तीन ‘डीमेरिट प्वाइंट’ का फाइन लगा था. कोलंबो टेस्ट में किया गया बर्ताव उनके खिलाफ गया.


नियमों के मुताबिक 24 महीने के भीतर अगर किसी खिलाड़ी के तीन से अधिक ‘डीमेरिट प्वाइंट’ हो जाते हैं तो उसके खिलाफ एक टेस्ट मैच या दो वनडे या दो टी-20 मैचों का बैन लगाया जाता है. अगर जडेजा अगले टेस्ट मैच के बाद मैदान में वापसी करने के बाद फिर इसी तरह की कोई हरकत करते हैं तो उनके खिलाफ और कड़ा फैसला आएगा. जडेजा ने आईसीसी मैच रेफरी रिची रिचर्डसन के सामने अपनी इस गलती को माना और भरोसा दिलाया कि वो आगे से खेल की मर्यादा का ध्यान रखेंगे.


कोच और कप्तान को करना चाहिए खिलाड़ियों को जागरूक


ऐसे मामलों से खिलाड़ियों को बचाने के लिए उनमें ये जागरूकता लाना जरूरी है कि खेल की मर्यादा क्या होती है. ये बात खिलाड़ियों को अच्छी तरह समझ आनी चाहिए कि उसका कद चाहे जितना बड़ा हो वो खेल से बड़ा नहीं है. टीम के सीनियर खिलाड़ी और कोच लगातार इस बात का अहसास खिलाड़ियों को कराते रहते हैं.

यूं तो देखा जाए तो जडेजा के बैन से ऐसा कोई बहुत बड़ा नुकसान नहीं होने वाला है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय टीम पहले ही सीरीज जीत चुकी है लेकिन अगर अभी सीरीज का हाल 1-1 की बराबरी पर होता तो टीम इंडिया को हर हाल में रवींद्र जडेजा की कमी खलती. ऐसा इसलिए क्योंकि इस सीरीज में उन्होंने शानदार गेंदबाजी की है.


2 टेस्ट मैचों में उन्होंने टीम इंडिया की तरफ से सबसे ज्यादा 13 विकेट लिए हैं. आर अश्विन के साथ उन्होंने भी 108 ओवर गेंदबाजी की है. ये आंकड़े इस बात को बताते हैं कि इस वक्त वो भारतीय टीम के लिए कितनी बड़ी जरूरत हैं. अफसोस उनकी एक गलती से अगले टेस्ट में वो मैदान से बाहर बैठेंगे. भारतीय टीम को श्रीलंका के खिलाफ 27 अगस्त से सीरीज का तीसरा टेस्ट मैच खेलना है.